Wednesday, November 23, 2016

जहाँ प्रेम वहाँ लक्ष्मी जी का वास

एक बनिए  से लक्ष्मी  जी  रूठ गई ।जाते वक्त  बोली मैं जा रही  हूँ और मेरी जगह  टोटा (नुकसान ) आ रहा है ।तैयार  हो जाओ।लेकिन  मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।मांगो जो भी इच्छा  हो।
बनिया बहुत समझदार  था ।उसने  विनती  की टोटा आए तो आने  दो ।लेकिन  उससे कहना की मेरे परिवार  में आपसी  प्रेम  बना रहे ।बस मेरी यही इच्छा  है।
लक्ष्मी  जी  ने  तथास्तु  कहा।
कुछ दिन के बाद :-
बनिए की सबसे छोटी  बहू  खिचड़ी बना रही थी ।उसने नमक आदि  डाला  और अन्य  काम  करने लगी ।तब दूसरे  लड़के की  बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई ।इसी प्रकार  तीसरी , चौथी  बहुएं  आई और नमक डालकर  चली गई ।उनकी सास ने भी ऐसा किया ।
शाम  को सबसे पहले बनिया  आया ।पहला निवाला  मुह में लिया ।देखा बहुत ज्यादा  नमक  है।लेकिन  वह समझ गया  टोटा(हानि)  आ चुका है।चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया ।इसके बाद  बङे बेटे का नम्बर आया ।पहला निवाला  मुह में लिया ।पूछा पिता जी  ने खाना खा लिया ।क्या कहा उन्होंने ?
सभी ने उत्तर दिया-" हाँ खा लिया  ,कुछ नही बोले।"
अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ  नही  बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।
इस प्रकार घर के अन्य  सदस्य  एक -एक आए ।पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए ।
रात  को टोटा (हानि) हाथ जोड़कर  बनिए से कहने लगा  -,"मै जा रहा हूँ।"
बनिए ने पूछा- क्यों ?
तब टोटा (हानि ) कहता है, " आप लोग एक किलो तो नमक खा गए  ।लेकिन  बिलकुल  भी  झगड़ा  नही हुआ । मेरा यहाँ कोई काम नहीं।"
निचौङ
⭐झगड़ा कमजोरी ,  टोटा ,नुकसान  की पहचान है।
जहाँ प्रेम है ,वहाँ लक्ष्मी  का वास है।
🔃सदा प्यार -प्रेम  बांटते रहे।छोटे -बङे  की कदर करे ।
जो बङे हैं ,वो बङे ही रहेंगे ।चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई   से बङी हो।
जरूरी नहीं जो खुद के लिए  कुछ नहीं करते वो दूसरों  के  लिए भी कुछ नहीं करते।आपके परिवार  में ऐसे लोग भी  हैं जिन्होंने  परिवार  को उठाने  में अपनी सारी खुशियाँ दाव पर लगा दी ।लेकिन गलतफहमी  में सबकुछ  अलग-थलग  कर बैठते  हैं।विचार जरूर करे।🔃

Sunday, November 20, 2016

अत्यधिक लाभ

एक बार पंक्षियों का राजा अपने दल के साथ भोजन की खोज में एक जंगल में गया।
'जाओ और जाकर दाने और बीज ढूंढ़ो। मिले तो बताना। सब मिलकर खाएगें।' राजा ने पंक्षियों को आदेश दिया।
सभी पक्षी दानों की तलाश में उधर निकल पड़े। उड़ते-उड़ते एक चिड़िया उस सड़क पर आ गई जहां से गाड़ियों में लदकर अनाज जाता था। उसने सड़क पर अनाज बिखरा देखा। उसने सोचा कि वह राजा को इस जगह के बारे में नहीं बताएगी। पर किसी और चिड़िया ने इधर आकर यह अनाज देख लिया तो...? ठीक है, बता भी दूंगी लेकिन यहां तक नहीं पहुंचने दूंगी।
वह वापस अपने राजा के पास पहुंच गई। उसने वहां जाकर बताया कि राजमार्ग पर अनाज के ढेरों दाने पड़े हैं। लेकिन वहां खतरा बहुत है।
तब राजा ने कहा कि कोई भी वहां न जाए।
इस तरह सब पक्षियों ने राजा की बात मान ली।
वह चिड़िया चुपचाप अकेली ही राजमार्ग की ओर उड़ चली और जाकर दाने चुगने लगी। अभी कुछ ही देर बीती कि उसने देखा एक गाड़ी तेजी से आ रही थी।
चिड़िया ने सोचा, गाड़ी तो अभी दूर है। क्यों न दो-चार दाने और चुग लूं। देखते-देखते गाड़ी चिड़िया के उपर से गुजर गई और उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
उधर शाम को राजा ने देखा कि वह चिड़िया नहीं आई है तो उसने सैनिकों को उसे ढूंढ़ने का आदेश दिया।
वे सब ढूंढ़ते-ढूंढ़ते राजमार्ग पर पहुंच गए। वहां देखा तो वह चिड़िया मरी पड़ी थी।

