Wednesday, January 26, 2022

मेरी आँख

एक बार एक अंधी औरत थी जो खुद से पूरी तरह नफरत करती थी क्योंकि वह देख नहीं सकती थी। वह एकमात्र व्यक्ति जिसे वह प्यार करती थी वह उसका प्रेमी था, क्योंकि वह हमेशा उसके लिए था। उसने कहा कि अगर वह केवल दुनिया देख सकती है, तो वह उससे शादी करेगी।
एक दिन, किसी ने उसे एक जोड़ी आंखें दान कर दीं - अब वह अपने प्रेमी सहित सब कुछ देख सकती थी। उसके प्रेमी प्रेमी ने उससे पूछा, 'अब जब कि तुम दुनिया देख सकती हो, तो क्या तुम मुझसे शादी करोगी?'
जब महिला ने देखा कि उसका प्रेमी भी अंधा है तो महिला चौंक गई और उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया। उसका प्रेमी आंसुओं के साथ चला गया, और उसे यह कहते हुए एक छोटा नोट लिखा: 'बस मेरी आँखों का ख्याल रखना, प्रिय


Thursday, November 25, 2021

नसीब से मिले वो है दोस्त

खुशी एक ऐसा एहसास है जिसकी हर किसी को  तलाश है,
     गम एक ऐसा अनुभव है जो सबके पास है,
        मगर  ज़िन्दगी तो वही जीता है जिसको खुद पर विश्वास है,,,!!!

जब मिलो किसी से तो जरा दूर का  रिश्ता रखना, 
      बहुत  तड़पाते हैं अक्सर  सीने से लगने वाले,,,!!!
लोगों के पास बहुत कुछ है मगर  मुश्किल यही है कि,
      भरोसे पे  शक है और अपने शक पर भरोसा है,,,!!!
किसी के अन्दर ज्यादा डूबोगे तो  टूटना  पड़ेगा, 
      यकीन न हो तो  बिस्कुट से पूछ लेना,,,!!!
खिलौना से शुरु होकर तू कब खिलौना बन गई ए  ज़िन्दगी
        पता ही नहीं चला!!!

एक औरत की सबसे बड़ी  ताकत उसका पति होता है,
       और उसकी सबसे बड़ी  कमजोरी उसकी  बिगड़ी हुई औलाद होती है,,,!!!

एक व्यक्ति ने फकीर से पूछा कि उत्सव मनाने का  बेहतरीन दिन कौन सा है,
       फकीर ने  प्यार से कहा कि मौत से एक दिन पहले,
        व्यकि ने कहा  मौत का तो कोई  वक्त नहीं,
         फकीर ने  मुस्कुराते हुए कहा तो  ज़िन्दगी का हर दिन  आखिरी समझो,,,!!!
जेब में जरा सा में छेद क्या हो गया ,,?
       सिक्के से ज्यादा तो  रिश्ते गिर गए,,,!!!
जो  आसानी से मिले वो है धोखा, 
     जो  मुश्किल से मिले वो है  इज्जत
      जो  दिल से मिले वो है  प्यार
      और जो नसीब से मिले वो है  दोस्त,,,!!!
पहले होती थी  बातें-ढेर  सारी अब तो कैसे हो से  शुरू  होकर ,
       ठीक हूँ पर *खत्म* हो जाती है,,,!!!

Monday, November 15, 2021

सच्चाई आपको चौंका सकती है

 ट्रेन की खिड़की से बाहर देख एक 24 साल का लड़का चिल्लाया...

'पिताजी, देखो पेड़ पीछे जा रहे हैं!'
पिताजी मुस्कुराए और पास बैठे एक युवा जोड़े ने 24 साल के बच्चे के बचपन के व्यवहार को दया से देखा, अचानक वह फिर से चिल्लाया ...
'पिताजी, देखो बादल हमारे साथ दौड़ रहे हैं!'
दंपति विरोध नहीं कर सके और बूढ़े व्यक्ति से कहा ...
'आप अपने बेटे को अच्छे डॉक्टर के पास क्यों नहीं ले जाते?'
बुढ़िया मुस्कुराई और बोली... 'मैंने किया और हम अभी अस्पताल से आ रहे हैं, मेरा बेटा जन्म से अंधा था, आज ही उसकी आंख लग गई।'
ग्रह पर हर एक व्यक्ति की एक कहानी है। लोगों को सही मायने में जानने से पहले उन्हें जज न करें। सच्चाई आपको चौंका सकती है।"

Tuesday, November 9, 2021

आवश्यक संघर्ष

 एक बार की बात है, एक आदमी को एक तितली मिली जो अपने कोकून से निकलने लगी थी। वह बैठ गया और घंटों तक तितली को देखता रहा क्योंकि वह एक छोटे से छेद से खुद को मजबूर करने के लिए संघर्ष कर रही थी। फिर, इसने अचानक प्रगति करना बंद कर दिया और ऐसा लग रहा था कि यह अटका हुआ है

