उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में एक लड़की रहती थी—नेहा। उसका सपना था पहाड़ों के बीचबसे अपने गांव के बच्चों को शिक्षा की रोशनी देना। लेकिन उसके गांव में न स्कूल था, न शिक्षक।लोग मानते थे कि लड़कियों को पढ़ाने का कोई फायदा नहीं, वे तो घर ही संभालेंगी।
नेहा बचपन से ही जिद्दी और जुझारू थी। जब उसके भाई खेलते थे, वह किताबें पढ़ती थी। गांवके बाहर एक छोटा स्कूल था, जो पहाड़ी रास्तों से होकर 5 किलोमीटर दूर था। वहां तक पहुंचने केलिए उसे रोज़ पत्थरीले रास्तों से, नदी पार करके जाना होता था।
लोग कहते, "इतनी दूर क्यों जाती है? क्या करेगी पढ़-लिखकर?"
नेहा मुस्कराकर कहती, "अगर रास्ता खूबसूरत है तो ज़रूर मंज़िल शानदार होगी, बस रुको मत—चलते रहो!"
हर दिन की शुरुआत सूरज से पहले होती। सिर पर पानी का घड़ा, हाथ में किताबें और मन मेंहौसला। स्कूल पहुंचते-पहुंचते उसके कपड़े कीचड़ से गंदे हो जाते, पैर थक जाते, लेकिन वह कभीनहीं रुकी।
एक बार बारिश में नदी का पुल बह गया। दूसरे बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया, लेकिन नेहा नेपास की चट्टानों से होकर एक नया रास्ता बना लिया। जब शिक्षक ने पूछा, "इतनी मेहनत क्योंकरती हो?"
उसने कहा, "मुझे मंज़िल से प्यार है, इसलिए रास्ता कितना भी मुश्किल हो, मैं चलती रहूंगी।"
12वीं पास करने के बाद वह आगे पढ़ने के लिए शहर गई। वहां सब नया था—भाषा, माहौल, लोग। कई बार हिम्मत डगमगाई, लेकिन मां की बात याद आती—"बेटी, तू रुकी तो तुझे रोकनेवाले जीत जाएंगे।"
कॉलेज में उसने समाज सेवा से जुड़ना शुरू किया। हर छुट्टी में वह अपने गांव आती और बच्चों कोपढ़ाती। गांव वालों ने पहले विरोध किया, लेकिन धीरे-धीरे बदलाव दिखने लगा। जो बच्चे स्कूलनहीं जाते थे, अब पढ़ने लगे।
नेहा ने बी.एड. की पढ़ाई पूरी की और शिक्षक बन गई। लेकिन उसने नौकरी किसी बड़े शहर मेंनहीं की, वह अपने गांव लौटी और वहां पहला स्कूल खोला। खुद पढ़ाती, खुद बच्चों के घरजाकर उन्हें बुलाती।
अब वह वही रास्ता रोज़ तय करती थी, लेकिन अकेली नहीं। उसके साथ बच्चों की लंबी कतारहोती थी। जो रास्ता कभी डराता था, अब उम्मीद बन चुका था।
गांव का हर कोना अब बच्चों की हँसी से गूंजता था। लोग कहते, “हमने तो सोचा नहीं था कि एकलड़की ये सब कर पाएगी।”
नेहा मुस्कराकर कहती,
"रास्ता चाहे कठिन हो या आसान, अगर इरादे पक्के हों, तो हर मोड़ मंज़िल की ओर ले जाता है।"
उसने स्कूल की दीवार पर एक वाक्य बड़े अक्षरों में लिखा:
"अगर रास्ता खूबसूरत है तो ज़रूर मंज़िल शानदार होगी, बस रुको मत—चलते रहो!"