Friday, November 18, 2016

घटना का विश्लेषण

एक पेड़ का डंठल अचानक टूट कर गिरता है। जिसके कारण पेड़ के नीचे सोया हुआ एक बूढ़े व्यक्ति की मौत हो जाती है।
आस-पास के चतुर लोग इस घटना का विश्लेषण करते हुए बूढ़े व्यक्ति के मौत के लिए पेड़ को दोषी ठहरा देते है। इस पर दूसरा चतुर आदमी बोलता है की पेड़ का क्या दोष, दोषी तो वो है, जो इस कमजोर मिटटी में पेड़ लगाया था।
अब पेड़ लगाने वाले को बुलाकर उससे बूढ़े का मौत का जिम्मेदार ठहराया जाता है।
पेड़ लगाने वाला भी चतुर था वो बोला- इसमें मेरा क्या दोष, इस पेड़ की डाली में बगुलों का झुण्ड आकर बैठ गया, जिसके वजन से डाली टूट गई और बूढ़े के ऊपर गिर गई।इसलिए दोषी बगुले है।
दूसरा चतुर आदमी बोला- इन बेजुबान बगुलों का कोई दोष नहीं, ये बगुले पहले स्टेट बैंक के पास वाले पेड़ पर बैठते थे। लेकिन आज-कल वहाँ लम्बी-लम्बी लाइन लगी है और बहुत शोर होता है, जिसके कारण बगुले वहा से यहाँ शिप्ट हो गए। दोषी तो स्टेट बैंक है।
इस पर एक और चतुर आदमी बोलता है- स्टेट बैंक का क्या दोष, *दोषी तो नरेंद्र मोदी है*, जिसने नोट बंदी लगा दिया और उसी के कारण इस बूढ़े की मौत हो गई।
अंत में सभी चतुर लोग एक मत से फैसला करते है की स्टेट बैंक से कोसो दूर एक पेड़ की डाली के नीचे सोये हुए बूढ़े की मौत नरेंद्र मोदी के कारण हुआ है।
विश्वास न हो तो 16 नवम्बर से संसद में सुन लेना..।

