Thursday, March 9, 2017

भिखारी की जाती

एक बड़े मुल्क के राष्ट्रपति के बेडरूम की खिड़की सड़क की ओर खुलती थी। रोज़ाना हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे। राष्ट्रपति इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान लेते।

राष्ट्रपति ने एक सुबह खिड़की का परदा हटाया। भयंकर सर्दी। आसमान से गिरते रुई के फाहे। दूर-दूर तक फैली सफ़ेद चादर। अचानक उन्हें दिखा कि बेंच पर एक आदमी बैठा है। ठंड से सिकुड़ कर गठरी सा होता हुआ ।

राष्ट्रपति ने पीए को कहा -उस आदमी के बारे में जानकारी लो और उसकी ज़रूरत पूछो।

दो घंटे बाद पीए ने राष्ट्रपति को बताया - सर, वो एक भिखारी है। उसे ठंड से बचने के लिए एक अदद कंबल की ज़रूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा -ठीक है, उसे कंबल दे दो।

अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से पर्दा हटाया। उन्हें घोर हैरानी हुई। वो भिखारी अभी भी वहां जमा है। उसके पास ओढ़ने का कंबल अभी तक नहीं है।

राष्ट्रपति गुस्सा हुए और पीए से पूछा - यह क्या है? उस भिखारी को अभी तक कंबल क्यों नहीं दिया गया?

पीए ने कहा -मैंने आपका आदेश सेक्रेटरी होम को बढ़ा दिया था। मैं अभी देखता हूं कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ।

थोड़ी देर बाद सेक्रेटरी होम राष्ट्रपति के सामने पेश हुए और सफाई देते हुए बोले - सर, हमारे शहर में हज़ारों भिखारी हैं। अगर एक भिखारी को कंबल दिया तो शहर के बाकी भिखारियों को भी देना पड़ेगा और शायद पूरे मुल्क में भी। अगर न दिया तो आम आदमी और मीडिया हम पर भेदभाव का इल्ज़ाम लगायेगा।

राष्ट्रपति को गुस्सा आया - तो फिर ऐसा क्या होना चाहिए कि उस ज़रूरतमंद भिखारी को कंबल मिल जाए।

सेक्रेटरी होम ने सुझाव दिया -सर, ज़रूरतमंद तो हर भिखारी है। आपके नाम से एक 'कंबल ओढ़ाओ, भिखारी बचाओ' योजना शुरू की जाये। उसके अंतर्गत मुल्क के सारे भिखारियों को कंबल बांट दिया जाए।

राष्ट्रपति खुश हुए। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से परदा हटाया तो देखा कि वो भिखारी अभी तक बेंच पर बैठा है। राष्ट्रपति आग-बबूला हुए। सेक्रेटरी होम तलब हुए।

उन्होंने स्पष्टीकरण दिया -सर, भिखारियों की गिनती की जा रही है ताकि उतने ही कंबल की खरीद हो सके।

राष्ट्रपति दांत पीस कर रह गए। अगली सुबह राष्ट्रपति को फिर वही भिखारी दिखा वहां। खून का घूंट पीकर रहे गए वो।
सेक्रेटरी होम की फ़ौरन पेशी हुई।

विनम्र सेक्रेटरी ने बताया -सर, ऑडिट ऑब्जेक्शन से बचने के लिए कंबल ख़रीद का शार्ट-टर्म कोटेशन डाला गया है। आज शाम तक कंबल ख़रीद हो जायेगी और रात में बांट भी दिए जाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा -यह आख़िरी चेतावनी है। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की पर से परदा हटाया तो देखा बेंच के इर्द-गिर्द भीड़ जमा है। राष्ट्रपति ने पीए को भेज कर पता लगाया।

पीए ने लौट कर बताया -कंबल नहीं होने के कारण उस भिखारी की ठंड से मौत हो गयी है।

गुस्से से लाल-पीले राष्ट्रपति ने फौरन से सेक्रेटरी होम को तलब किया।

सेक्रेटरी होम ने बड़े अदब से सफाई दी -सर, खरीद की कार्यवाही पूरी हो गई थी। आनन-फानन में हमने सारे कंबल बांट भी दिए। मगर अफ़सोस कंबल कम पड़ गये।

