Tuesday, January 17, 2023

सूरत को देखकर उसकी सीरत का अंदाजा नहीं लगाना चाहिए

एक समय की बात है, एक व्यापारी अपनी तीन बेटियों के साथ रहता था. व्यापारी को अपनी तीनो बेटियों से प्यार था. एक दिन उसे किसी काम से दूसरे देश जाना था, जाने से पहले व्यापारी ने अपनी तीनो बेटियों को अपने पास बुलाया और पूछा, “मेरी प्यारी बच्चियों, कहो मैं परदेस से तुम तीनों के लिए क्या लाऊं?”

पहली बेटी ने सुन्दर कपडे और दूसरी बेटी ने गहने मंगवाए. तीसरी बेटी जिसका नाम ब्यूटी था, उसने अपने पिता से कहा कि वह उसके लिए एक गुलाब का फूल ले आये. व्यापारी ने अपनी तीनो बेटियों से उनके उपहार लाने का वादा किया और अपने सफर पर निकल पड़ा.

अपना काम खत्म कर के व्यापारी जब अपने घर की ओर चला, तो वह तूफ़ान में फंस गया और रास्ते से भटक गया. बहुत कोशिशों के बाद भी वह अपने घर का रास्ता ना ढूंढ सका, तब तक तो अँधेरा भी हो चुका था. तभी अचानक उसकी नज़र एक रौशनी पर पड़ी जो दूर एक महल से आ रही थी. व्यापारी ने सोचा शायद महल में उसे रात बिताने की जगह मिल जाये, इसलिए वह उस तरफ चल पड़ा.

जब व्यापारी महल में पंहुचा तो, महल में कोई भी नहीं था. उसने हर तरफ देखा लेकिन उसे महल में कोई नहीं मिला. आश्चर्य की बात थी कि खाने की मेज़ पर कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन रखे हुए थे, परन्तु उन्हें खाने वाला कोई नहीं दिख रहा था. भोजन को देख व्यापारी की भूख और बढ़ गयी थी, इसलिए उसने भर पेट खाना खाया और एक कमरे में मुलायम गद्दों पे सो गया. सुबह व्यापारी ने जब महल के बागीचे में सुन्दर गुलाब खिले देखे, तो उसे ब्यूटी से किया हुआ वादा याद आ गया. उसने एक फूल तोडा और घर की ओर जाने लगा तभी वहाँ एक भयानक जीव प्रकट हुआ और बोला,  “मैंने तुम्हे अपना भोजन खाने दिया, अपने मुलायम गद्दों पर सोने दिया और तुम मेरे ही बागीचे से गुलाब तोड़ रहे हो. तुम्हे इसकी सज़ा भुगतनी होगी.“ व्यापारी बहुत डर गया था, कांपते हुए बोला “मुझे माफ़ कर दो! माफ़ कर दो मुझे!! मुझे मत मारो. यह गुलाब मैंने अपने लिए नहीं तोड़ा, अपनी बेटी के लिए तोड़ा था. मैंने अपनी बेटी से वादा किया था कि मैं उसके लिए गुलाब का फूल लाऊंगा.” यह सुनते ही राक्षस ने व्यापारी से कहा कि वह एक शर्त पर उसे छोड़ेगा, उसे अपनी बेटी को महल में भेजना होगा. डरा और घबराया हुआ व्यापारी अपनी बेटी को भेजने का वादा कर वहां से चला गया.

घर पहुँच कर व्यापारी ने अपनी बेटियों को सारी बात बताई और ब्यूटी से माफ़ी मांगते हुए कहा, “अपनी जान बचाने के लिए मुझे उस समय कुछ समझ नहीं आया और मैं राक्षस से यह वादा कर आया. मुझे माफ़ कर दो ब्यूटी! अपने स्वार्थी पिता को माफ़ कर दो!!” ब्यूटी ने अपने पिता के गले लगते हुए तसल्ली दी, ” आप बिलकुल परेशान ना हों पिताजी, मैं आपका किया हुआ वादा ज़रूर निभाऊंगी.”

