Tuesday, June 18, 2024

धन का सच्चा मूल्य शांति कुंज

 एक छोटा सा गाँव थाजहाँ लोग साधारण और सुखी जीवन व्यतीत करते थे।यहाँ के लोग मेहनती और ईमानदार थेलेकिन गाँव में एक कमी थीविकास की। शिक्षास्वास्थ्य सेवाएँऔर बुनियादी सुविधाएँ लगभग  के बराबर थीं। गाँव के लोग गरीबी में जीवन बिता रहे थेलेकिन फिर भीउनके दिलों में परस्पर प्रेम और सहयोग की भावना थी।गाँव में एक अमीर जमींदाररघुवीर सिंहरहते थे।रघुवीर सिंह ने अपनी संपत्ति को और बढ़ाने के लिए वर्षों तक कठोर मेहनत की थी। वे अब धनवान थेलेकिनउनका धन केवल उनके पास ही सीमित था। उन्होंने कभी भी अपने धन का उपयोग गाँव के विकास के लिएनहीं किया। वे सोचते थे कि धन केवल उनकी सुरक्षा और आराम के लिए है।एक दिनरघुवीर सिंह कीमुलाकात एक साधु से हुई जो गाँव में प्रवचन देने आए थे। साधु ने अपने प्रवचन में कहा, "अगर धन दूसरों कीभलाई करने में मदद करेंतो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा ये सिर्फ बुराई का ढेर है। इससे जितना जल्दीछुटकारा मिल जाएउतना बेहतर है।रघुवीर सिंह ने यह सुना और सोचा, "क्या सच में मेरा धन बुराई का ढेरहै?"रघुवीर सिंह उस साधु के पास गए और पूछा, "महात्मा जीक्या आप सच में मानते हैं कि धन का कोईमूल्य नहीं है अगर उसे दूसरों की भलाई के लिए इस्तेमाल  किया जाए?" साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "धनस्वयं में बुरा नहीं हैलेकिन उसका उपयोग महत्वपूर्ण है। अगर धन से किसी की मदद की जाएतो वह धनमूल्यवान हो जाता है। लेकिन अगर उसे केवल अपने सुख के लिए रखा जाएतो वह बुराई का ढेर बन जाताहै।"रघुवीर सिंह ने साधु की बातों पर विचार किया और निर्णय लिया कि वे अपने धन का उपयोग गाँव केविकास के लिए करेंगे। उन्होंने गाँव के लिए एक योजना बनाई और अपने धन से एक स्कूलएक अस्पतालऔर एक पानी की टंकी का निर्माण किया। उन्होंने गाँव के युवाओं को नौकरी के अवसर भी प्रदान किए औरउन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया।धीरे-धीरे गाँव का रूप बदलने लगा। बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलनेलगीलोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो गईं और गाँव के हर कोने में साफ पानी पहुँचने लगा। गाँव के लोगरघुवीर सिंह के इस परिवर्तन से बहुत खुश थे और उनकी तारीफ करने लगे। रघुवीर सिंह ने अपने धन का सहीउपयोग करके गाँव की भलाई की और उनकी प्रतिष्ठा भी बढ़ गई।एक दिनरघुवीर सिंह के पास वही साधुफिर से आए। उन्होंने रघुवीर सिंह से कहा, "तुम्हारे इस बदलाव ने साबित कर दिया कि धन का सही उपयोगही उसे मूल्यवान बनाता है। तुमने अपने धन से गाँव की भलाई कीइससे तुम्हारा जीवन सार्थक हो गयाहै।"रघुवीर सिंह ने नम्रता से कहा, "महात्मा जीआपकी बातें मेरे लिए एक मार्गदर्शन बन गईं। मैंने समझा किधन का सही उपयोग ही उसका असली मूल्य है। अब मैं हर संभव प्रयास करूंगा कि मेरे धन से लोगों कीभलाई हो सके।"रघुवीर सिंह ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया कि वे अपने धन का उपयोग केवल अपनेलिए नहींबल्कि समाज की भलाई के लिए करेंगे। उन्होंने अपने खेतों में उगने वाली फसलों का एक हिस्सागाँव के गरीब लोगों में बाँटना शुरू किया। उन्होंने गाँव में एक पुस्तकालय भी स्थापित कियाजहाँ लोग आकरपढ़ सकते थे और अपने ज्ञान को बढ़ा सकते थे।गाँव के लोग रघुवीर सिंह के इस बदलाव से बहुत प्रभावित हुएऔर उन्हें अपना आदर्श मानने लगे। रघुवीर सिंह ने अपनी संपत्ति का सही उपयोग करके  केवल गाँव काविकास कियाबल्कि लोगों के दिलों में भी अपनी जगह बनाई।शांतिकुंज गाँव अब खुशहाल और समृद्ध बनगया था। रघुवीर सिंह ने साबित कर दिया कि अगर धन का सही उपयोग किया जाएतो वह केवल बुराई काढेर नहीं होताबल्कि समाज की भलाई का एक महत्वपूर्ण साधन बन जाता है। उनका जीवन एक उदाहरणबन गया कि सच्ची समृद्धि वही है जो दूसरों की भलाई में निहित हो।अंतरघुवीर सिंह की कहानी हमें यहसिखाती है कि धन का सही उपयोग ही उसे मूल्यवान बनाता है। अगर धन का उपयोग समाज की भलाई औरविकास के लिए किया जाएतो वह वास्तव में सार्थक हो जाता है। अन्यथावह केवल बुराई का ढेर बनकर रहजाता है। इसलिएहमें अपने धन का उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए और दूसरों की भलाई के लिए इसेलगाना चाहिए। यही सच्ची समृद्धि और मानवता का मूल है।