Thursday, November 17, 2016

जन्म को सफल कर सकूं

कबीर के बेटे कमाल ने भी अपने पिता के रास्ते पर चलते हुए अपना जीवन ईश्वर की उपासना में समर्पित कर दिया था। वह दिन रात ईश्वर की आराधना में लगे रहते थे और बाकी वक्त परोपकार में बिताते थे। एक दिन काशी नरेश को किसी ने बताया कि कमाल भी कबीर की ही तरह लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि से दूर हैं। उन्हें केवल लोगों के दुख-दर्द दूर करने में आनंद मिलता है और वह कीमती से कीमती भेंट को भी तुच्छ समझते हैं। काशी नरेश यह जानने के लिए कमाल के पास आए और कुछ बातें की।
फिर उन्हें एक बहुमूल्य अंगूठी भेंट करते हुए बोले, 'आपने मुझे ज्ञान के अनमोल मोती प्रदान किए हैं। मैं एक छोटी सी भेंट आपको दक्षिणा में देना चाहता हूं।' कमाल ने अंगूठी की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखा और बोले, 'यदि आपके मन में दक्षिणा देने की इच्छा है तो यहीं कहीं इस भेंट को छोड़ दें।' कमाल की बात सुनकर काशी नरेश ने अंगूठी झोंपड़ी के छप्पर पर रख दी और वहां से चले गए। उन्होंने सोचा, भला कोई भी व्यक्ति कीमती अंगूठी की ओर नजर भी न मारे ऐसा कैसे हो सकता है। यह सोचकर वह अगले दिन फिर कमाल के पास पहुंचे। कमाल हंसकर बोले, 'आइए महाराज। आज क्या भेंट लाए हैं।' यह जवाब सुनकर काशी नरेश को अत्यंत हैरानी हुई।
वह बोले, 'आज तो मैं कल भेंट की हुई अंगूठी वापस लेने आया हूं। कहां है वह अंगूठी।' इसपर कमाल बोले, 'मुझे क्या पता। आप जहां छोड़ कर गए होंगे वहीं होगी, मुझे तो उसकी आवश्यकता नहीं थी।' यह सुनकर काशी नरेश ने छप्पर पर हाथ बढ़ाया तो अंगूठी वहीं पाकर चकित रह गए। वह कमाल के पैरों में गिर पड़े और बोले, 'ऐसी विरक्ति मेरे अंदर भी ला दें ताकि मैं भी अपने जन्म को सफल कर सकूं।' कमाल ने उन्हें लाभ-लोभ से मुक्त होकर राजकाज चलाने की सलाह दी।

Wednesday, November 16, 2016

प्रभु के चरण

एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवो में घूम रहा था ,,, घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया,,, उसने अपने मंत्री को कहा कि, पता करो की इस गाँव में कौन सा दर्जी हैं,जो मेरे बटन को सिल सके,,, मंत्री ने पता किया ,, उस
गाँव में सिर्फ एक ही दर्जी था,, जो कपडे सिलने का काम करता था,,, उसको राजा के सामने ले जाया गया,, राजा ने कहा,कय़ा तुम मेरे कुर्ते का बटन सी सकते हो,,, दर्जी ने कहा,यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है,,, उसने मंत्री से बटन ले लिया,,, धागे से उसने राजा के कुर्ते
का बटन फोरन सी दिया,,, क्योंकि बटन भी राजा के पास था,, सिर्फ उसको अपना धागे का प्रयोग करना था,,,  राजा ने दर्जी से पूछा कि,, कितने पैसे दू ,,, उसने कहा, महाराज रहने दो,,, छोटा सा काम था,, उसने मन में सोचा कि,बटन भी राजा के पास था,, उसने तो सिर्फ धागा ही लगाया हैं,,, राजा ने फिर से दर्जी को कहा, कि,,, नहीं नहीं बोलो कितनीे माया दू,,, दर्जी ने सोचा कि,, 2 रूपये मांग लेता हूँ,,, फिर मन में सोचा कि; कहीं राजा यह ने सोचलें,कि ,,, बटन टाँगने के मुझ से 2 रुपये ले रहा हैं,,, तो गाँव वालों से कितना लेता होगा,,, क्योंकि उस जमाने में २ रुपये की कीमत बहुत होती थी,,, दर्जी ने राजा से कहा, कि,, महाराज जो भी आपको उचित लगे ,, वह दे दो,, अब था तो राजा ही,,उसने अपने हिसाब से देना था,, कहीं देने में उसकी पोजीशन ख़राब न हो जाये,,, उसने अपने मंत्री से कहा कि,, इस दर्जी को २ गाँव दे दों, यह हमारा हुकम है ,,, कहाँ वो दर्जी सिर्फ २ रुपये की मांग कर रहा था,, और कहाँ राजा ने उसको २ गाँव दे दिए जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ देते हैं, तो वह अपने हिसाब से देता हैं,, सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते है,,, देने वाला तो पता नही क्या देना चाहता हैं,,, इसलिए संत-महात्मा कहते है,,, प्रभु के चरणों पर अपने आपको -अर्पण कर दों,, फिर देखो उनकी लीला,,