ब्यूटी जब महल पहुंची तो बहुत घबराई हुई थी, राक्षस का भयानक चेहरा देख कर वह बहुत डर गयी. लेकिन राक्षस ने उसका खुले दिल से स्वागत किया. राक्षस ने उसे रहने के लिए अपने महल का सबसे अच्छा कमरा दिया और जब ब्यूटी आग के सामने बैठ कर कढ़ाई करती तब राक्षस उसके पास घंटों तक बैठा रहता और उसे निहारता रहता. धीरे-धीरे दोनों को एक दुसरे का साथ अच्छा लगने लगा और वे अच्छे दोस्त बन गए. अब वह दोनों सारा सारा दिन एक दूसरे से बातें करते और खुश रहते. राक्षस को ब्यूटी बहुत अच्छी लगती थी और वह उससे शादी करना चाहता था, लेकिन डरता था कि ब्यूटी एक राक्षस से कभी शादी नहीं करना चाहेगी. बड़ी हिम्मत जुटा कर एक दिन उसने ब्यूटी से अपने दिल की बात कहने का फैसला किया. जब वह ब्यूटी के पास पहुंचा तो देखा कि ब्यूटी अपने पिता को याद करके बहुत उदास है. उससे ब्यूटी की उदासी देखी नहीं गयी और उसने ब्यूटी को एक जादुई शीशा दिया जिससे वह अपने पिता को देख सके. ब्यूटी बहुत खुश हुई, लेकिन जब उसने अपने पिता को देखा तो वह बहुत बीमार थे. यह देख ब्यूटी ने राक्षस से अपने पिता से मिलने की इच्छा जताई. राक्षस ने उसे पिता से मिलने की इजाज़त दे दी और सात दिन में वापिस आने को कहा . ब्यूटी ने तय समय में आने का वादा किया और अपने घर चली गयी. ब्यूटी को सामने देख व्यापारी खुश हो गया और जैसे जैसे उसे पता चला कि राक्षस देखने में भले ही क्रूर हो लेकिन वह दिल का बहुत ही नेक और दयालु है, व्यापारी की सेहत और सुधरती गयी. परिवार से मिलने की खुशी में सात दिन कब निकल गए, ब्यूटी को पता ही नहीं चला.

एक दिन ब्यूटी ने सपना देखा कि राक्षस की हालत बहुत खराब है और जल्दी ही मरने वाला है. अगले ही दिन वह महल वापस आ गयी और उसने पाया कि राक्षस बगीचे में बेसुध पड़ा हुआ था जैसे वह मर चुका हो. ब्यूटी उसे देखते ही रो पड़ी, “तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और तुमसे शादी करना चाहती हूँ. मैं अपनी सारी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ बिताना चाहती हुँ.” जैसे ही ब्यूटी ने यह शब्द कहे, एक रौशनी ने राक्षस को ढक लिया, और जब रौशनी गायब हुई तो भयानक और क्रूर दिखने वाला राक्षस एक खूबसूरत राजकुमार में बदल चुका था. राजकुमार ने बताया कि एक दुष्ट जादूगरनी ने उसे एक राक्षस बना दिया था और सच्चे प्यार से ही उस जादू को तोडा जा सकता था. बहुत समय से राजकुमार उस लड़की को ढूंढ रहा था, जो उससे उस रूप में प्यार करे जिससे सब डरते थे, जो उसकी सूरत से नहीं बल्कि उसके गुणों को चाहे. आखिरकार राजकुमार को उसका सच्चा प्यार मिल गया और वह बहुत खुश था. जल्द ही ब्यूटी और राजकुमार की शादी हो गयी और वह अपनी गुलाबों सी खूबसूरत दुनिया में हसी खुशी रहने लगे.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी की सूरत को देखकर उसकी सीरत का अंदाजा नहीं लगाना चाहिए. इन्सान का बाहरी रूप सिर्फ दिखावा है, उसका साफ दिल, उसके गुण देखकर इन्सान से प्यार किया जाता है.

Tuesday, January 10, 2023

सबसे अमीर आदमी

एक गुरु और शिष्य जंगल से होते हुए अपने गांव जा रहे होते है अँधेरा काफी हो चूका था। शिष्य ने अपने गुरु से कहा की गुरु की काफी रात हो चुकी है अगर आप कहे तो आज की रात यही आस-पास के किसी गांव में गुजार ले, गुरु जी ने अपना सर हिलाया और वो आस-पास के गांव में एक छोटे से घर के पास जाकर रुके।

अब जैसे ही वहा गए तो गुरु जी के शिष्य ने दरवाजा ठकठकाया उस घर से एक गरीब आदमी बाहर आया तो गुरु जी ने बोला हम अपने गांव जा रहे थे लेकिन काफी रात होने के वजह से हमने इसी गांव में रुकने को सोचा। क्या हम आज रात आपके यहां रुक सकते है।

