Friday, October 24, 2025

लगातार प्रयास की ताकत

एक छोटे से गाँव में आकाश नाम का लड़का रहता था। आकाश बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली था, लेकिन कभी-कभी वह आसानी से हार मान लेता था। वह सोचता था कि सफलता केवल प्रतिभा या किस्मत से मिलती है। लेकिन उसके गुरुजी ने उसे बार-बार समझाया, “सफलता का रहस्य केवल लगातार प्रयास करना है। यदि तुम लगातार मेहनत करोगे और धैर्य रखोगे, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

एक दिन गाँव में विज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। आकाश ने भी हिस्सा लेने का निर्णय लिया। उसने सोचा कि सिर्फ अच्छे विचार ही काफी होंगे, लेकिन गुरुजी ने उसे याद दिलाया कि विचार और योजना केवल शुरुआत हैं, सफलता के लिए निरंतर प्रयास और मेहनत जरूरी है।

आकाश ने अपनी तैयारी शुरू की। उसने रोज़ाना घंटे-घंटे प्रयोग किए, किताबें पढ़ीं और अपने प्रोजेक्ट को बेहतर बनाने की कोशिश की। शुरुआत में कई बार उसके प्रयोग असफल हुए। कभी उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहे थे, तो कभी गणनाएँ गलत हो रही थीं। लेकिन आकाश ने हार नहीं मानी। उसने समझा कि असफलताएँ केवल सीखने का अवसर हैं। उसने हर गलती से नई चीज़ें सीखीं और अपने प्रोजेक्ट को सुधारते गए।

धीरे-धीरे आकाश के लगातार प्रयास रंग लाने लगे। उसके प्रयोग सफल होने लगे और उसकी समझ और आत्मविश्वास बढ़ा। प्रतियोगिता के दिन उसने अपने प्रोजेक्ट को बड़े आत्मविश्वास और तैयारी के साथ प्रस्तुत किया। जज और दर्शक उसकी मेहनत और लगन देखकर बहुत प्रभावित हुए। आकाश ने साबित किया कि लगातार प्रयास ही सफलता की कुंजी है।

आकाश की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में कोई भी लक्ष्य केवल सोच या योजना से नहीं मिलता। असफलताएँ और कठिनाइयाँ हर किसी के रास्ते में आती हैं। लेकिन जो व्यक्ति लगातार प्रयास करता है, धैर्य रखता है और सीखता रहता है, वही अंततः सफलता प्राप्त करता है।

यह कहानी यह भी बताती है कि लगातार प्रयास का मतलब केवल मेहनत करना नहीं है, बल्कि हर प्रयास से सीखना और सुधार करना भी है। आकाश ने अपने हर असफल प्रयास से नया अनुभव और ज्ञान प्राप्त किया, और अंततः अपने सपनों को साकार किया।

अंततः, आकाश ने यह सिद्ध किया कि सफलता का रहस्य लगातार प्रयास करना है। उसकी कहानी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई, जो यह दर्शाती है कि यदि हम अपने लक्ष्य के प्रति लगातार मेहनत करें, असफलताओं से सीखें और कभी हार न मानें, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।

Sunday, October 19, 2025

कभी हार न मानने वाला

एक छोटे से गाँव में रितेश नाम का लड़का रहता था। रितेश बचपन से ही बहुत उत्साही और जिज्ञासु था। उसका सपना था कि वह एक दिन अपने गाँव के लिए नई तकनीकें लेकर आए और लोगों की जिंदगी आसान बनाए। लेकिन शुरुआत में उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसके प्रयोग असफल होते, उसके विचार दूसरों को अजीब लगते और कई बार लोग उसे हतोत्साहित करते।

रितेश ने महसूस किया कि यदि वह इन कठिनाइयों से डर जाएगा, तो उसके सपने कभी सच नहीं होंगे। उसने अपने गुरुजी की वह बात याद की, “मैं यह नहीं कहता कि मैं असफल नहीं हुआ, बल्कि मैंने कभी हार नहीं मानी। इस विचार ने रितेश को प्रेरित किया कि असफलताएँ सिर्फ अनुभव हैं, और असली हार केवल तब होती है जब हम प्रयास करना बंद कर दें।

रितेश ने लगातार मेहनत शुरू की। उसने हर असफल प्रयोग से कुछ नया सीखा। कभी मशीन काम नहीं करती थी, तो कभी गणनाएँ गलत हो जाती थीं। लेकिन रितेश ने कभी निराशा नहीं मानी। उसने हर असफलता को अपनी ताकत बनाया और नए समाधान खोजते हुए आगे बढ़ता रहा।

