Friday, January 6, 2017

बीते हुए दिन

हमारे बचपन में कपड़े तीन टाइप के ही होते थे ••• स्कूल का ••• घर का ••• और किसी खास मौके का ••• अब तो ••• कैज़ुअल, फॉर्मल, नॉर्मल, स्लीप वियर, स्पोर्ट वियर, पार्टी वियर, स्विमिंग, जोगिंग, संगीत ड्रेस, फलाना - ढिमका ••• जिंदगी आसान बनाने चले थे ••• पर वह कपड़ों की तरह कॉम्प्लिकेटेड हो गयी है •••  बचपन में पैसा जरूर कम था पर साला उस बचपन में दम था" "पास में महंगे से मंहगा मोबाइल है पर बचपन वाली गायब वो स्माईल है" "न गैलेक्सी, न वाडीलाल, न नैचुरल था, पर घर पर जमीं आइसक्रीम का मजा ही कुछ ओर था" अपनी अपनी बाईक और  कारों में घूम रहें हैं हम पर किराये की उस साईकिल का मजा ही कुछ और था "बचपन में पैसा जरूर कम था पर यारो उस बचपन में दम था *कभी हम भी.. बहुत अमीर हुआ करते थे* *हमारे भी जहाज.. चला करते थे।* *हवा में.. भी।* *पानी में.. भी।* *दो दुर्घटनाएं हुई।* *सब कुछ.. ख़त्म हो गया।* *पहली दुर्घटना जब क्लास में.. हवाई जहाज उड़ाया। टीचर के सिर से.. टकराया। स्कूल से.. निकलने की नौबत आ गई। बहुत फजीहत हुई। कसम दिलाई गई।  औऱ जहाज बनाना और.. उडाना सब छूट गया।
*दूसरी दुर्घटना*
बारिश के मौसम में, मां ने.. अठन्नी दी। चाय के लिए.. दूध लाना था।कोई मेहमान आया था। हमने अठन्नी.. गली की नाली में तैरते.. अपने जहाज में.. बिठा दी। तैरते जहाज के साथ.. हम शान से.. चल रहे थे। ठसक के साथ खुशी खुशी। अचानक.. तेज बहाब आया। और.. जहाज.. डूब गया। साथ में.. अठन्नी भी डूब गई। ढूंढे से ना मिली। मेहमान बिना चाय पीये चले गये। फिर.. जमकर.. ठुकाई हुई। घंटे भर.. मुर्गा बनाया गया। औऱ हमारा.. पानी में जहाज तैराना भी.. बंद हो गया। आज जब.. प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें चलती हैं , तो.. उन दिनों की याद दिलाती हैं। वो भी क्या जमाना था ! और.. आज के जमाने में.. मेरे बेटी ने... पंद्रह हजार का मोबाइल गुमाया तो.. मां बोली ~ कोई बात नहीं ! पापा.. दूसरा दिला देंगे। हमें अठन्नी पर.. मिली सजा याद आ गई। फिर भी आलम यह है कि.. आज भी.. हमारे सर.. मां-बाप के चरणों में.. श्रद्धा से झुकते हैं। औऱ हमारे बच्चे.. 'यार पापा ! यार मम्मी ! कहकर.. बात करते हैं। हम प्रगतिशील से.. प्रगतिवान.. हो गये हैं। कोई लौटा दे.. मेरे बीते हुए दिन।।
 
माँ बाप की लाइफ गुजर जाती है *बेटे
की लाइफ बनाने में......*
और बेटा status_ रखता है---
" *My wife is my Life*"