गरीब आदमी बोला हां क्यों नहीं आप दोनों अंदर आ जाईये अब जैसे ही गुरु जी अंदर गए उन्होंने देखा की उस आदमी के घर में बहुत ज्यादा गरीबी थी।

गुरु जी ने उससे पूछा की आप काम क्या करते हो वह गरीब आदमी बोला की मेरे पास बहुत सारी जमीन है तो गुरु जी ने बोला अगर तुम्हारे पास बहुत सारी जमीन है तो इस तरह से क्यों रह रहे हो।वह आदमी बोला यह किसी काम की नहीं है, गांव वाले बोलते है की ये बंजर जमीन है यहाँ पर कुछ भी नहीं उगाई जा सकती है और वहा फसल उगाना बहुत बड़ी बेवकूफी है।

गुरु जी ने बोला की तुम्हारा गुजारा कैसे होता है उसने बोला की मेरे पास एक भैस है जिससे मेरा पूरा घर चलता है ये सुनने के बाद गुरु जी सो जाते है और रात में जब सब लोग सो रहे होते है तब गुरु जी अपने शिष्य को उठाते है और उस गरीब आदमी की भैस लेकर अपने गांव चले जाते है।

शिष्य अपने गुरु से पूछता है की गुरु जी कही आप ये गलत तो नहीं कर रहे है उस गरीब आदमी की रोज़ी रोटी इसी भैस की वजह से चलती है तो गुरु जी अपने शिष्य की तरफ देखते है और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जाते है।

उस बात को तक़रीबन 10 साल गुजर जाती है और जो गुरु का शिष्य था वह बहुत बड़ा गुरु बन चूका था तो एक दिन उन्हें उस गरीब आदमी की याद आती है की मेरे गुरु ने उस आदमी के साथ अच्छा नहीं किया था मुझे एक बार चलकर देखना चाहिए की वह आदमी अब किस परिस्थिति में है।

वह शिष्य उस गांव की तरफ जाता है और वहा जैसे ही पहुँचता है तो वह देखता है की जहा पर उस गरीब आदमी का झोपड़ा था वहा पर एक बड़ा ही आलीशान महल बन चूका था और उस झोपडी के बाहर जो बंजर जमीन थी उसपर फल और फूलो के बगीचे थे।

तभी उधर से उस घर का मालिक आता है शिष्य उसे पहचान लेता है और उस आदमी को बोलता है तुमने मुझे पहचाना मैं अपने गुरु जी के साथ आया था हमने एक रात के लिए आपके यहाँ रुके भी थे।वह आदमी उसे पहचान लेता है और बोलता है की उस रात में आप कहा चले गए थे और उस रात के बाद ही मेरी भैस कही चली गयी थी मेरे पास कोई रास्ता नहीं था तो मैंने अपने जमीन पर मेहनत की और फसल निकल आयी और आज मैं इस गांव का सबसे बड़ा और सबसे अमीर आदमी बन चूका हूँ।

ये सुनने के बाद शिष्य के आँखों में अपने गुरु जी के लिए आँशु आ गए और उसे ये बात अब समझ आयी और वो रोने लगा।

इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की हमारे अंदर ऐसी बहुत सी टैलेंट छुपी हुई है लेकिन हमें कोई ना कोई चीज़ रुका कर रखी है वो आपके फॅमिली वाले भी हो सकते है, आपको जॉब भी हो सकती है कुछ और भी हो सकता है देखिये आपके पास भी तो भैस की जैसी कोई दूसरी चीज़ तो नहीं है जिसने आपको आगे बढ़ने से रोककर रखा है।

Friday, January 6, 2023

बूढ़ा तोता

  एक बार एक शिकारी शिकार करने के लिए जंगल में पहुंचा। उसने अपने तीर पर बहुत ही खतरनाक जहर लगाया और शिकार को निशाना बना करके उसने तीर को छोड़ा लेकिन उसका तीर चूक गया और तीर एक पेड़ पर जा लगा। वह पेड़ बहुत ही हरा-भरा और बहुत सारे तोते उस पेड़ पर रहते थे।

जैसे ही वह जहरीला तीर उस पेड़ पर जाकर लगा वह पेड़ धीरे-धीरे सूखने लगा और उस पेड़ पर जो भी तोते रहते थे वह एक-एक करके उस पेड़ को छोड़कर जाने लगे।