धीरे-धीरे रितेश की मेहनत रंग लाने लगी। उसने अपने प्रोजेक्ट में सुधार किया, नए उपकरण बनाए और अपनी तकनीक को और बेहतर बनाया। गाँव के लोग भी उसकी लगन और साहस देखकर प्रेरित होने लगे। उन्होंने देखा कि रितेश कभी हार नहीं मानता और हर कठिनाई को पार करने की कोशिश करता है।

अंततः, रितेश ने एक ऐसा आविष्कार किया, जिसने गाँव के किसानों की पैदावार बढ़ाई और उनकी जीवनशैली में सुधार किया। उसने साबित किया कि सफलता केवल प्रतिभा से नहीं, बल्कि कभी हार न मानने वाले आत्मविश्वास और लगातार प्रयास से मिलती है।

रितेश की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में असफलताएँ हमेशा आएंगी, लेकिन उन्हें हमारे आत्मविश्वास और मेहनत के मार्ग में बाधा नहीं बनने देना चाहिए। जो लोग गिरते हैं लेकिन उठते हैं, जो लोग असफल होते हैं लेकिन प्रयास करना जारी रखते हैं, वही असली विजेता हैं।

यह कहानी यह भी स्पष्ट करती है कि असफलता डरने की चीज़ नहीं है, बल्कि सीखने और बढ़ने का अवसर है। रितेश ने साबित किया कि असली ताकत हमारी मानसिक दृढ़ता और कभी हार न मानने की क्षमता में होती है।

अंततः, रितेश ने यह सिद्ध किया कि “मैं यह नहीं कहता कि मैं असफल नहीं हुआ, बल्कि मैंने कभी हार नहीं मानी। उसकी कहानी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई, जो यह दर्शाती है कि यदि हम अपने सपनों के प्रति समर्पित रहें, लगातार प्रयास करें और कभी हार न मानें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

Tuesday, October 14, 2025

अपनी ज़िंदगी का महत्व समझो

एक छोटे से शहर में रिया नाम की लड़की रहती थी। रिया बहुत प्रतिभाशाली और होशियार थी, लेकिन वह अक्सर दूसरों की राय और अपेक्षाओं में उलझ जाती थी। वह सोचती कि उसे वही करना चाहिए जो उसके दोस्त, परिवार या समाज चाहते हैं। धीरे-धीरे उसने महसूस किया कि वह अपनी इच्छाओं और सपनों को भूलती जा रही है।

एक दिन उसके गुरुजी ने उसे समझाया, “आपका समय सीमित है, इसे किसी और की ज़िंदगी जीने में बर्बाद मत कीजिए। हर व्यक्ति की यात्रा अलग होती है, और तुम्हें अपने सपनों और अपने लक्ष्यों के लिए जीना चाहिए। यह बात रिया के दिल को छू गई। उसने सोचा कि वह अब तक अपनी ज़िंदगी दूसरों की उम्मीदों के अनुसार जी रही थी, और समय बहुत तेजी से बीत रहा था।

रिया ने निर्णय लिया कि अब वह अपनी ज़िंदगी खुद के सपनों और लक्ष्यों के अनुसार जीएगी। उसने सबसे पहले अपने जुनून और रुचियों को पहचाना। उसे कला और विज्ञान में गहरी रुचि थी। उसने दोनों क्षेत्रों में खुद को समय और मेहनत देना शुरू किया। उसने अपनी पढ़ाई, प्रयोग और कला में पूरी लगन लगाई।

शुरुआत में कई लोग उसे समझ नहीं पाए और कहा कि यह रास्ता मुश्किल है। लेकिन रिया ने गुरुजी की बात याद रखी और खुद के लिए सही कदम उठाया। उसने हर दिन अपने समय का सदुपयोग किया और अपनी क्षमताओं को निखारा। धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ा और उसके प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे।

कुछ वर्षों बाद, रिया ने अपने शहर में एक कला और विज्ञान केंद्र की स्थापना की, जहाँ बच्चों को उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया जाता। उसने साबित किया कि जब हम अपने समय और ऊर्जा को अपने लक्ष्यों के लिए समर्पित करते हैं, तो असली सफलता और संतोष प्राप्त होता है।

रिया की कहानी यह सिखाती है कि जीवन बहुत कीमती है। यदि हम लगातार दूसरों की अपेक्षाओं और मान्यताओं के अनुसार जीते हैं, तो हम अपनी असली प्रतिभा और खुशियों को खो देते हैं। जीवन को सार्थक बनाने के लिए हमें अपने सपनों और लक्ष्य के प्रति सच्चा होना चाहिए।