Saturday, June 15, 2024

खुद से प्रेम और दूसरों से घृणा

 नीलम एक छोटे से शहर में रहती थी। वह एक सामान्य परिवार से थी और उसकी परवरिश साधारण माहौल में हुई थी। नीलम बचपन से ही आत्मविश्वासी और खुशमिजाज लड़की थी। लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उसे अपनी कुछ कमियों का एहसास हुआ। उसकी नाक थोड़ी बड़ी थी, उसकी त्वचा गहरी रंगत की थी और उसकी कद काठी भी औसत से छोटी थी। वह हमेशा अपने अंदर की इन कमियों को लेकर चिंतित रहती थी।नीलम ने अपने आप को बदलने के लिए कई प्रयास किए। उसने ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया, जिम ज्वाइन किया, लेकिन कोई खास बदलाव नहीं आया। धीरे-धीरे उसने यह समझ लिया कि उसकी असली खूबसूरती उसकी बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक गुणों में है। उसने अपने आप से प्रेम करना सीखा और अपनी कमियों को अपनी ताकत बनाया।नीलम का आत्मविश्वास लौट आया और उसने जीवन को एक नई दृष्टि से देखना शुरू किया। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी नौकरी पाई। उसकी जिंदगी पटरी पर आ गई थी, लेकिन उसने यह नहीं भुलाया कि उसे भी अपनी कमियों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।उसके ऑफिस में एक नया कर्मचारी आया, जिसका नाम था रवि। रवि बहुत ही मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसमें एक कमी थीवह थोड़ा हकलाता था। ऑफिस के अन्य कर्मचारी रवि का मजाक उड़ाते और उसे नीचा दिखाने का प्रयास करते। नीलम ने यह सब देखा और उसे अपने बचपन के दिन याद आ गए, जब लोग उसकी कमियों का मजाक उड़ाते थे।नीलम ने तय किया कि वह रवि की मदद करेगी और उसे यह सिखाएगी कि उसकी कमी उसकी ताकत बन सकती है। एक दिन, उसने रवि को अपने साथ लंच पर बुलाया और उससे बात की। उसने रवि को अपनी कहानी सुनाई और बताया कि कैसे उसने अपनी कमियों के बावजूद खुद से प्रेम करना सीखा और सफलता प्राप्त की।रवि ने ध्यान से नीलम की बात सुनी और उसके अनुभवों से प्रेरित हुआ। नीलम ने उसे समझाया कि किसी की कमी के कारण उससे घृणा करना गलत है। "अगर हम अपनी कमियों के बावजूद खुद से प्रेम कर सकते हैं, तो दूसरों में एक कमी देखकर कैसे घृणा कर सकते हैं?" उसने कहा। नीलम की यह बात रवि के दिल को छू गई।नीलम ने रवि को आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कुछ उपाय बताए और उसे अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे, रवि ने अपनी हकलाहट पर काबू पाना शुरू किया और अपनी मेहनत और लगन से ऑफिस में सबकी प्रशंसा पाने लगा। नीलम की मदद और प्रेरणा ने रवि की जिंदगी बदल दी।कुछ महीनों बाद, ऑफिस में एक प्रेजेंटेशन का आयोजन किया गया, जिसमें सभी कर्मचारियों को अपने-अपने प्रोजेक्ट्स के बारे में बताना था। रवि ने भी अपने प्रोजेक्ट पर काम किया और आत्मविश्वास के साथ प्रेजेंटेशन दी। उसके प्रेजेंटेशन के बाद पूरे ऑफिस ने तालियां बजाईं और उसकी तारीफ की। रवि ने नीलम का धन्यवाद किया और कहा, "अगर आप नहीं होतीं, तो शायद मैं यह कभी नहीं कर पाता।"नीलम ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारे अंदर वह ताकत पहले से ही थी, मैंने बस तुम्हें उसे पहचानने में मदद की।" रवि ने सीखा कि कमी कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि वह हमारी पहचान का एक हिस्सा है जिसे हमें स्वीकार करना चाहिए और उसके साथ जीना सीखना चाहिए।नीलम की यह कहानी पूरे ऑफिस में फैल गई और लोगों का रवैया बदल गया। अब वे किसी की कमी का मजाक उड़ाने के बजाय उसकी मदद करने की कोशिश करते। नीलम ने अपने जीवन के अनुभवों से यह सिखाया कि सच्ची खूबसूरती बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक गुणों में होती है। अगर हम अपनी कमियों के बावजूद खुद से प्रेम कर सकते हैं, तो हमें दूसरों की कमियों को भी समझना और स्वीकार करना चाहिए।अंतनीलम की कहानी हमें यह सिखाती है कि हम सभी में कुछ न कुछ कमियाँ होती हैं, लेकिन इन कमियों के बावजूद हमें खुद से प्रेम करना चाहिए। अगर हम अपनी कमियों के बावजूद खुद से प्रेम कर सकते हैं, तो हमें दूसरों में एक कमी देखकर उनसे घृणा नहीं करनी चाहिए। हर व्यक्ति अद्वितीय है और उसकी अपनी खूबियाँ और कमियाँ होती हैं। हमें एक-दूसरे को समझना, स्वीकार करना और सहयोग करना चाहिए। यही सच्ची मानवता है।