उस बड़े से पेड़ के कोटर में एक बहुत ही बूढ़ा तोता रहता था जो बहुत ही धर्मात्मा और अच्छे मन का था। सभी तोते उस पेड़ को छोड़कर जाने लगे थे लेकिन वह बूढ़ा तोता जाता था दाना लेकर के आता और उसी कोटर में आ करके बैठ जाता था परन्तु उस पेड़ को छोड़ने को तैयार नहीं था।

बूढ़े तोते के साथियो ने कई बार आकर के उसे समझाया की यह पेड़ सुख रहा है और किसी दिन गिर भी जायेगा, चलो किसी और पेड़ पर चल कर रहा जाये परन्तु वह बूढ़ा तोता वहा से जाने को तैयार नहीं हो रहा था।

अब यह बात देवराज इंद्र तक पहुंची उन्हें बताया गया की एक तोता है वह जिस पेड़ पर रहता है उस पेड़ पर एक जहरीला तीर लगने के कारण सूखने, गिरने और ख़त्म होने के कगार पर आ पंहुचा है और एक बूढ़ा तोता अभी भी वही पर रह रहा है वह दाना लेकर आता है और वही पर रहता है जब की उस जंगल में बहुत सारे पेड़ है लेकिन वह उसी पेड़ पर रह रहा है।

देव राज इंद्र प्रगट हुए और उस बूढ़े तोते से कहने लगे की आप बहुत धर्मात्मा है, बहुत ही अच्छे मन के है लेकिन आप इस पेड़ को छोड़कर किसी और पेड़ पर चले जाईये क्योकि यह पेड़ कुछ ही दिनों में गिर जायेगा। तालाब के पास में बहुत से बड़े-बड़े, हरे-भरे पेड़ है, बड़े-बड़े कोटर है उन पेड़ो पर फल भी लगे हुए है उन्हें वही पर तोड़कर खा सकते है, परन्तु यहाँ से आप चले जाये।

तोता बोला माफ़ कीजियेगा, इस पेड़ ने मुझे जीवन दिया है शिकारियों से मेरी रक्षा की है, हर मौषम में मेरे साथ रहा है ये कोटर मेरा घर है यहाँ मै पला बढ़ा हूँ, इस पेड़ को मै छोड़कर कैसे जा सकता हूँ। इस पर संकट आया है तो क्या मै इसे छोड़कर चला जाऊ, मै ऐसा कभी नहीं कर सकता।

देवराज इंद्र तोते के इस बात से बहुत ही प्रसन्न हुए उन्होंने तोते से कहा मै आपके इस बात से बहुत ही खुश हूँ मागो जो आपको मागना हो। उस बूढ़े तोते ने कहा मुझे बस इतना मागना है की जिस पेड़ ने मुझे जन्म दिया, जहा मै रहा, पला बढ़ा जिसे आप मेरा जन्म भूमि कह सकते हो आप इसे फिर से वैसा ही हरा-भरा कर दो जैसा यह था।

देवराज इंद्र ने अमृत से उस पेड़ को सिच दिया और पहले की तरह हरा-भरा कर दिया। अब वापस से उस पेड़ पर आकर के बाकि तोते रहने लगे वह बूढ़ा तोता कुछ समय तक और जिन्दा रहा फिर उसकी मृत्यु हो गयी और वह स्वर्ग में चला गया।

Friday, December 30, 2022

जीवन में मुसीबतें या चुनौतियां

 एक बार एक किसान हर कभी आने वाले आंधी-तूफान, ओलावृष्टि, तेज धूप इत्यादि से परेशान हो गया। क्योंकि कभी-कभी फसल ज्यादा खराब हो जाती थी।

इसलिए वह परेशान होकर ईश्वर से शिकायत करने लगा। 

किसान बोला, “आप ईश्वर तो है लेकिन फसल को कब क्या चाहिए, इसकी जानकारी नहीं है। जिसकी जरूरत भी नहीं होती है, वह भी देते रहते हैं। इसलिए आपसे मैं विनती करता हूं कि आप मुझे एक मौका दीजिए। मेरे कहे अनुसार मौसम कीजिए। फिर हम सब किसान अन्न के भंडार भर देंगे।”

ईश्वर मुस्कुराए और बोले, “ठीक है आज से तुम्हारे अनुसार मौसम रखूंगा।”