राष्ट्रपति ने पैर पटके -आख़िर क्यों? मुझे अभी जवाब चाहिये।

सेक्रेटरी होम ने नज़रें झुकाकर बोले: श्रीमान पहले हमने कम्बल अनुसूचित जाती ओर जनजाती के लोगो को दिया. फिर अल्पसंख्यक लोगो को. फिर ओ बी सी ... करके उसने अपनी बात उनके सामने रख दी. आख़िर में जब उस भिखारी का नंबर आया तो कंबल ख़त्म हो गए।

राष्ट्रपति चिंघाड़े -आखिर में ही क्यों?

सेक्रेटरी होम ने भोलेपन से कहा -सर, इसलिये कि उस भिखारी की जाती ऊँची थी और  वह आरक्षण की श्रेणी में नही आता था, इसलिये उस को नही दे पाये ओर जब उसका नम्बर आया तो कम्बल ख़त्म हो गये.

नोट : वह बड़ा मुल्क भारत है जहाँ की योजनाएं इसी तरह चलती हैं और कहा जाता है कि भारत में सब समान हैं सबका बराबर का हक़ है।

Monday, March 6, 2017

"शिक्षा विभाग"

कुछ नन्हीं चींटीयां   रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम अपना काम समय पर करती थी.....

वे जरूरत से ज्यादा काम करके भी खूब खुश थी.......
जंगल के राजा शेर  नें एक दिन चींटीयों को काम करते हुए देखा, और आश्चर्यचकित हुआ कि चींटीयां बिना किसी निरीक्षण के काम कर रही थी........

उसने सोचा कि अगर चींटीयां बिना किसी सुपरवाईजर के इतना काम, कर रही थी तो जरूर सुपरवाईजर के साथ वो अधिक काम कर सकती थी.......

उसनें काक्रोच   को नियुक्त किया जिसे सुपरवाईजरी  का 10 साल का अनुभव था,

और वो रिपोर्टों का बढ़िया अनुसंधान करता था .....

  काक्रोच नें आते ही साथ सुबह आने का टाइम, लंच टाईम और जाने का टाईम निर्धारित किया, और अटेंडेंस रजिस्टर बनाया...

..उसनें अपनी रिपोर्टें टाईप करने के लिये, सेकेट्री भी रखी....

उसनें मकड़ी  को नियुक्त किया जो सारे फोनों  का जवाब देता था और सारे रिकार्डों को मेनटेन करता था......

  शेर को काक्रोच   की रिपोर्टें   पढ़ कर बड़ी खुशी हुई, उसने काक्रोच से कहा कि वो प्रोडक्शन एनालिसिस करे और, बोर्ड मीटिंग में प्रस्तुत करने के लिये ग्राफ   बनाए......

इसलिये काक्रोच को नया कम्प्यूटर  और लेजर प्रिंटर खरीदना पड़ा.........

और उसनें आई टी डिपार्टमैंट संभालने के लिए मक्खी   को नियुक्त किया........

  चींटी जो शांति के साथ पूरा करना चाहती थी इतनी रिपोर्टों को लिखकर और मीटिंगों से परेशान होने लगी.......

  शेर ने सोचा कि अब वक्त आ गया है कि जहां चींटी काम करती है वहां डिपार्टमेंट का अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिये....

उसनें झींगुर  को नियुक्त किया, झींगुर ने आते ही साथ अपने आॅफिस के लिये कार्पेट और ए.सी. खरीदा.....

नये बाॅस झींगुर को भी कम्प्यूटर  की जरूरत पड़ी और उसे चलाने के लिये वो अपनी पिछली कम्पनी में काम कर रही असिस्टंट को भी नई कम्पनी में ले आया.........

  चींटीयां जहां काम कर रही थी वो दुःख भरी जगह हो गयी जहां सब एक दूसरे पर आदेश चलाते थे और  चिल्लाते रहते थें.....

.झींगुर ने शेर को कुछ समय बाद बताया कि आॅफिस मे टीमवर्क कमजोर हो गया है और माहौल बदलने के लिए कुछ करना चाहिये......

