Sunday, June 24, 2018

मन की हालत

एक बार एक सेठ ने पंडित जी को निमंत्रण किया पर पंडित जी का एकादशी का व्रत था तो  पंडित जी नहीं जा सके पर पंडित जी ने अपने दो शिष्यो को सेठ के यहाँ भोजन के लिए भेज दिया.

पर जब दोनों शिष्य वापस लौटे तो उनमे एक शिष्य दुखी और दूसरा प्रसन्न था!

पंडित जी को देखकर आश्चर्य हुआ और पूछा बेटा क्यो दुखी हो -- क्या सेठ नेभोजन मे अंतर कर दिया ? 

"नहीं गुरु जी" 

क्या सेठ ने आसन मे अंतर कर दिया ? 

"नहीं गुरु जी" 

क्या सेठ ने दच्छिना मे अंतर कर दिया ? 

"नहीं गुरु जी ,बराबर दच्छिना दी 2 रुपये मुझे और 2 रुपये दूसरे को"

अब तो गुरु जी को और भी आश्चर्य हुआ और पूछा फिर क्या कारण है ? 
जो तुम दुखी हो ?

तब दुखी चेला बोला गुरु जी मे तो सोचता था सेठ बहुत बड़ा आदमी है कम से कम 10 रुपये दच्छिना देगा पर उसने 2 रुपये दिये इसलिए मे दुखी हू !!

अब दूसरे से पूछा तुम क्यो प्रसन्न हो ?

तो दूसरा बोला गुरु जी मे जानता था सेठ बहुत कंजूस है आठ आने से ज्यादा दच्छिना नहीं देगा पर उसने 2 रुपए दे दिये तो मे प्रसन्न हू ...!

बस यही हमारे मन का हाल है संसार मे घटनाए समान रूप से घटती है पर कोई उनही घटनाओ से सुख प्राप्त करता है कोई दुखी होता है ,पर असल मे न दुख है न सुख ये हमारे मन की स्थिति पर निर्भर है!

इसलिए मन प्रभु चरणों मे लगाओ ,क्योकि - कामना पूरी न हो तो दुख और कामना पूरी हो जाये तो सुख पर यदि कोई कामना ही न हो तो आनंद ...
जिस शरीर को लोग सुन्दर समझते हैं।
मौत के बाद वही शरीर सुन्दर क्यों नहीं लगता ? 
उसे घर में न रखकर जला क्यों दिया जाता है ? 
जिस शरीर को सुन्दर मानते हैं।
जरा उसकी चमड़ी तो उतार कर देखो।
तब हकीकत दिखेगी कि भीतर क्या है ?  
भीतर तो बस 
रक्त, 
रोग, 
मल 
और 
कचरा 
भरा पड़ा है ! 
फिर यह शरीर सुन्दर कैसे हुआ.?
शरीर में कोई सुन्दरता नहीं है ! 
सुन्दर होते हैं 
व्यक्ति के कर्म, 
उसके विचार, 
उसकी वाणी, 
उसका व्यवहार, 
उसके  संस्कार, 
और 
उसका चरित्र !  
जिसके जीवन में यह सब है।
वही इंसान दुनियां का सबसे सुंदर शख्स है .... !!

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