किसान खुश हो गया। किसान ने अगली फसल में गेहूं की बुवाई की। उसने जब चाहा तब धूप मिली, उसने जब चाहा पानी मिला, पानी की तो उसने बिल्कुल कमी नहीं आने दी। आंधी, बाढ़ और तेज धूप तो उसने आने ही नहीं दी।

समय बीतने पर फसल बढ़ी हुई। किसान भी बहुत खुश हुआ कि इस बार शानदार फसल दिख रही है।

किसान ने मन ही मन सोचा कि ईश्वर को अब पता चलेगा कि अच्छी फसल के लिए क्या-क्या जरूरी है। फालतू में ही किसान को परेशान करते रहते हैं।”

किसान फसल काटने के लिए खेत पहुंचा। गेहूं के पौधे की बालियों को हाथ लगाया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने देखा कि किसी भी पौधे की बालियों में एक भी दाना नहीं था।

किसान दुखी हो गया और बोला, “हे ईश्वर! ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि मैंने तो सब कुछ सही किया और सही समय पर किया।”

इस पर ईश्वर बोले, “हे प्रिय किसान! ऐसा तो होना ही था। क्योंकि तुमने इन पौधों को बिल्कुल भी संघर्ष नहीं करने दिया। इन्हें ना तो तेज धूप में तपने दिया, ना ही आंधी का सामना करने दिया। इन्हें किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना नहीं करने दिया। इसलिए बाहर से भले ही अच्छे दिख रहे हो लेकिन ये अंदर से बिल्कुल खोखले हैं, इनके अंदर कुछ भी दाने नहीं।

पौधे जब विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हैं तो उनमें ऊर्जा पैदा होती है। यह ऊर्जा उनके अंदर सही सामर्थ्य पैदा करती, जिनके लिए वह बने है।

दोस्तों ठीक इसी प्रकार जब तक इंसान संघर्ष से नहीं गुजरता हैं, वह आदमी खोखला रह जाता है। जीवन की चुनौतियां ही उसके लिए उन्नति के नए रास्ते खोल देती हैं और आदमी को मजबूत और प्रतिभाशाली बनाती है। इसलिए आपके भी जीवन में मुसीबतें या चुनौतियां आए तो घबराना मत। यह आपको बिखेरने के लिए नहीं, निखारने के लिए आई है।

Tuesday, December 20, 2022

कबूतर की समझदारी

ऊँचे आकाश में सफेद कबूतरों की एक टोली उड़कर जा रही थी। 

बहुत दूर जाना था उन्हें। लंबा रास्ता था। सुबह से उड़ते-उड़ते थकान होने लगी थी। 

सूरज तेजी से चमक रहा था। कबूतरों को भूख लगने लगी थी। तभी उन्होंने देखा कि नीचे जमीन पर चावल के बहुत से दाने पड़े थे। 

कबूतरों ने एक-दूसरे से कहा, चलो भाई, थोड़ी देर रुककर कुछ खा लिया जाए। फिर आगे जाएँगे। एक बुजुर्ग कबूतर ने चारों ओर देखा। वहाँ दूर -दूर तक कोई घर या मनुष्य दिखाई नहीं दे रहा था। फिर चावल के ये दाने यहाँ कहाँ से आए ? 

बुजुर्ग कबूतर ने बाकी कबूतरों को समझाया, मुझे लगता है कि यहाँ कुछ गड़बड़ है। तुम लोग नीचे मत उतरो। 

लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं सुनी। सभी कबूतर तेजी से उतरे दाना चुगने लगे। 

इतने बढ़िया दाने बहुत दिनों के बाद खाने को मिले थे। 

वे बहुत खुश थे। जब सभी ने भरपेट खा लिया तो बोले चलो भाई, अब आगे चला जाए। लेकिन यह क्या ? जब उन्होंने उड़ने की कोशिश की तो उड़ ही नहीं पाए। दोनों के साथ-साथ वहाँ एक चिड़ीमार का जाल भी था, जिसमें उनके पाँव फँस गए थे। उन्हें अपनी गलती पर पछतावा हुआ। 

बूढ़ा कबूतर पेड़ पर बैठकर सब देख रहा था। उसने जब अपने साथियों को मुसीबत में देखा तो फौरन उड़ा और चारो ओर देखा। 

दूर उसे चिड़ीमार आता दिखाई दिया। 

वह फौरन लौटा और अपने साथियों को बताया। सब वहाँ से निकलने का उपाय सोचने लगे। 

तब बूढ़े कबूतर ने कहा, दोस्तों, एकता में बड़ी शक्ति होती है। सब एक साथ उड़ोगे तो जाल तुम्हें रोक नहीं पाएगा। 

उसने गिना - एक दो तीन। ........ उड़ो ..... 