Sunday, November 13, 2016

गुरूजी की आँखों

गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे । रास्ते में एक नदी पड़ती थी । नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा , एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का  हिसाब  निकालने लगे । अचानक हाथ से पेन फिसला और डुबुक ….
पानी में डूब गया । गुरूजी परेशान । आज ही सुबह पूरे पांच रूपये खर्च कर खरीदा था । कातर दृष्टि से कभी इधर कभी उधर देखते ,
पानी में उतरने का प्रयास करते , फिर डर कर कदम खींच लेते । एकदम नया पेन था , छोड़ कर जाना भी मुनासिब न था  अचानक  पानी में एक तेज लहर उठी , और साक्षात् वरुण देव सामने थे  गुरूजी हक्के -बक्के । कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई  वरुण देव ने कहा , ”गुरूजी, क्यूँ इतने परेशान हैं । प्रमोशन , तबादला , वेतनवृद्धि ,क्या चाहिए ? गुरूजी अचकचाकर बोले , ” प्रभु ! आज ही सुबह एक पेन खरीदा था । पूरे पांच रूपये का । देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है । यहाँ पत्थर पर बैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया प्रभु बोले , ” बस इतनी सी बात ! अभी निकाल लाता हूँ ।प्रभु ने डुबकी लगाई , और चाँदी का एक चमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए । बोले – ये है आपका पेन ? गुरूजी बोले – ना प्रभु । मुझ गरीब को कहाँ ये चांदी का पेन नसीब । ये मेरा नाहीं । प्रभु बोले – कोई नहीं , एक डुबकी और लगाता हूँ डुबुक ….. इस बार प्रभु सोने का रत्न जडित पेन लेकर आये। बोले – “लीजिये गुरूजी , अपना पेन ।”
गुरूजी बोले – ” क्यूँ मजाक करते हो प्रभु । इतना कीमती पेन और वो भी मेरा । मैं टीचर हूँ । थके हारे प्रभु ने कहा , ” चिंता ना करो गुरुदेव । अबके फाइनल डुबकी होगी । डुबुक …. बड़ी देर बाद प्रभु उपर आये । हाथ में गुरूजी का जेल पेन लेकर । बोले – ये है क्या ?
गुरूजी चिल्लाए – हाँ यही है , यही है । प्रभु ने कहा – आपकी इमानदारी ने मेरा दिल जीत लिया गुरूजी । आप सच्चे गुरु हैं । आप ये तीनों पेन ले लो । गुरूजी ख़ुशी – ख़ुशी घर को चले । गुरूजी ने घर आते ही सारी कहानी पत्नी जी को सुनाई चमचमाते हुवे कीमती पेन भी दिखाए । पत्नी को विश्वास ना हुवा , बोली तुम किसी का चुरा कर लाये हो । बहुत समझाने पर भी जब पत्नी जी ना मानी
तो गुरूजी उसे घटना स्थल की ओर ले चले । दोनों उस पत्थर पर बैठे , गुरूजी ने बताना शुरू किया कि कैसे – कैसे सब हुवा पत्नी एक एक कड़ी को किसी शातिर पुलिसिये की तरह जोड़ रही थी कि अचानक  डुबुक !!! पत्नी का पैर फिसला , और वो गहरे पानी में समा गई गुरूजी की आँखों के आगे तारे नाचने लगे । ये क्या हुवा ! जोर -जोर से रोने लगे । तभी अचानक …… पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी । नदी का सीना चीरकर साक्षात वरुण देव प्रकट हुवे  बोले – क्या हुआ गुरूजी ? अब क्यूँ रो रहे हो ? गुरूजी ने रोते हु story प्रभु को सुनाई । प्रभु बोले – रोओ मत। धीरज रखो । मैं अभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ। प्रभु ने डुबकी लगाईं ,और  थोड़ी देर में
वो सनी लियोनी को लेकर प्रकट हुवे । बोले –गुरूजी । क्या यही आपकी पत्नी जी है ?? गुरूजी ने एक क्षण सोचा , और चिल्लाए – हाँ यही है , यही है । अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी । बोले – दुष्ट मास्टर । ठहर तुझे श्राप देता हूँ । गुरूजी बोले – माफ़ करें प्रभु । मेरी कोई गलती नहीं । अगर मैं इसे मना करता तो आप अगली डुबकी में प्रियंका चोपड़ा को लाते । मैं फिर भी मना करता तो आप मेरी पत्नी को लाते । फिर आप खुश होकर तीनों मुझे दे देते । अब आप ही बताओ भगवन , इस महंगाई के जमाने में 7th pay Commission ने भी रुला दिया अब मैं तीन – तीन बीबीयाँ कैसे पालता । सो सोचा , सनी से ही काम चला लूँगा । और इस ठंड में आप भी डुबकियां लगा लगा कर थक गये होंगे । 