यह कहानी यह भी दर्शाती है कि समय की सीमितता को समझना और उसका सही उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। रिया ने अपने भीतर की ताकत और जुनून को पहचानकर अपने जीवन को सार्थक बनाया। उसने साबित किया कि हमारा समय हमारा सबसे मूल्यवान संसाधन है, और इसे सही दिशा में लगाना ही जीवन की सफलता है।

अंततः, रिया ने यह सिद्ध किया कि “आपका समय सीमित है, इसे किसी और की ज़िंदगी जीने में बर्बाद मत कीजिए। उसकी कहानी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई, जो यह दिखाती है कि यदि हम अपने समय का सही उपयोग करें और अपने सपनों के लिए काम करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

शिक्षा की ताकत

एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का लड़का रहता था। अर्जुन बचपन से ही जिज्ञासु और होशियार था, लेकिन गाँव में शिक्षा की स्थिति बहुत खराब थी। स्कूल में पर्याप्त किताबें नहीं थीं, शिक्षक कम थे और कई बच्चे पढ़ाई छोड़ कर काम करने लगे थे। ऐसे में अर्जुन ने तय किया कि वह अपने सपनों और ज्ञान के लिए कभी हार नहीं मानेगा।

अर्जुन के गुरुजी ने उसे समझाया, “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसे आप दुनिया बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बात अर्जुन के दिल में घर कर गई। उसने सोचा कि अगर वह पढ़ाई में मेहनत करेगा, तो केवल अपने जीवन को ही बेहतर नहीं बनाएगा, बल्कि अपने गाँव और समाज के लिए भी बदलाव ला सकता है।

अर्जुन ने अपनी पढ़ाई शुरू की। वह दिन-रात किताबें पढ़ता, नए विषय सीखता और हर सवाल का जवाब ढूँढता। शुरुआत में कई कठिनाइयाँ आईं। कई बार उसे समझ नहीं आता कि कोई समस्या कैसे हल की जाए। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसने अपने मित्रों से मदद ली, गुरुजी से मार्गदर्शन लिया और लगातार प्रयास करता रहा।

धीरे-धीरे अर्जुन की मेहनत रंग लाने लगी। वह न केवल खुद पढ़ाई में अच्छा होने लगा, बल्कि गाँव के अन्य बच्चों को भी पढ़ाई के महत्व के बारे में समझाने लगा। उसने छोटे-छोटे अध्ययन समूह बनाए, जहाँ बच्चे मिलकर पढ़ते और ज्ञान बांटते। अर्जुन ने साबित किया कि शिक्षा केवल ज्ञान नहीं देती, बल्कि सोचने, समझने और समस्याओं का समाधान करने की शक्ति भी देती है।

समय के साथ, अर्जुन ने उच्च शिक्षा प्राप्त की और विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल की। उसने गाँव में स्वच्छता, कृषि और तकनीकी सुधार के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की। गाँव के लोग उसकी मदद से अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने लगे। अर्जुन ने यह दिखाया कि शिक्षा ही सबसे शक्तिशाली हथियार है, और यदि इसे सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए, तो समाज और दुनिया को बदला जा सकता है।

अर्जुन की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में शिक्षा का महत्व बहुत बड़ा है। केवल ज्ञान अर्जुन की ताकत बनता है। वह हमें सोचने, निर्णय लेने और समाज में सुधार लाने की शक्ति देता है। शिक्षा के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन और अपने समाज को बदल सकता है।

अंततः, अर्जुन ने यह सिद्ध किया कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसे आप दुनिया बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। उसकी कहानी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई, जो यह दिखाती है कि अगर हम ज्ञान को अपनाएं और सीखने का जुनून बनाए रखें, तो कोई भी कठिनाई हमें रोक नहीं सकती।

Tuesday, October 7, 2025

कल्पना की शक्ति

एक छोटे से गाँव में आरव नाम का लड़का रहता था। आरव बचपन से ही बहुत जिज्ञासु और उत्साही था। उसे किताबों में लिखी चीज़ें पढ़ना पसंद था, लेकिन वह अक्सर सोचता कि क्या केवल ज्ञान ही पर्याप्त है? क्या केवल किताबों का ज्ञान हमें नई चीज़ें खोजने और दुनिया बदलने में मदद कर सकता है?