  चींटीयों के डिपार्टमेंट की रिव्यू करते वक्त शेर ने देखा कि पहले से उत्पादकता बहुत कम हो गयी थी.......

उत्पादकता बढ़ाने के लिये शेर ने एक प्रसिद्ध कंसलटेंट उल्लू को नियुक्त किया.......

उल्लू नें चींटीयों के विभाग का गहन अघ्ययन तीन महीनों तक किया फिर उसनें अपनी 1200   पेज की रिपोर्ट दी जिसका निष्कर्ष था कि विभाग में बहुत ज्यादा लोग हैं.....

जो कम करने की आवश्यकता है......

सोचिये शेर   ने नौकरी से किसको निकाला....??? नन्हीं चींटीयों को  ...

क्योंकि उसमें “ नेगेटिव एटीट्यूड, टीमवर्क, और मोटिवेशन की कमी थी....

Friday, March 3, 2017

मदमस्त हाथी

एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो गई थी। अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया। गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं | जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे। इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा। वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा ? उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था। हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं। एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी। कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी। अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया। तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे। पार्वती ने शिव से उसे बचाने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा - मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो। उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।
एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार। आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए।
मित्रों.. वह जिस जंगल में जा रहा था, वह जंगल है  दुनिया, अंधेरा है  अज्ञान पेड़ की डाली है  आयु दिन-रात  दो चूहे उसे कुतर रहे हैं। घमंड  मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है। शहद की बूंदें  सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है.....। यानी, सुख की माया में खोए मन को   भगवान भी नहीं बचा सकते....

Wednesday, March 1, 2017

कड़वा सच

एक दिन पंडित को प्यास लगी, संयोगवश घर में पानी नहीं था। इसलिए उसकी पत्नी पड़ोस से पानी ले आई। पानी पीकर पंडित ने पूछा....

पंडित - कहाँ से लायी हो? बहुत ठंडा पानी है।

पत्नी - पड़ोस के कुम्हार के घर से।

(पंडित ने यह सुनकर लोटा फेंक दिया और उसके तेवर चढ़ गए। वह जोर-जोर से चीखने लगा )

पंडित - अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया। कुम्हार ( शूद्र ) के घर का पानी पिला दिया।

(पत्नी भय से थर-थर कांपने लगी)

उसने पण्डित से माफ़ी मांग ली।

पत्नी - अब ऐसी भूल नहीं होगी।

शाम को पण्डित जब खाना खाने बैठा तो घर में खाने के लिए कुछ नहीं था।

पंडित - रोटी नहीं बनाई। भाजी नहीं बनाई। क्यों????

पत्नी - बनायी तो थी। लेकिन अनाज पैदा करने वाला कुणबी(शूद्र) था और जिस कड़ाई में बनाया था, वो कड़ाई लोहार (शूद्र) के घर से आई थी। सब फेंक दिया।

पण्डित - तू पगली है क्या?? कहीं अनाज और कढ़ाई में भी छूत होती है?

यह कह कर पण्डित बोला- कि पानी तो ले आओ।

पत्नी - पानी तो नहीं है जी।

पण्डित - घड़े कहाँ गए???

पत्नी - वो तो मैंने फेंक दिए। क्योंकि कुम्हार के हाथ से बने थे।

पंडित बोला- दूध ही ले आओ। वही पीलूँगा।

पत्नी - दूध भी फेंक दिया जी। क्योंकि गाय को जिस नौकर ने दुहा था, वो तो नीची (शूद्र) जाति से था।

पंडित- हद कर दी तूने तो यह भी नहीं जानती की दूध में छूत नहीं लगती है।

पत्नी-यह कैसी छूत है जी, जो पानी में तो लगती है, परन्तु दूध में नहीं लगती।

(पंडित के मन में आया कि दीवार से सर फोड़ लूं)

वह गुर्रा कर बोला - तूने मुझे चौपट कर दिया है जा अब आंगन में खाट डाल दे मुझे अब नींद आ रही है।

पत्नी- खाट!!!! उसे तो मैनें तोड़ कर फेंक दिया है जी। क्योंकि उसे शूद्र (सुथार ) जात वाले ने बनाया था।