Thursday, January 5, 2017

भगवान पर विश्वास

यह कहानी एक ऐसे पर्वतारोही की है जो सबसे ऊँचे पर्वत पर विजय पाना चाहता था।
कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद उसने अपना साहसिक अभियान शुरु किया। पर वह यह उपलब्धि किसी के साथ साझा नहीं करना चाहता था, अत: उसने अकेले ही चढ़ाई करने का निश्चय किया। उसने पर्वत पर चढ़ना आरंभ किया, जल्दी ही शाम ढलने लगी। पर वह विश्राम के लिए तम्बू में ठहरने की जगह अंधेरा होने तक चढ़ाई करता रहा। घने अंधकार के कारण वह कुछ भी देख नहीं पा रहा था। हाथ को हाथ भी सुझाई नहीं दे रहा था। चंद्रमा और तारे सब बादलों की चादर से ढके हुए थे। वह निरंतर चढ़ता हुआ पर्वत की चोटी से कुछ ही फुट के फासले पर था कि तभी अचानक उसका पैर फिसला और वह तेजी से नीचे की तरफ गिरने लगा। गिरते हुए उसे अपने जीवन के सभी अच्छे और बुरे दौर चलचित्र की तरह दिखाई देने लगे। उसे अपनी मृत्यु बहुत नजदीक लग रही थी, तभी उसकी कमर से बंधी रस्सी ने झटके से उसे रोक दिया। उसका शरीर केवल उस रस्सी के सहारे हवा में झूल रहा था। उसी क्षण वह जोर से चिल्लाया: ‘भगवान मेरी मदद करो!’ तभी अचानक एक गहरी आवाज आकाश में गूँजी:- तुम मुझ से क्या चाहते हो ?
पर्वतारोही बोला - भगवन् मेरी रक्षा कीजिए!
- क्या तुम्हें सच में विश्वास है कि मैं तुम्हारी रक्षा कर सकता हूँ ?
वह बोला - हाँ, भगवन् मुझे आप पर पूरा विश्वास है ।
- ठीक है, अगर तुम्हें मुझ पर विश्वास है तो अपनी कमर से बंधी रस्सी काट दो.....
कुछ क्षण के लिए वहाँ एक चुप्पी सी छा गई और उस पर्वतारोही ने अपनी पूरी शक्ति से रस्सी को पकड़े रहने का निश्चय कर लिया।
अगले दिन बचाव दल को एक रस्सी के सहारे लटका हुआ एक पर्वतारोही का ठंड से जमा हुआ शव मिला । उसके हाथ रस्सी को मजबूती से थामे थे... और वह धरती से केवल 5 फुट की ऊँचाई पर था।
और आप? आप अपनी रस्सी से कितने जुड़े हुए हैं । क्या आप अपनी रस्सी को छोड़ेंगे?
भगवान पर विश्वास रखिए। कभी भी यह नहीं सोचिए कि वह आपको भूल गया है या उसने आपका साथ छोड़ दिया है ।
याद रखिए कि वह हमेशा आपको अपने हाथों में थामे हुए है।

Monday, January 2, 2017

नुकसान की पहचान

एक बनिए से लक्ष्मी जी रूठ गई ।जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह टोटा (नुकसान) आ रहा है, तैयार हो जाओ, लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेंट जरूर देना चाहती हूँ। मांगो जो भी इच्छा हो।
बनिया बहुत समझदार था। उसने 🙏 विनती की कि,टोटा आए तो आने दो। लेकिन उससे कहना कि मेरे परिवार  में आपसी प्रेम बना रहे। बस मेरी यही इच्छा है।
लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा और चली गयी।
कुछ दिन के बाद :-
बनिए की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी। तब दूसरे  लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई। उनकी सास ने भी ऐसा किया ।
सबसे पहले बनिया आया। पहला निवाला मुहँ में लिया। तो देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया टोटा (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया। इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुहँ में लिया और पूछा पिताजी ने खाना खा लिया। क्या कहा उन्होंने ?
सभी ने उत्तर दिया-" हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।"
अब लड़के ने सोचा जब पिताजी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।
इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए और पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए ।
रात को टोटा (हानि) हाथ जोड़कर  बनिए से कहने लगा -"मै जा रहा हूँ।"
बनिए ने पूछा- क्यों ?
तब टोटा (हानि ) कहता है, "आप लोग इतना सारा नमक खा गए लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।"
⭐झगड़ा, कमजोरी ,टोटा ,नुकसान की पहचान है।
जहाँ प्रेम है ,वहाँ लक्ष्मी का वास है। सदा प्यार -प्रेम बांटते रहे। छोटे बङे की कदर करे।
जो बङे हैं,वो बङे ही रहेंगे। चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो।