सारे कबूतरों ने एक साथ जोर लगाया और जाल उनके साथ उठने लगा। जब तक चिड़ीमार वहाँ पहुँचा, तब तक जाल काफी ऊपर उठ चूका था। वह देखता ही रह गया और कबूतर जाल लेकर उड़ गए। बूढ़ा कबूतर सबसे आगे उड़ रहा था। 

काफी देर उड़ने के बाद वे नीचे उतरे। वहाँ कबूतरों के दोस्त चूहे रहते थे। चूहों ने अपने तेज दातों से जाल काट दिया। 

इस तरह बूढ़े कबूतर की समझदारी और साथ मिलकर काम करने से सभी कबूतर बच गए।

Sunday, December 11, 2022

आलस्य जीवन के लिए एक अभिशाप

एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन  वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश  करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि  अपने पर्यावरण के प्रति  भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेगी| पर याद रहे कि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात मैं इसे तुमसे वापस ले लूँगा|’

 शिष्य इस सुअवसर को पाकर बड़ा प्रसन्न हुआ लेकिन आलसी होने के कारण उसने अपना पहला दिन यह कल्पना करते-करते बिता दिया कि जब उसके पास बहुत सारा स्वर्ण होगा तब वह कितना प्रसन्न, सुखी,समृद्ध और संतुष्ट रहेगा, इतने नौकर-चाकर होंगे कि उसे पानी पीने के लिए भी नहीं उठाना पड़ेगा | फिर दूसरे दिन जब वह  प्रातःकाल जागा,उसे अच्छी तरह से स्मरण था कि आज स्वर्ण पाने का दूसरा और अंतिम दिन है |उसने मन में पक्का विचार किया कि आज वह गुरूजी द्वारा दिए गये काले पत्थर का लाभ ज़रूर उठाएगा | उसने निश्चय किया कि वो बाज़ार से लोहे के बड़े-बड़े सामान खरीद कर लायेगा और उन्हें स्वर्ण में परिवर्तित कर देगा. दिन बीतता गया, पर वह इसी सोच में बैठा रहा की अभी तो बहुत समय है, कभी भी बाज़ार जाकर सामान लेता आएगा. उसने सोचा कि अब तो  दोपहर का भोजन करने के पश्चात ही सामान लेने निकलूंगा.पर भोजन करने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी , और उसने बजाये उठ के मेहनत करने के थोड़ी देर आराम करना उचित समझा. पर आलस्य से परिपूर्ण उसका शरीर नीद की गहराइयों में खो गया, और जब वो उठा तो सूर्यास्त होने को था. अब वह जल्दी-जल्दी बाज़ार की तरफ भागने लगा, पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गए उनको देखते ही वह उनके चरणों पर गिरकर, उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा लेकिन गुरूजी नहीं माने और उस शिष्य का धनी होने का सपना चूर-चूर हो गया | पर इस घटना की वजह से शिष्य को एक बहुत बड़ी सीख मिल गयी: उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा, वह समझ गया कि आलस्य उसके जीवन के लिए एक अभिशाप है और उसने प्रण किया कि अब वो कभी भी काम से जी नहीं चुराएगा और एक कबनर्मठ, सजग और सक्रिय व्यक्ति कर दिखायेगा.

 मित्रों, जीवन में हर किसी को एक से बढ़कर एक अवसर मिलते हैं , पर कई लोग इन्हें बस अपने आलस्य के कारण गवां देते हैं.   यदि आप सफल, सुखी, भाग्यशाली, धनी अथवा महान  बनना चाहते हैं तो आलस्य और दीर्घसूत्रता को त्यागकर, अपने अंदर विवेक, कष्टसाध्य श्रम,और सतत् जागरूकता जैसे गुणों को विकसित कीजिये और जब कभी आपके मन में किसी आवश्यक काम को टालने का विचार आये तो स्वयं से एक प्रश्न कीजिये – “आज ही क्यों नहीं ?”

Thursday, December 1, 2022

असफलता जीवन का एक हिस्सा है

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे.

उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”

आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!

इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.

याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.