एक बचपन से एक लड़की अपनी तुलना हमेशा दूसरों से करती थी। उसके अपने घर के सभी दोस्त थे, लेकिन उसे हमेशा लगता था कि वे उससे बेहतर हैं। यह सोचकर वह बहुत असुरक्षित हो गई थी और उसने अपनी स्वभाव बदल ली। वह दूसरों के लिए कभी भी खुश नहीं थी।
उस लड़की का एक दिन एक संगीत वादक के पास जाने का मौका मिला। वह उससे मिलने गई और उसके साथ अपनी समस्या के बारे में बात की। संगीत वादक ने उसे समझाया कि उसकी स्वभाव उसी की खासियत है। उसने उसकी तुलना किसी दूसरे से नहीं की जानी चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति अनूठा होता है।
इससे उस लड़की की सोच बदल गई थी। उसने सबकुछ छोड़ दिया जो उसे असुरक्षित और अपूर्ण महसूस करवा रहा था। उसने अपनी स्वभाव बदली और अपनी तुलना किसी और से नहीं की। वह अब खुश है और अपने जीवन का हर पल अपनी सफलता का आनंद ले रही है।
दूसरों से अपनी तुलना करने की आदत बहुत से लोगों की जीवन में होती है। वे दूसरों की सफलता के आधार पर खुश रहना चाहते हैं और अपनी तुलना करते हुए निराश हो जाते हैं। इससे उन्हें अपनी कमियों और गलतियों का पता नहीं चलता है जो उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ने से रोक रही होती हैं।
एक ऐसी कहानी है, जो बताती है कि हमें दूसरों से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए।
एक लड़की थी जो अपनी दोस्त से हमेशा अपनी तुलना करती थी। वह दोस्त स्कूल में उससे अधिक स्मार्ट, तलाक़ और सफल थी। लड़की को हमेशा दोस्त की तुलना करने की आदत थी। उसके मन में यह ख्याल होता था कि वह असफल है और अच्छी तरह से नहीं पढ़ सकती।
एक दिन उसके टीचर ने उसे स्पष्ट कर दिया कि वह कितनी तलाक़ और स्मार्ट है। उसने अपनी तुलना बंद कर दी और समझ गई कि वह भी अपने अंदर कुछ बातें हैं जो उसे खास बनाती हैं।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि हमारी खुद की तुलना किसी दूसरे से करने से हमारी खुद की खोज में विघ्न आते हैं। जब हम खुद को स्वीकार करते हैं तो हमारे अंदर का उस संदेश को आसानी से सबके सामने आने मिलता है जो की हमें एक परिपूर्ण व्यक्ति बनने की दिशा में मदद करता है। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हमारी खुशियां, असफलताएं, उपलब्धियां और असफलताएं किसी दूसरे से नहीं बल्कि हमारे अंदर होती हैं।