Wednesday, December 28, 2016

माँ के चरणों मे स्वर्ग

एक गाँव में 10, साल का लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। माँ ने सोचा कल मेरा बेटा मेले में  जाएगा, उसके पास 10 रुपए तो हो, ये सोचकर माँ ने खेतो में काम करके शाम तक पैसे ले आई। बेटा स्कूल से आकर बोला खाना खाकर जल्दी सो जाता हूँ, कल मेले में जाना है। सुबह माँ से बोला - मैं नहाने जाता हूँ,नाश्ता तैयार रखना,
माँ ने रोटी बनाई, दूध अभी चूल्हे पर था..! माँ ने देखा बरतन पकडने के लिए कुछ नहीं है, उसने गर्म पतीला हाथ से उठा लिया, माँ का हाथ जल गया। बेटे ने गर्दन झुकाकर दूध रोटी खाई और मेले में चला गया। शाम को घर आया,तो माँ ने पूछा - मेले में क्या देखा,10 रुपए का कुछ खाया कि नहीं..!! बेटा बोला - माँ आँखें बंद कर,तेरे लिए कुछ लाया हूँ। माँ ने आँखें बंद की,तो बेटे ने उसके हाथ में गर्म बरतन उठाने के लिए लाई सांडसी रख दी। अब माँ तेरे हाथ नहीं जलेंगे। माँ की आँखों से आँसू बहने लगे। दोस्तों, माँ के चरणों मे स्वर्ग है, कभी उसे दुखी मत करो..!
सब कुछ मिल जाता है,
पर माँ दुबारा नहीं मिलती।

Monday, December 26, 2016

जीवन साथी

कॉलेज में Happy married life पर एक  workshop हो रही थी, जिसमे कुछ शादीशुदा जोडे हिस्सा ले रहे थे। जिस समय प्रोफेसर  मंच पर आए उन्होने नोट किया कि सभी पति- पत्नी शादी पर जोक कर  हँस रहे थे... ये देख कर प्रोफेसर ने कहा  कि चलो पहले  एक Game खेलते है... उसके बाद  अपने विषय पर बातें करेंगे। सभी  खुश हो गए और कहा कोनसा Game ? प्रोफ़ेसर ने एक married  लड़की को खड़ा किया और कहा कि तुम ब्लेक बोर्ड पे  ऐसे 25- 30 लोगों के  नाम लिखो जो तुम्हे सबसे अधिक प्यारे हों लड़की ने पहले तो अपने परिवार के लोगो के नाम लिखे फिर अपने सगे सम्बन्धी, दोस्तों,पडोसी और सहकर्मियों के नाम लिख दिए... अब प्रोफ़ेसर ने उसमे से कोई भी कम पसंद वाले 5 नाम मिटाने को कहा...  लड़की ने अपने सह कर्मियों के नाम मिटा दिए.. प्रोफ़ेसर ने और 5 नाम मिटाने को कहा... लड़की ने थोडा सोच कर अपने पड़ोसियो के नाम मिटा दिए... अब प्रोफ़ेसर ने और 10 नाम मिटाने को कहा... लड़की ने अपने सगे सम्बन्धी  और दोस्तों के नाम मिटा दिए... अब बोर्ड पर सिर्फ 4 नाम बचे थे  जो उसके मम्मी- पापा, पति और बच्चे का नाम था..  अब प्रोफ़ेसर ने कहा इसमें से  और 2 नाम मिटा दो... लड़की असमंजस में पड गयी  बहुत सोचने के बाद बहुत दुखी होते हुए उसने अपने मम्मी- पापा का नाम मिटा दिया... सभी लोग स्तब्ध और शांत थे  क्योकि वो जानते थे कि ये गेम सिर्फ वो लड़की ही नहीं खेल रही थी  उनके दिमाग में भी  यही सब चल रहा था। अब सिर्फ 2 ही नाम बचे थे... पति और बेटे का...  प्रोफ़ेसर ने कहा और एक नाम मिटा दो... लड़की अब सहमी सी रह गयी... बहुत सोचने के बाद रोते हुए  अपने बेटे का नाम काट दिया... प्रोफ़ेसर ने  उस लड़की से कहा  तुम अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओ.. और सभी की तरफ गौर से देखा... और पूछा- क्या कोई बता सकता है कि ऐसा क्यों हुआ कि सिर्फ  पति का ही नाम बोर्ड पर रह गया। कोई जवाब नहीं दे पाया... सभी मुँह लटका कर बैठे थे... प्रोफ़ेसर ने फिर उस लड़की को खड़ा किया और कहा... ऐसा क्यों ! जिसने तुम्हे जन्म दिया और पाल पोस कर इतना बड़ा किया उनका नाम तुमने मिटा दिया...  और तो और तुमने अपनी कोख से जिस बच्चे को जन्म दिया उसका भी नाम तुमने मिटा दिया ? लड़की ने जवाब दिया  कि अब मम्मी- पापा बूढ़े हो चुके हैं,कुछ साल के बाद वो मुझ  और इस दुनिया को छोड़ के चले जायेंगे ...... मेरा बेटा जब बड़ा हो जायेगा तो जरूरी नहीं कि वो शादी के बाद मेरे साथ ही रहे। लेकिन मेरे पति जब तक मेरी  जान में जान है  तब तक मेरा आधा शरीर बनके  मेरा साथ निभायेंगे इस लिए मेरे लिए सबसे अजीज मेरे पति हैं.. प्रोफ़ेसर और बाकी स्टूडेंट ने  तालियों की गूंज से लड़की को सलामी दी... प्रोफ़ेसर ने कहा तुमने बिलकुल सही कहा  कि तुम और सभी के बिना रह सकती हो पर अपने आधे अंग अर्थात  अपने पति के बिना नहीं रह सकती l मजाक मस्ती तक तो ठीक है पर हर इंसान का अपना जीवन साथी ही उसको सब  से ज्यादा अजीज होता है... ये सचमुच सच है