इसलिए, आदमी ने तितली की मदद करने का फैसला किया। उसने कैंची की एक जोड़ी ली और कोकून के शेष हिस्से को काट दिया। तितली तब आसानी से निकली, हालाँकि उसका शरीर सूजा हुआ था और छोटे, सिकुड़े हुए पंख थे।
उस आदमी ने इसके बारे में कुछ नहीं सोचा, और वह वहीं बैठकर तितली को सहारा देने के लिए पंखों के बढ़ने की प्रतीक्षा कर रहा था। हालांकि, ऐसा कभी नहीं हुआ। तितली ने अपना शेष जीवन उड़ने में असमर्थ, छोटे पंखों और सूजे हुए शरीर के साथ रेंगते हुए बिताया।
आदमी के दयालु हृदय के बावजूद, वह यह नहीं समझ पाया कि सीमित कोकून और छोटे छेद के माध्यम से खुद को पाने के लिए तितली द्वारा आवश्यक संघर्ष एक बार उड़ने के लिए खुद को तैयार करने के लिए तितली के शरीर से तरल पदार्थ को अपने पंखों में मजबूर करने का भगवान का तरीका था। यह मुफ़्त था

Sunday, October 24, 2021

सच्ची साधना

एक व्यक्ति हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करता था। धीरे धीरे वह काफी बुजुर्ग हो चला था इसीलिए एक कमरे मे ही पड़ा रहता था। जब भी उसे शौच, स्नान आदि के लिये जाना होता था वह अपने बेटो को आवाज लगाता था और बेटे ले जाते थे। 
         धीरे-धीरे कुछ दिन बाद बेटे कई बार आवाज लगाने के बाद भी कभी-कभी आते और देर रात तो नहीं भी आते थे। इस दौरान वे कभी-कभी गंदे बिस्तर पर ही रात बिता दिया करते थे। जब और ज्यादा बुढ़ापा होने के कारण उन्हें कम दिखाई देने लगा।
        एक दिन रात को निवृत्त होने के लिये जैसे ही उन्होंने आवाज लगायी, तुरन्त एक लड़का आता है और बडे ही कोमल स्पर्श के साथ उनको निवृत्त करवा कर बिस्तर पर लेटा जाता है। अब ये रोज का नियम हो गया।
        एक रात उनको शक हो जाता है कि, पहले तो बेटों को रात में कई बार आवाज लगाने पर भी नही आते थे। लेकिन ये तो आवाज लगाते ही दूसरे क्षण आ जाता है और बडे कोमल स्पर्श से सब निवृत्त करवा देता है। 
        एक रात वह व्यक्ति उसका हाथ पकड़ लेता है और पूछता है कि सच बता तू कौन है ? मेरे बेटे तो ऐसे नही हैं। तभी अंधेरे कमरे में एक अलौकिक उजाला हुआ और उस लड़के रूपी ईश्वर ने अपना वास्तविक रूप दिखाया। 
          वह व्यक्ति रोते हुये कहता है- "हे प्रभु ! आप स्वयं मेरे निवृत्ती के कार्य कर रहे हैं।। यदि मुझसे इतने प्रसन्न हो तो मुक्ति ही दे दो ना।"  प्रभु कहते है कि जो आप भुगत रहे है वो आपके प्रारब्ध हैं। आप मेरे सच्चे साधक है, हर समय मेरा नाम जप करते हैं इसलिये मैं आपके प्रारब्ध भी आपकी सच्ची साधना के कारण स्वयं कटवा रहा हूँ। व्यक्ति कहता है कि क्या मेरे प्रारब्ध आपकी कृपा से भी बडे है, क्या आपकी कृपा, मेरे प्रारब्ध नही काट सकती है ?
        प्रभु कहते है, मेरी कृपा सर्वोपरि हैं ये अवश्य आपके प्रारब्ध काट सकती है, लेकिन फिर अगले जन्म मे आपको ये प्रारब्ध भुगतने फिर से आना होगा। यही कर्म नियम है। इसलिए आपके प्रारब्ध मैं स्वयं अपने हाथो से कटवा कर इस जन्म-मरण से आपको मुक्ति देना चाहता हूँ। प्रभु कहते है,  प्रारब्ध तीन तरह के होते है। "मन्द, तीव्र तथा तीव्रतम" मन्द प्रारब्ध मेरा नाम जपने से कट जाते हैं।। तीव्र प्रारब्ध किसी सच्चे संत का संग करके श्रद्धा और विश्वास से मेरा नाम जपने पर कट जाते हैं। पर तीव्रतम प्रारब्ध भुगतने ही पडते है। लेकिन जो हर समय श्रद्धा और विश्वास से मुझे जपते हैं, उनके प्रारब्ध मैं स्वयं साथ रहकर कटवाता हूँ और तीव्रता का अहसास नहीं होने देता हूँ।
