उम्मीद की खोई रोशनी शहर के एक छोटे से मोहल्ले में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। मोहन का जीवन संघर्ष से भरा हुआ था। वह एक गरीब परिवार से था और उसके पास जीवन जीने के लिए बहुत सीमित साधनथे। परंतु, उसकी आँखों में हमेशा एक चमक और दिल में एक उम्मीद की किरण थी कि एक दिन वह अपनेपरिवार की स्थिति को सुधार पाएगा।मोहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने परिवार के भरण-पोषण के लिएएक नौकरी की तलाश में जुट गया। कई महीनों की कोशिशों के बाद, उसे एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी मिलगई। यह नौकरी उसके और उसके परिवार के लिए एक नई उम्मीद की किरण लेकर आई। मोहन ने दिन-रातमेहनत की और अपनी निष्ठा और ईमानदारी से काम किया।कुछ वर्षों बाद, उसकी मेहनत रंग लाई और उसेप्रमोशन मिला। उसकी जिंदगी अब पटरी पर आने लगी थी। वह अपने परिवार के लिए एक अच्छा घर खरीदनेऔर अपनी बहन की शादी के लिए पैसे जमा करने में सफल रहा। उसके माता-पिता उसके ऊपर गर्व महसूसकरते थे और मोहल्ले में भी उसकी तारीफ होती थी।परंतु, जीवन हमेशा एक जैसी राह पर नहीं चलता। एकदिन, कंपनी में बड़े पैमाने पर छंटनी होने लगी और मोहन की नौकरी भी चली गई। अचानक से सब कुछ बदलगया। उसकी सारी मेहनत, सारी उम्मीदें एक झटके में टूट गईं। वह हताश हो गया और उसके सामने अंधकारछा गया।मोहन ने कई जगह नौकरी के लिए आवेदन किया, पर हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। उसकीबचत धीरे-धीरे खत्म होने लगी और परिवार की स्थिति फिर से खराब होने लगी। जो लोग पहले उसकी तारीफकरते थे, अब उसे ताने मारने लगे। उसकी माँ बीमार पड़ गई और बहन की शादी भी टल गई। मोहन पूरी तरहसे टूट चुका था।वह दिन-रात अपने हालातों पर सोचता रहता और खुद को कोसता कि वह अपने परिवार कोबेहतर जिंदगी क्यों नहीं दे पाया। वह उम्मीद का धागा खो चुका था जिसके सहारे उसने अपने सपनों का महलखड़ा किया था। उसकी हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही थी।फिर एक दिन, जब मोहन अपनी ज़िंदगी सेनिराश होकर गली में बैठे थे, एक बूढ़े आदमी ने उसके पास आकर पूछा, "बेटा, क्या हुआ? क्यों इतने परेशानहो?" मोहन ने अपनी सारी कहानी उस बूढ़े आदमी को सुनाई। बूढ़े आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा, "जीवन में सबकुछ खोने से भी बुरा होता है उम्मीद को खो देना। अगर तुम्हारे पास उम्मीद है, तो तुम हर मुश्किल को पार करसकते हो। उम्मीद ही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है।"उस बूढ़े आदमी की बातों ने मोहन के दिल को छू लिया।उसे एहसास हुआ कि वह उम्मीद का दामन छोड़ चुका था, जो उसकी सबसे बड़ी गलती थी। उसने अपने आपसे वादा किया कि वह फिर से खड़ा होगा, फिर से कोशिश करेगा और इस बार वह उम्मीद का हाथ नहींछोड़ेगा।मोहन ने अपनी नई शुरुआत की योजना बनाई। उसने अपनी पुरानी स्किल्स को निखारने के लिए कुछकोर्सेज किए और फिर से नौकरी की तलाश में जुट गया। इस बार, वह निराश नहीं हुआ क्योंकि उसकी उम्मीदअब उसे हर कदम पर हौसला दे रही थी।कुछ महीनों बाद, उसे एक और कंपनी में नौकरी मिल गई। उसनेपहले से भी ज्यादा मेहनत की और कुछ ही समय में अपनी मेहनत और लगन से कंपनी में एक महत्वपूर्ण स्थानहासिल कर लिया। उसकी माँ की बीमारी का इलाज हो गया और उसकी बहन की शादी भी धूमधाम से हुई।मोहन ने सीखा कि ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, पर हमें कभी भी उम्मीद का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।उम्मीद ही वह रोशनी है जो हमें अंधेरे में रास्ता दिखाती है और हमें आगे बढ़ने की ताकत देती है।मोहन कीकहानी आज भी उस मोहल्ले में बच्चों को सुनाई जाती है, जिससे वे सीख सकें कि कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नीचाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों। उम्मीद ही वह विश्वास है जो हमें सब कुछ खोने केबाद भी फिर से खड़ा कर सकता है।अंतयह कहानी हमें सिखाती है कि ज़िंदगी में कोई भी मुश्किल स्थायी नहींहोती। अगर हमारे पास उम्मीद है, तो हम हर मुश्किल को पार कर सकते हैं और फिर से अपने सपनों को जीसकते हैं। उम्मीद ही वह सबसे बड़ी ताकत है जो हमें सब कुछ वापस पाने की हिम्मत देती है।
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