Friday, December 23, 2016

बसना हो तो... 'ह्रदय' में बसो

एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद,श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया। दूध ज्यदा गरम होने के कारण श्री कृष्ण के हृदय में लगा और उनके श्रीमुख से निकला- " हे राधे ! " सुनते ही रुक्मणी बोली- प्रभु ! ऐसा क्या है राधा जी में,
जो आपकी हर साँस पर उनका ही नाम होता है ? मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूँ... फिर भी, आप हमें नहीं पुकारते !! श्री कृष्ण ने कहा -देवी ! आप कभी राधा से मिली हैं ? और मंद मंद मुस्काने लगे... अगले दिन रुक्मणी राधाजी से मिलने उनके महल में पहुंची । राधाजी के कक्ष के बाहर अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा...
और, उनके मुख पर तेज होने कारण उसने सोचा कि- ये ही राधाजी है और उनके चरण छुने लगी ! तभी वो बोली -आप कौन हैं ? तब रुक्मणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया... तब वो बोली- मैं तो राधा जी की दासी हूँ। राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी !! रुक्मणी ने सातो द्वार पार किये... और, हर द्वार पर एक से एक सुन्दर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी क़ि-  अगर उनकी दासियाँ इतनी रूपवान हैं...
तो, राधारानी स्वयं कैसी होंगी ? सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची... कक्ष में राधा जी को देखा-  अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था। रुक्मणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी... पर, ये क्या राधा जी के पुरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है ! रुक्मणी ने पूछा- देवी आपके  शरीर पे ये छाले कैसे ? तब राधा जी ने कहा- देवी ! कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया... वो ज्यदा गरम था ! जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए... और, उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास होता है..!! इसलिए कहा जाता है- बसना हो तो... 'ह्रदय' में बसो किसी के..! 'दिमाग' में तो.. लोग खुद ही बसा लेते है..!!

Thursday, December 22, 2016

प्रणाम का महत्व

महाभारत का युद्ध चल रहा था -
एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि -
"मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा"
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई -
भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए|
तब -
श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो -
श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए -
शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि - अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो -
द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने -
"अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !!
"वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है" ?
तब द्रोपदी ने कहा कि -
"हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं" तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया -
भीष्म ने कहा -
"मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है"
शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि -
"तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है " -
" अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती " -
......तात्पर्य्......
वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि -
"जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है "
" यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो "
बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई "अस्त्र-शस्त्र" नहीं भेद सकता -
"निवेदन 🙏 सभी इस संस्कृति को सुनिश्चित कर नियमबद्ध करें तो घर स्वर्ग बन जाय।"