एक दिन उसके गुरुजी ने उसे समझाया, “कल्पना ही ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है। ज्ञान सीमित है, लेकिन कल्पना पूरे विश्व को घेर सकती है। अगर तुम केवल ज्ञान का पालन करोगे और कल्पना नहीं करोगे, तो तुम्हारी सोच सीमित रह जाएगी। यह बात आरव के मन में गहराई से उतर गई। उसने तय किया कि अब वह केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अपने विचारों और कल्पना को भी विकसित करेगा।

आरव ने अपने गाँव में छोटे-छोटे प्रयोग करना शुरू किया। उसने सोचा कि अगर वह नए तरीके अपनाए तो खेती और पानी की समस्या को बेहतर बनाया जा सकता है। वह किताबों में पढ़े हुए ज्ञान का उपयोग करता, लेकिन साथ ही अपनी कल्पना और सोच से नए उपकरण और समाधान भी खोजता। शुरुआत में कई प्रयोग असफल हुए, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने समझा कि असफलता केवल सीखने का हिस्सा है, और कल्पना हमें नई दिशा देती है।

धीरे-धीरे आरव की कल्पनाशीलता रंग लाने लगी। उसने एक ऐसा सिंचाई उपकरण बनाया, जो कम पानी में अधिक फसल उगाने में मदद करता था। गाँव के किसान आरव की इस कल्पना और मेहनत से प्रभावित हुए। उन्होंने उसका उपयोग किया और खेती में सुधार देखा। आरव ने साबित किया कि ज्ञान केवल आधार है, लेकिन कल्पना ही उसे वास्तविक सफलता और बदलाव में बदलती है।

आरव की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में केवल ज्ञान होना पर्याप्त नहीं है। कल्पना हमारी सोच को विस्तृत करती है, हमें नए रास्ते दिखाती है और हमें समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करती है। जो लोग केवल ज्ञान पर भरोसा करते हैं और कल्पना नहीं करते, वे सीमित रह जाते हैं। लेकिन जो लोग कल्पनाशील होते हैं, वे असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

यह कहानी यह भी स्पष्ट करती है कि बच्चों और युवाओं को अपनी कल्पना को विकसित करना चाहिए। किताबों का ज्ञान महत्वपूर्ण है, लेकिन कल्पना हमें नए विचार, आविष्कार और बदलाव की ओर ले जाती है। आरव ने साबित किया कि कल्पना ही ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है, और यही शक्ति हमें जीवन में असाधारण उपलब्धियाँ दिला सकती है।

अंततः, आरव ने यह सिद्ध किया कि कल्पना ही ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है। उसकी कहानी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई, जो यह दिखाती है कि अगर हम अपनी कल्पना का उपयोग करें और उसे ज्ञान के साथ मिलाएं, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।

Tuesday, September 30, 2025

राधा की मेहनत

राधा एक छोटे से कस्बे के सरकारी स्कूल में पढ़ती थी। वह बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपनादेखती थी। लेकिन उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। पिता मजदूरी करते थे और माँदूसरों के घरों में काम करती थीं। किताबेंकोचिंग और पढ़ाई का खर्च उठाना परिवार के लिएआसान नहीं था।

कक्षा में अक्सर राधा से अच्छे कपड़े  होने या किताबें पुरानी होने की वजह से दोस्त मज़ाक उड़ातेथे। कई बार वह परीक्षाओं में उतना अच्छा अंक नहीं ला पाती थी जितना चाहती थी। पर हरअसफलता के बाद वह खुद से कहती –

"सपनों को सच करने का एक ही तरीका है – मेहनत करते रहो और हार मत मानोक्योंकिअसफलता केवल सफलता की सीढ़ी है।"

राधा ने हार नहीं मानी। वह दिन-रात पढ़ाई करतीलाइब्रेरी से किताबें लाती और शिक्षकों से सवालपूछती। धीरे-धीरे उसके अंक सुधरने लगे। दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में उसने पूरे जिले में टॉपकिया।

आगे चलकर राधा ने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा पास कर ली और डॉक्टर बन गई। जब वह अपनेगाँव लौटीतो उसने वहाँ एक छोटी-सी क्लिनिक खोली ताकि गरीब लोग भी इलाज करा सकें।

राधा की कहानी ने गाँव के बच्चों को सिखाया कि सपनों को पूरा करने के लिए साधन नहींबल्किदृढ़ निश्चय और निरंतर मेहनत की ज़रूरत होती है।

दिव्य मंच की ओर

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक साधारण किसान, रामू, रहता था। रामू का जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उसकी आत्मा में एक अद्भुत जिज्ञासा और एक गहरा विश्वास था। वह हमेशा सोचता था कि कैसे वह अपनी स्थिति से ऊपर उठ सकता है और समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है। वह जानता था कि वाणी की पवित्रता, मन की शुद्धता, इंद्रियों का संयम और दयालुता एक ऐसा गुण है, जो एक व्यक्ति को दिव्य मंच तक पहुँचा सकता है।

