सुकरात एक बहुत बड़े दार्शनिक थे। उनके पास एक बच्चा गया और उनसे पूछा कि आप मुझे सफलता का रहस्य बताएं। सुकरात ने उस बच्चे को सुबह 4 बजे नदी किनारे मिलने के बुलाया। बच्चा 4 बजे सुबह नदी किनारे पहुंचा। सुकरात उस बच्चे को लेकर नदी के बीच में गए और उसका सर पानी के अंदर डाल दिया और उसके सर को हाथ से दबाए रखा।
बच्चा छटपट छटपट करने लगा। एक मिनट के बाद सुकरात ने अपना हाथ उस बच्चे के सर से हटाया तो बच्चे ने तेजी से हाँपते हाँपते अपना सर बाहर निकाला। सुकरात ने उस बच्चे से पूछा, “बेटा! जब मैं तुम्हारा सर पानी के अंदर दबाकर रखा था तो तुम्हारे मन में किस चीज की इच्छा थी।”
बच्चा चिल्ला पड़ा और बोला, “आप मुझे पहले यह बताओ कि आप मुझे यहाँ सफलता का रहस्य समझाने बुलाए थे या मारने बुलाए थे। अरे किस चीज की इच्छा रहेगी, हवा की। किसी तरीके से मुझे पानी से बाहर निकलना था।”
सुकरात जी ने दूसरा प्रश्न किया, “तुम कितना प्रयास कर रहे थे?”
बच्चे ने कहा ,”प्रयास! अरे जितनी ताकत थी वह सारी की सारी ताकत मैंने पानी से बाहर निकलने में लगा दी।”
सुकरात जी ने कहा, “बेटा यही सफलता का रहस्य है। तुम जिस काम में भी सफल होना चाहते हो अगर उस काम को करने में भी तुम उतना ही प्रयास करोगे जितना प्रयास तुम पानी से निकलने के लिए कर रहे थे तो उस काम में भी तुम्हें सफलता मिलेगी।
हर सफलता की एक कीमत होती है उसमें प्रयास करना पड़ता है, उसमें समय लगाना पड़ता है। बिना प्रयास के और बिना समय लगाए किसी भी व्यक्ति को आज तक सफलता नहीं मिली है। इसलिए अगर आपको सफलता पाना है तो आपको सुकरात जी की बात माननी होगी।
किसी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए जितना प्रयास एवं जितना समय देने की आवश्यकता है, उतना ही देना होगा। क्या आप सफल होने के लिए पूरा प्रयास करने के लिए तैयार है, निर्णय आपका है।