बरगद का एक पुराना पेड़ था | उस पेड़ की
जडो के पास दो बिल थे | एक बिल में चूहा रहता था और दुसरे बिल में नेवला |
पेड़ के बीच खोखली जगह में बिल्ली रहा करती थी | पेड़ की डाल पर उल्लू रहता
था | बिल्ली, नेवला, और उल्लू – तीनो चूहे पर निगाह रखते की कब वह पकड़
में आए और वे उसे खाए | उधर बिल्ली चूहे के आलावा नेवला तथा उल्लू पर भी
निगाह रखती थी की इनमे से कोई मिल जाए | इस प्रकार बरगद में रहनेवाले ये
चारो प्राणी शत्रु बनकर रहते थे |
चूहा और नेवला बिल्ली के डर से दिन में
बाहर न निकलते | केवल रात में भोजन की तलाश करते | उल्लू तो रात में ही
निकलता था | उधर बिल्ली इन्हें पकड़ने के लिए रात में भी चुपचाप निकल पडती |
एक दिन वहा एक बहेलिया आया | उसने खेत में
जाल लगाया और चला गया | रात में चूहे की खोज में बिल्ली खेत की | और गई |
उसने जाल को नहीं देखा और बस उसमे वह फँस गई | कुछ देर बाद द्वे पांव चूहा
उधर से निकला | उसने बिल्ली को जाल में फंसा देखा तो बहुत खुश हुआ |
तभी न जाने कहा से धूमते हुए नेवला और
उल्लू आ गए | चूहे ने सोचा – ये दोनों मुझे नहीं छोड़ेगे | बिल्ली तो मेरी
शत्रु हे ही | अब क्या करूँ |
उसने सोचा – इस समय बिल्ली मुसीबत में है |
मदद पाने के लालच में शत्रु भी मित्र बन जाता है | इसलिए इस समय बिल्ली की
शरण में जाना चाहिए |
चूहा तुरंत बिल्ली के पास गया और बोला =
“मुझे तुम्हारी इस हालत पर दया आ रही है | में जाल काटकर तुम्हे मुक्त कर
सकता हु | किन्तु में केसे विश्वास करूँ कि तुम मित्रता का व्यवहार करोगी
?”
बिल्ली ने कहा – “तुम्हारे दो शत्रु इधर
ही आ रहे है | तुम मेरे पास आकर छिप जाओ | इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो
सकता है कि में तुम्हे मित्र बनाकर छिपा लूगी |”
चूहा बिल्ली के पास छिप गया | उधर नेवला
और उल्लू भी घूमते धूमते आगे निकल गए | बिल्ली से कहा – “आज से तुम मेरे
मित्र हो | अब जल्दी से जाल काट दो | सवेरा होते ही बहेलिया यहाँ आ जाएगा
|”
चूहे ने जाल काट दिया और भागकर फिर से बिल
में छिप गया | बिल्ली भी मुक्त होकर आ गई | उसने चूहे को आवाज दी – “अरे
मित्र | बहार आओ | अब डरने कि क्या बात है |”
चूहा बोला – “में तुम्हे खूब जानता हु |
शत्रु केवल मुसीबत में फंसकर कि मित्र बनता है | बाद में वह फिर शत्रु बन
जाता है | में तुमपर विश्वास नहीं कर सकता | “