Friday, November 11, 2016

खतरनाक समाज

एक अंग्रेज ट्रेन से सफ़र कर रहा था  सामने एक बच्चा बैठा था... अंग्रेज ने बच्चे से पूछा यहाँ  सबसे ज्यादा खतरनाक कौन सी समाज  हैं ??? बच्चा:" महाराष्ट्रीयन,पंजाबी, गुजराती, हरयाणवी,और सबसे ज्यादा तो  लाला कायस्थ अंग्रेज : "क्यों ... क्या ये बाकी कम खतरनाक हैं क्या ???" बच्चा : " नहीं ... ये सब खुद में महाभारत हैं   अंग्रेज : 'ओह   इनके पास जाना डेंजरस है'..
कुछ देर पश्चात
अंग्रेज : 'मैं कैसे जान सकता हूँ कि कौन सा व्यक्ति कितना खतरनाक है ?' बच्चा: 'बैठा रह शान्ति से ... अभी दस घंटे के सफ़र
में सबसे मिलवा दूंगा'.... कुछ ही देर बाद हरियाणा का एक चौधरी मूंछों पे ताव देता हुआ बैठ गया । बच्चा: 'भाई ये हरियाणवी है  अंग्रेज : 'इससे बात कैसे करूँ?' बच्चा: "चुपचाप बैठा रह और मूंछों पर ताव देता रह.. ये खुद बात करेगा तेरे से'... अंग्रेज ने अपनी सफाचट मूछों पर ताव दिया.. चौधरी उठा और अंग्रेज के दो कंटाप जड़े - 'बिन खेती के ही हल चला रिया है तू ..?' थोड़ी देर बाद एक मराठी आ के बैठ गया  बच्चा : 'भाई ये मराठी है  अंग्रेज : 'इससे बात कैसे करूँ ?' बच्चा : 'इससे बोल कि बाम्बे बहुत बढ़िया ..' अंग्रेज ने मराठी से यही बोल दिया.. मराठी उठा और थप्पड़ लगाया - "साले बाम्बे नहीं मुम्बई ... समझा क्या" थोड़ी देर बाद एक गुजराती सामने आकर बैठ
गया। बच्चा : 'भाई ये गुजराती है ...' अंग्रेज गाल सहलाते हुए : 'इससे कैसे बात करूँ ?' बच्चा : 'इससे बोल सोनिया गांधी जिंदाबाद अंग्रेज ने गुजराती से यही कह दिया गुजराती ने कसकर घूंसा मारा - 'नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद...एक ही विकल्प- मोदी'.. थोड़ी देर बाद एक सरदार जी आकर बैठ गए । बच्चा : 'देख भाई ये पंजाबी है ...' अंग्रेज ने कराहते हुए पूछा - 'इससे कैसे बात करूँ ..' बच्चा : 'बात न कर बस पूछ ले कि 12 बज गए क्या ?' अंग्रेज ने ठीक यही किया ... अंग्रेज : 'ओ सरदार जी 12 बज गए क्या ? सरदार जी ने आव देखा न ताव अंग्रेज को उठा के नीचे पटक दिया... सरदार : साले खोतया नू ... तेरे को मैं मनमोह सिंह लगता हूँ जो चुप रहूँगा'.... पहले से परेशान अंग्रेज बिलबिला गया . खीझ के बच्चे से  बोला : इन सबसे मिलवा दिया अब लाला कायस्थ से भी मिलवा दो'  बच्चा  बोला - तेरे को पिटवा कौन रहा । है