एक व्यक्ति हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करता था। धीरे धीरे वह काफी बुजुर्ग हो चला था इसीलिए एक कमरे मे ही पड़ा रहता था। जब भी उसे शौच, स्नान आदि के लिये जाना होता था वह अपने बेटो को आवाज लगाता था और बेटे ले जाते थे। 
         धीरे-धीरे कुछ दिन बाद बेटे कई बार आवाज लगाने के बाद भी कभी-कभी आते और देर रात तो नहीं भी आते थे। इस दौरान वे कभी-कभी गंदे बिस्तर पर ही रात बिता दिया करते थे। जब और ज्यादा बुढ़ापा होने के कारण उन्हें कम दिखाई देने लगा।
        एक दिन रात को निवृत्त होने के लिये जैसे ही उन्होंने आवाज लगायी, तुरन्त एक लड़का आता है और बडे ही कोमल स्पर्श के साथ उनको निवृत्त करवा कर बिस्तर पर लेटा जाता है। अब ये रोज का नियम हो गया।
        एक रात उनको शक हो जाता है कि, पहले तो बेटों को रात में कई बार आवाज लगाने पर भी नही आते थे। लेकिन ये तो आवाज लगाते ही दूसरे क्षण आ जाता है और बडे कोमल स्पर्श से सब निवृत्त करवा देता है। 
        एक रात वह व्यक्ति उसका हाथ पकड़ लेता है और पूछता है कि सच बता तू कौन है ? मेरे बेटे तो ऐसे नही हैं। तभी अंधेरे कमरे में एक अलौकिक उजाला हुआ और उस लड़के रूपी ईश्वर ने अपना वास्तविक रूप दिखाया। 
          वह व्यक्ति रोते हुये कहता है- "हे प्रभु ! आप स्वयं मेरे निवृत्ती के कार्य कर रहे हैं।। यदि मुझसे इतने प्रसन्न हो तो मुक्ति ही दे दो ना।"  प्रभु कहते है कि जो आप भुगत रहे है वो आपके प्रारब्ध हैं। आप मेरे सच्चे साधक है, हर समय मेरा नाम जप करते हैं इसलिये मैं आपके प्रारब्ध भी आपकी सच्ची साधना के कारण स्वयं कटवा रहा हूँ। व्यक्ति कहता है कि क्या मेरे प्रारब्ध आपकी कृपा से भी बडे है, क्या आपकी कृपा, मेरे प्रारब्ध नही काट सकती है ?
        प्रभु कहते है, मेरी कृपा सर्वोपरि हैं ये अवश्य आपके प्रारब्ध काट सकती है, लेकिन फिर अगले जन्म मे आपको ये प्रारब्ध भुगतने फिर से आना होगा। यही कर्म नियम है। इसलिए आपके प्रारब्ध मैं स्वयं अपने हाथो से कटवा कर इस जन्म-मरण से आपको मुक्ति देना चाहता हूँ। प्रभु कहते है,  प्रारब्ध तीन तरह के होते है। "मन्द, तीव्र तथा तीव्रतम" मन्द प्रारब्ध मेरा नाम जपने से कट जाते हैं।। तीव्र प्रारब्ध किसी सच्चे संत का संग करके श्रद्धा और विश्वास से मेरा नाम जपने पर कट जाते हैं। पर तीव्रतम प्रारब्ध भुगतने ही पडते है। लेकिन जो हर समय श्रद्धा और विश्वास से मुझे जपते हैं, उनके प्रारब्ध मैं स्वयं साथ रहकर कटवाता हूँ और तीव्रता का अहसास नहीं होने देता हूँ।

Saturday, October 9, 2021

जीवन का आनंद

गाँव में एक बूढ़ा रहता था। सारा गाँव उससे थक गया था; वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा बुरे मूड में रहता था। वह जितने लंबे समय तक जीवित रहा, वह उतना ही निंदनीय होता गया और उसके शब्द अधिक जहरीले होते गए। लोगों ने उससे बचने की पूरी कोशिश की क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक था। उसने दूसरों में दुख की भावना पैदा की।
लेकिन एक दिन, जब वह अस्सी वर्ष के हुए, एक अविश्वसनीय बात हुई। फ़ौरन सभी को यह अफवाह सुनाई देने लगी: 'बूढ़ा आदमी आज खुश है, वह किसी बात की शिकायत नहीं करता, मुस्कुराता है, और उसका चेहरा भी तरोताज़ा हो जाता है।'
सारा गाँव उस आदमी के पास इकट्ठा हो गया और उससे पूछा, “तुम्हें क्या हुआ?”
बूढ़े ने जवाब दिया, 'कुछ खास नहीं। अस्सी साल से मैं खुशी का पीछा कर रहा हूं और यह बेकार था। और फिर मैंने खुशी के बिना जीने और जीवन का आनंद लेने का फैसला किया। इसलिए मैं अब खुश हूं।'