Thursday, June 5, 2025

रास्ता ही मंज़िल की पहचान है

उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में एक लड़की रहती थीनेहा। उसका सपना था पहाड़ों के बीचबसे अपने गांव के बच्चों को शिक्षा की रोशनी देना। लेकिन उसके गांव में  स्कूल था शिक्षक।लोग मानते थे कि लड़कियों को पढ़ाने का कोई फायदा नहींवे तो घर ही संभालेंगी।


नेहा बचपन से ही जिद्दी और जुझारू थी। जब उसके भाई खेलते थेवह किताबें पढ़ती थी। गांवके बाहर एक छोटा स्कूल थाजो पहाड़ी रास्तों से होकर 5 किलोमीटर दूर था। वहां तक पहुंचने केलिए उसे रोज़ पत्थरीले रास्तों सेनदी पार करके जाना होता था।


लोग कहते, "इतनी दूर क्यों जाती हैक्या करेगी पढ़-लिखकर?"

नेहा मुस्कराकर कहती, "अगर रास्ता खूबसूरत है तो ज़रूर मंज़िल शानदार होगीबस रुको मतचलते रहो!"


हर दिन की शुरुआत सूरज से पहले होती। सिर पर पानी का घड़ाहाथ में किताबें और मन मेंहौसला। स्कूल पहुंचते-पहुंचते उसके कपड़े कीचड़ से गंदे हो जातेपैर थक जातेलेकिन वह कभीनहीं रुकी।


एक बार बारिश में नदी का पुल बह गया। दूसरे बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दियालेकिन नेहा नेपास की चट्टानों से होकर एक नया रास्ता बना लिया। जब शिक्षक ने पूछा, "इतनी मेहनत क्योंकरती हो?"

उसने कहा, "मुझे मंज़िल से प्यार हैइसलिए रास्ता कितना भी मुश्किल होमैं चलती रहूंगी।"


12वीं पास करने के बाद वह आगे पढ़ने के लिए शहर गई। वहां सब नया थाभाषामाहौललोग। कई बार हिम्मत डगमगाईलेकिन मां की बात याद आती"बेटीतू रुकी तो तुझे रोकनेवाले जीत जाएंगे।"


कॉलेज में उसने समाज सेवा से जुड़ना शुरू किया। हर छुट्टी में वह अपने गांव आती और बच्चों कोपढ़ाती। गांव वालों ने पहले विरोध कियालेकिन धीरे-धीरे बदलाव दिखने लगा। जो बच्चे स्कूलनहीं जाते थेअब पढ़ने लगे।

नेहा ने बी.एडकी पढ़ाई पूरी की और शिक्षक बन गई। लेकिन उसने नौकरी किसी बड़े शहर मेंनहीं कीवह अपने गांव लौटी और वहां पहला स्कूल खोला। खुद पढ़ातीखुद बच्चों के घरजाकर उन्हें बुलाती।


अब वह वही रास्ता रोज़ तय करती थीलेकिन अकेली नहीं। उसके साथ बच्चों की लंबी कतारहोती थी। जो रास्ता कभी डराता थाअब उम्मीद बन चुका था।


गांव का हर कोना अब बच्चों की हँसी से गूंजता था। लोग कहते, “हमने तो सोचा नहीं था कि एकलड़की ये सब कर पाएगी।


नेहा मुस्कराकर कहती,

"रास्ता चाहे कठिन हो या आसानअगर इरादे पक्के होंतो हर मोड़ मंज़िल की ओर ले जाता है।"


उसने स्कूल की दीवार पर एक वाक्य बड़े अक्षरों में लिखा:

"अगर रास्ता खूबसूरत है तो ज़रूर मंज़िल शानदार होगीबस रुको मतचलते रहो!"

Tuesday, May 20, 2025

विश्वास की जीत

बिहार के एक छोटे से गांवमधुपुर में एक लड़का रहता थानाम था करन। साधारण परिवारसीमित संसाधनलेकिन सपने असीम। उसका सपना थादेश के ग्रामीण बच्चों के लिए एकऐसा स्कूल बनानाजो शहरों से बेहतर हो।


गांव में शिक्षा को कोई गंभीरता से नहीं लेता था। करन जब भी अपने दोस्तों से पढ़ने की बातकरतावे हँसते और कहते, "तू किताबों में क्या ढूंढता हैआखिर में सबको तो खेत ही जोतना है!"


