छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे भानुप्रतापपुर में रहने वाला रवि एक सामान्य परिवार का लड़का था। उसके पिता एक बढ़ई थे और मां घरों में काम करती थीं। रवि पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन परिस्थितियाँ उसकी राह को कठिन बना रही थीं।
रवि का सपना था—एक दिन बड़ा अफसर बनकर अपने मां-बाप को आराम की जिंदगी देना। जब भी वो आंखें बंद करता, खुद को पुलिस की वर्दी में देखता। पर जैसे ही आंखें खुलतीं, टूटे चप्पल, किताबों की कमी और दो वक्त की रोटी की चिंता सामने खड़ी मिलती।
एक दिन स्कूल में शिक्षक ने पूछा, "तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो?"
सब बच्चों ने जल्दी-जल्दी जवाब दिए—डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर...
रवि चुप था। जब गुरुजी ने उसे टोका, तो उसने धीरे से कहा, "मैं IPS बनना चाहता हूं।"
क्लास हँसने लगी। एक लड़का बोला, "तेरे जैसे गरीब लड़के के लिए सपना देखना ही गुनाह है!"
रवि की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उस दिन घर आकर वह बहुत देर तक सोचता रहा। फिर उसने एक पेन उठाया और अपने कमरे की दीवार पर लिखा:
"सपने वो नहीं जो नींद में आएं, सपने वो हैं जो नींद को तोड़ दें!"
अगले दिन से रवि की जिंदगी बदल गई। वह सुबह 4 बजे उठता, खेत के कोने में बैठकर टॉर्च की रोशनी में पढ़ता। स्कूल से लौटकर मां के काम में हाथ बंटाता और फिर रात को फिर से पढ़ाई करता। उसके दोस्त खेलते, त्योहार मनाते, लेकिन रवि के पास सिर्फ एक ही त्योहार था—उसका सपना।
धीरे-धीरे उसके शिक्षक भी उसके जुनून को समझने लगे और मदद करने लगे। किताबें जुटाईं, पुराने नोट्स दिए और मोटिवेशन दिया।
पर रास्ता आसान नहीं था। एक बार उसके पिता बीमार पड़ गए और घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया। मां बोली, "रवि, पढ़ाई बाद में कर लेना, पहले कुछ काम कर लो।"
रवि ने मां का हाथ थामा और कहा, "अम्मा, अगर मैं अभी रुक गया, तो हम हमेशा ऐसे ही जिएंगे। थोड़ी तकलीफ और सही, पर एक दिन मैं सब बदल दूंगा।"
उसने दिन में सब्जी बेचने का काम शुरू किया और रात में पढ़ाई करता रहा। जिस उम्र में बच्चे मोबाइल पर गेम खेलते हैं, रवि अपनी किताबों के पन्नों में भविष्य तलाशता रहा।
सालों की मेहनत के बाद वह दिन आया जब UPSC का रिजल्ट आया। गांव में किसी के पास इंटरनेट नहीं था, तो रवि साइकिल से 10 किलोमीटर दूर साइबर कैफे गया। रोल नंबर डाला, स्क्रीन पर लिखा था—“Qualified – IPS”
रवि की आंखों से आंसू बह निकले। वो भागकर अपने गांव लौटा और अपनी मां को गले लगाकर कहा, "अम्मा, अब तुम दूसरों के घर नहीं जाओगी। अब सब बदल जाएगा।"
पूरा गांव चकित था। वही लड़का, जिस पर कभी हंसी उड़ाई गई थी, अब गर्व का प्रतीक बन गया था।
रवि ने दीवार से वह पुराना कागज निकाला और एक नई फ्रेम में सजाकर अपने ऑफिस में लगाया—
"सपने वो नहीं जो नींद में आएं, सपने वो हैं जो नींद को तोड़ दें!"
सीख:
सपने वो नहीं होते जो सोते वक्त सुंदर लगें। असली सपने वो होते हैं जो इंसान को सोने न दें, जो हर सुबह एक मकसद के साथ उठने को मजबूर करें, और जो हिम्मत, जुनून और मेहनत से पूरे किए जाएं।