 

रामू के मन में हमेशा एक सपना था - वह गाँव के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक बनना चाहता था। लेकिन उसे यह भी पता था कि इसके लिए उसे अपने भीतर के गुणों को निखारना होगा। उसने एक ठान लिया कि वह अपने विचारों, शब्दों और कार्यों को पवित्र बनाएगा।

 

एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला लगा। गाँव के सभी लोग वहां इकट्ठा हुए थे, और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा था। रामू ने देखा कि एक विद्वान, जो ज्ञान और विवेक के लिए प्रसिद्ध था, वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने रामू से कहा, "यदि तुम सचमुच दिव्य मंच तक पहुँचने की इच्छा रखते हो, तो तुम्हें अपने भीतर के गुणों को विकसित करना होगा।"

 

रामू ने विद्वान की बातों को ध्यान से सुना और विचार किया। वह सोचने लगा, "क्या मेरी वाणी पवित्र है? क्या मेरा मन शुद्ध है? क्या मैं दयालुता से भरा हुआ हूँ?" उसने महसूस किया कि उसके अंदर कुछ परिवर्तन की आवश्यकता है।

 

वापस घर लौटकर, रामू ने अपनी दिनचर्या में बदलाव करने का निश्चय किया। उसने सबसे पहले अपनी वाणी पर ध्यान दिया। वह हमेशा सकारात्मक और प्रेरणादायक बातें करने का प्रयास करता था। उसने अपने गाँव के लोगों के साथ संवाद करते समय धैर्य और समझदारी से बात करना शुरू किया।

 

इसके बाद, उसने अपने मन की शुद्धता पर ध्यान दिया। वह रोजाना ध्यान लगाने लगा, जिससे उसका मन शांत होने लगा और वह अपने विचारों पर नियंत्रण पाने लगा। रामू ने नकारात्मकता को अपने मन से निकाल फेंका और हर स्थिति में सकारात्मकता देखने की कोशिश की।

 

इंद्रियों का संयम भी रामू के लिए एक चुनौती थी। उसने तय किया कि वह उन चीजों से दूर रहेगा, जो उसकी प्रगति में रुकावट डाल सकती थीं। उसने उन मित्रों का साथ छोड़ दिया, जो उसे गलत रास्ते पर ले जाते थे। इसके बजाय, उसने उन लोगों के साथ समय बिताना शुरू किया, जो उसे प्रेरित करते थे और उसके लक्ष्यों के प्रति समर्पित थे।

 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि रामू ने दयालुता को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया। वह गाँव के सभी लोगों की मदद करता, चाहे वह किसी की खेती में सहायता करना हो या जरूरतमंदों को भोजन देना। रामू का दिल दया और सहानुभूति से भरा हुआ था।

 

समय बीतने के साथ, रामू की मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उसे गाँव में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया। लोग उसकी सलाह लेने आने लगे। उसकी वाणी की पवित्रता और उसके कार्यों की दयालुता ने उसे एक अलग पहचान दिलाई।

 

एक दिन, गाँव में फिर से एक मेला लगा, और इस बार रामू को वहाँ मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया। मंच पर खड़े होकर, रामू ने कहा, "यह मेरी मेहनत और आपके विश्वास का परिणाम है। वाणी की पवित्रता, मन की शुद्धता, इंद्रियों का संयम, और एक दयालु हृदय ही वह गुण हैं जो हमें दिव्य मंच पर पहुँचाते हैं।"

 

रामू की बातें सुनकर गाँव के लोग मंत्रमुग्ध हो गए। उसने सबको यह सिखाया कि अगर हम अपने अंदर के गुणों को निखारें, तो हम न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं।

 

शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि एक व्यक्ति की सफलता का आधार उसके भीतर के गुण होते हैं। वाणी की पवित्रता, मन की शुद्धता, इंद्रियों का संयम और दयालुता वे चार स्तंभ हैं जो हमें जीवन में ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं।

 

रामू की कहानी यह सिखाती है कि यदि हम अपने आप को सकारात्मक और दयालु बनाते हैं, तो हम न केवल अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं, बल्कि दूसरों के जीवन में भी बदलाव ला सकते हैं। एक दयालु और पवित्र हृदय हमेशा दिव्य मंच तक पहुँचने की शक्ति रखता है।

सपनों की ऊँचाई