यह कहानी है एक गाँव के दो दोस्तों की, राजू और वीरू की। गाँव का नाम चंदनपुर था, जो किसानों की धरती और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर था। राजू और वीरू बचपन में ही दोस्त बन गए थे और उनकी दोस्ती कई सालों से बढ़ी हुई थी।
राजू और वीरू के पास कोई खास धन-दौलत नहीं थी, लेकिन उनमें दोनों का आपसी स्नेह और विश्वास बेहद मजबूत था। वे गाँव की प्राकृतिक सौन्दर्य को खूबसूरती से देखते थे और हमेशा खुद को जैविक संसार से जुड़े रहने का मौका चाहते थे।
एक दिन, चंदनपुर में एक पुरानी पुस्तकों की दुकान खुली, और वहां वे एक बड़ी ख़ामोशी से चले गए। पुस्तकों की महक, पुराने कागजों की गरमी, और उनकी चिपचिपी पनी के कग़ाज़ों की बजाय वे वहां की खोजी में डूबे रहे।
राजू की नजर एक पुरानी बुक पर पड़ी, जिसमें उसने "सफर करो और दुनिया देखो" लिखा हुआ देखा। उसने वीरू के पास जाकर कहा, "देख, यह किताब हमें दुनिया देखने का मौका दे सकती है।"
वीरू ने इस सुझाव को खूबसुरती से सुना और उन्होंने तय किया कि वे इस किताब की साहिबी बनेंगे। वे ने अपनी छोटी सी बचत को इस किताब की खरीददारी में लगा दिया और वे तय कर लिया कि उन्हें यह सफर करना है।
सफर की तय कर ली गई तारीख आई, और वे दोनों अपने छोटे से जुटे हुए बग्गे के साथ सफर के लिए रवाना हुए। उनका सफर आरंभिक रूप से उनके गाँव से ही शुरू हुआ, जिसने उन्हें खास खुशियों और अनदेखे रूपों के साथ पुराने साथियों के साथ मिलाया।
वे सफर के दौरान अनगिनत रुचिकर चीजें देखने को मिलीं - गिरिराज हिमालय के ऊपर चढ़ना, संगीत के महालों में खोना, और समुद्र के किनारे पर खड़ा होना। ये सब वे चीजें थीं, जिन्हें उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे देख सकेंगे।
एक दिन, जब वे एक गुफा में होली मना रहे थे, तो उन्होंने एक वृक्ष के नीचे एक विशेष प्रकार की छवि देखी। छवि में एक युवक कुछ आकाशगंगा को छू रहा था। यह दृश्य राजू और वीरू को आदर्शित किया कि उनका सफर अब खत्म हो गया है और उन्हें अपने गाँव वापस जाना चाहिए।
वे अपने गाँव की ओर पलटे, लेकिन उनके दिल में अब कुछ नया था। उनका सफर उन्हें न केवल दुनिया के अनदेखे जगहों का दर्शन करने का मौका दिलाया, बल्कि उन्होंने एक नया दृष्टिकोण भी प्राप्त किया।
वे गाँव वापस आए और अपने पुराने दोस्तों को अपने सफर के बारे में सुनाया। उन्होंने यह सिखा कि दोस्तों के साथ बिताया हुआ समय हमें अनमोल यादें देता है, जो किताबों में नहीं मिल सकती। वे दोनों यह भी समझ गए कि सफर का मतलब तब होता है जब हम उसे अपने साथियों के साथ करते हैं, और उनके साथ बिताए गए समय की महत्वपूर्ण यादें बनती हैं।
राजू और वीरू ने अपने दोस्तों से यह सिखाया कि ज़िंदगी के सारे तजुर्बे और सीख खुद ज़िंदगी से ही मिलते हैं, और वे किताबों में नहीं मिलते। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका देना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और हमारे साथ हर कदम पर होते हैं।
इसके बाद से, राजू और वीरू ने अपने दोस्तों के साथ हर अच्छे और बुरे समय का मजा उठाया और उनके साथ बिताये हुए समय की महत्वपूर्ण यादों का आनंद लिया। वे जाने आज भी बेहद खुश हैं और उनकी दोस्ती एक अनमोल निशानी है कि जब दोस्तों की दोस्ती मजबूत होती है, तो वे किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।