पंडित चीखा - वो फ़ूलों का हार तो लाओ। भगवान को चढ़ाऊंगा, ताकि तेरी अक्ल ठिकाने आये।

पत्नी - हार तो मैंने फेंक दिया। उसे माली (शूद्र) जाति के आदमी ने बनाया था।

पंडित चीखा- सब में आग लगा दो, घर में कुछ बचा भी हैं या नहीं।

पत्नी - हाँ यह घर बचा है, इसे अभी तोड़ना बाकी है। क्योंकि इसे भी तो पिछड़ी जाति के मजदूरों ने बनाया है।

पंडित के पास कोई जबाब नहीं था।
उसकी अक्ल तो ठिकाने आयी।
बाकी लोगों कि भी आ जायेगी।

सिर्फ इस कहानी को आगे फॉरवर्ड करो।
हो सकता है देश से जातिय भेदभाव खत्म हो जाये।
एक कदम बढ़ाकर तो देखो...!!

Sunday, February 26, 2017

क्लास रूम

क्लास रूम में प्रोफेसर ने एक सीरियस टॉपिक पर चर्चा प्रारंभ की। जैसे ही वे ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखने के लिए पलटे तो तभी एक शरारती छात्र ने सीटी बजाई। प्रोफेसर ने पलटकर सारी क्लास को घूरते हुए " सीटी किसने मारी " पूछा, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। प्रोफेसर ने शांति से अपना सामान समेटा और आज की
क्लास समाप्त बोलकर, बाहर की तरफ बढ़े। स्टूडेंट्स खुश हो गए कि, चलो अब फ्री हैं। अचानक प्रोफेसर रुके, वापस अपनी टेबल पर पहुँचे और बोले---"  चलो, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ , इससे हमारे बचे हुए समय का उपयोग भी हो जाएगा। " सभी स्टूडेंट्स उत्सुकता और इंटरेस्ट के साथ कहानी सुनने लगे। प्रोफेसर बोले---" कल रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि, कार में पेट्रोल भरवाकर ले आता हूँ जिससे सुबह मेरा समय बच जाएगा। पेट्रोल पम्प से टैंक फुल कराकर मैं आधी रात को सूनसान पड़ी सड़कों पर ड्राइव का आनंद लेने लगा। अचानक एक चौराहे के कार्नर पर मुझे एक बहुत खूबसूरत लड़की शानदार ड्रेस पहने हुए अकेली खड़ी नजर आई। मैंने कार रोकी और उससे पूछा कि, क्या मैं उसकी कोई सहायता कर सकता हूँ तो उसने कहा
कि, उसे उसके घर ड्रॉप कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी। मैंने सोचा नींद तो वैसे भी नहीं आ रही है , चलो, इसे इसके घर छोड़ देता हूँ। वो मेरी बगल की सीट पर बैठी। रास्ते में हमने बहुत बातें कीं। वो बहुत इंटेलिजेंट थी, ढेरों टॉपिक्स पर उसका कमाण्ड था। जब कार उसके बताए एड्रेस पर पहुँची तो उतरने से पहले वो बोली कि,
वो मेरे नेचर और व्यवहार से बेहद प्रभावित हुई है और मुझसे प्यार करने लगी है। मैं खुद भी उसे पसंद करने लगा था। मैंने उसे बताया कि, " मैं यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हूँ। " वो बहुत खुश हुई फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर लिया और अपना नंबर दिया। अंत में उसने बताया की, उसका भाई भी यूनिवर्सिटी में ही पढ़ता है और उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि, मैं उसके भाई का ख़याल रखूँ। मैंने कहा कि, " तुम्हारे भाई के लिए कुछ भी करने पर मुझे बेहद खुशी होगी। क्या नाम है तुम्हारे भाई का...?? ". इस पर लड़की ने कहा कि, " बिना नाम बताए भी आप उसे पहचान सकते हैं क्योंकि वो सीटी बहुत ज्यादा और बहुत बढ़िया बजाता है। " जैसे ही प्रोफेसर ने सीटी वाली बात की तो, तुरंत क्लास के सभी स्टूडेंट्स उस छात्र की तरफ देखने लगे, जिसने प्रोफ़ेसर की पीठ पर सीटी बजाई थी। प्रोफेसर उस लड़के की तरफ घूमे और उसे घूरते हुए बोले- " बेटा, मैंने अपनी पी एच डी की डिग्री, मटर छीलकर हासिल नहीं की है, हरामखोर निकल क्लास से बाहर...!! "

Friday, February 24, 2017

तुलसी विवाह

`तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा``` -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर``` आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।
सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगे और प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।
उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग```
```स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में```
```किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !

Wednesday, February 22, 2017

कलियुग

पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था।
पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान ढूंढ रहे थे,
उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पड़ी शनिदेव के मन में विचार आया कि इन सब में बुद्धिमान कौन है परिक्षा ली जाय।
शनिदेव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण।
अचानक भीम की नजर महल पर पड़ी
और वो आकर्षित हो गया ,
भीम, यधिष्ठिर से बोला- भैया मुझे महल देखना है भाई ने कहा जाओ ।
भीम महल के द्वार पर पहुंचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे,
भीम बोला- मुझे महल देखना है!
शनिदेव ने कहा- महल की कुछ शर्त है ।
1- शर्त महल में चार कोने हैं आप एक ही कोना देख सकते हैं।
2-शर्त महल में जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करोगे।
3-शर्त अगर व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जाओगे।
भीम ने कहा- मैं स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा ।
और वह महल के पूर्व छोर की ओर गया ।
वहां जाकर उसने अद्भूत पशु पक्षी और फूलों एवं फलों से लदे वृक्षों का नजारा देखा,
आगे जाकर देखता है कि तीन कुंए है अगल-बगल में छोटे कुंए और बीच में एक बडा कुआ।
बीच वाला बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है तो खाली पड़े बड़े कुंए का पानी आधा रह जाता है इस क्रिया को भीम कई बार देखता है पर समझ नहीं पाता और लौटकर दरबान के पास आता है।
दरबान - क्या देखा आपने ?
भीम- महाशय मैंने पेड़ पौधे पशु पक्षी देखा वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था जो अजीब थे। एक बात समझ में नहीं आई छोटे कुंए पानी से भर जाते हैं बड़ा क्यों नहीं भर पाता ये समझ में नहीं आया।
दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये हैं और बंदी घर में बैठा दिया।
अर्जुन आया बोला- मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले छोर की तरफ चला गया।
आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है। एक खेत में दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दूसरी तरफ मक्का की फसल ।
बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा
मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही । अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया।
दरबान ने पुछा क्या देखा,
अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ में नहीं आई।
शनिदेव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं ।
नकुल आया बोला मुझे महल देखना है ।
फिर वह उत्तर दिशा की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बछियों का दूध पीती है उसे कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया ।
शनिदेव ने पुछा क्या देखा ?
नकुल बोला महाशय गाय बछियों का दूध पीती है यह समझ नहीं आया तब उसे भी बंदी बना लिया।
सहदेव आया बोला मुझे महल देखना है और वह दक्षिण दिशा की और गया अंतिम कोना देखने के लिए क्या देखता है वहां पर एक सोने की बड़ी शिला एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डोले पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है समझ नहीं आया वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ में नहीं आई तब वह भी बंदी हो गया।
चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल में गये।
भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है।
युधिष्ठिर बोला भीम तुमने क्या देखा ?
भीम ने कुंऐ के बारे में बताया
तब युधिष्ठिर ने कहा- यह कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगे।
भीम को छोड़ दिया।
अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा ??
उसने फसल के बारे में बताया
युधिष्ठिर ने कहा- यह भी कलियुग में होने वाला है वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शूद्र की लड़की और शूद्र के घर बनिए की लड़की ब्याही जायेंगी।
अर्जुन भी छूट गया।
नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया ।
तब युधिष्ठिर ने कहा- कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी बेटी का दाना खायेंगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे ।
तब नकुल भी छूट गया।
सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, उसने सोने की शिला का वृतांत बताया,
तब युधिष्ठिर बोले- कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।।  आज के कलयुग में यह सारी बातें सच साबित हो रही है