करन चुप रहतालेकिन उसका मन बोलता,

"जो खुद पर भरोसा रखते हैंवही दुनिया को बदलने का दम रखते हैं!"


करन के पिता एक किसान थे और माँ घर पर कपड़े सिलती थीं। घर की आर्थिक स्थिति बहुतखराब थी। लेकिन करन को पढ़ाई का जुनून था। वह रोज़ स्कूल 6 किलोमीटर पैदल जाकर पढ़ताऔर लौटकर खेतों में मदद करता।


रात को लालटेन की रोशनी में पढ़ते हुए वह खुद से वादा करता"एक दिन मैं ऐसा स्कूलबनाऊंगाजहां हर बच्चा बिना डर के सपने देख सके।"


गांव के हालात ऐसे थे कि दसवीं के बाद ज़्यादातर बच्चे पढ़ाई छोड़ देते। लेकिन करन ने हार नहींमानी। उसने 12वीं में जिला टॉप किया। अखबार में उसका नाम आया तो गांव में पहली बार लोगउसकी ओर अलग नजर से देखने लगे।


पर असली परीक्षा अभी बाकी थी।


कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर जाना थालेकिन पैसे नहीं थे। करन ने छोटे-मोटे काम किएकभी होटल में बर्तन धोएकभी स्टेशन पर किताबें बेचीं। इन सबके बीच भी उसने पढ़ाई नहींछोड़ी।


एक दिन उसके प्रोफेसर ने पूछा, "इतनी तकलीफों के बावजूद तुम क्यों नहीं हारते?"

करन ने मुस्कराकर जवाब दिया,

"सरमुझे खुद पर भरोसा है। जब तक मैं खुद को नहीं छोड़तादुनिया मुझे नहीं हरा सकती।"


कॉलेज के आखिरी साल में करन ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया"गांव के बच्चों के लिए डिजिटलशिक्षा योजना।उसने सरकार को प्रस्ताव भेजालेकिन कई महीनों तक कोई जवाब नहीं आया।दोस्तों ने कहा, "तू क्यों वक्त बर्बाद कर रहा हैनौकरी करजिंदगी चला।"


लेकिन करन का जवाब वही था"जो खुद पर भरोसा रखते हैंवही दुनिया को बदलने का दमरखते हैं!"


आख़िरकारएक दिन करन को राज्य सरकार की ओर से फोन आया। उनका प्रस्ताव पास हो गयाथा। उन्हें एक छोटा अनुदान और जमीन मिलीअपने गांव में पहला मॉडल स्कूल बनाने के लिए।


करन ने खुद मिट्टी उठाईदीवारें बनाईंलोगों को जोड़ापुराने लैपटॉप मंगवाए और एक छोटालेकिन आधुनिक स्कूल खड़ा कर दिया"विश्वास पब्लिक स्कूल"

 

अब गांव के बच्चे जो कभी स्कूल से डरते थेवे डिजिटल क्लास में बैठकर विज्ञानगणित औरकंप्यूटर सीखते थे। जो मां-बाप कभी पढ़ाई को बेकार समझते थेवे खुद बच्चों को स्कूल छोड़नेआए।


करन अब सिर्फ एक लड़का नहीं थावह गांव की आशा और बदलाव की मिसाल बन चुका था।


एक दिन स्कूल की दीवार पर एक बड़ा पोस्टर लगाया गयाजिस पर लिखा था:

"जो खुद पर भरोसा रखते हैंवही दुनिया को बदलने का दम रखते हैं!"


सीख:

दुनिया आपको तब तक नहीं पहचानती जब तक आप खुद को नहीं पहचानते। हालात चाहे जैसेभी होंअगर खुद पर विश्वास होतो असंभव भी संभव बन जाता है।

हौसलों की ताकत