Friday, June 7, 2019

इंद्र भगवान की भूल

एक बार इंद्र भगवान ने गुस्से मे आकर सभी को श्राप दे दिया कि 12 साल वो बरसात नही करेंगे जिससे लोग पानी को तरसेंगे... 


लोगो मे हाहाकार मच गया


बडे बडे देवो ने समझाया पर इंद्र भगवान नही माने....


बारिश का महीना आया , इंद्रदेव ने बारिश नही की


पर एक किसान अपने बच्चो के साथ खेत मे गया और खेती के वो सभी काम करने लगा जो बरसात से पहले किये जाते है साथ मे वो अपने बच्चो को भी समझा रहा था के काम कैसे किया जाये... 


इंद्रदेव को देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि 12 साल तक पानी नही बरसेगा फिर भी ये काम क्यूं कर रहा है ????


इंद्रदेव ब्राह्मण का रूप धर के उसके पास गये और कहा , हे किसान क्या तूमने श्रापित आकाशवाणी नही सुनी कि12 साल बरसात नही होगी??? फिर क्यू खेत जोत रहे हो??? 


किसान ने कहा सुनी थी ब्राह्मणदेवता


पर अगर मै और मेंरे बेटे 12 साल काम नही करेंगे तो हम भूल जायेगे कि खेती कैसे करते है फिर बारिश होगी तो भूखो मर जायेंगे इसलिये हम खेती कर रहे है....


इंद्रदेव की आंखे खुल गई


वो सोचने लगे 12 साल मे तो शायद मैं भी बारिश गिराने का कौशल भूल जाउंगा...... 

उन्होने तुरंत श्राप वापस लिया और बारिश करवा दी...

मोरल:- इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि ...

हमें कितनी भी कडकी लगी हो या पैसे की तंगी हो ..

31 दिसंबर तो मनाना ही चाहिये.. नही तो जिस दिन पैसे आयेंगे हम पार्टी करना भूल गये होंगे.....

Sunday, June 2, 2019

अद्भुत रिश्तों

एक भंवरे की मित्रता एक गोबरी (गोबर में रहने वाले) कीड़े से थी ! एक दिन कीड़े ने भंवरे से कहा- भाई तुम मेरे सबसे अच्छे मित्र हो, इसलिये मेरे यहाँ भोजन पर आओ!

भंवरा भोजन खाने पहुँचा! बाद में भंवरा सोच में पड़ गया- कि मैंने बुरे का संग किया इसलिये मुझे गोबर खाना पड़ा! अब भंवरे ने कीड़े को अपने यहां आने का निमंत्रन दिया कि तुम कल मेरे यहाँ आओ!

अगले दिन कीड़ा भंवरे के यहाँ पहुँचा! भंवरे ने कीड़े को उठा कर गुलाब के फूल में बिठा दिया! कीड़े ने परागरस पिया! मित्र का धन्यवाद कर ही रहा था कि पास के मंदिर का पुजारी आया और फूल तोड़ कर ले गया और बिहारी जी के चरणों में चढा दिया! कीड़े को ठाकुर जी के दर्शन हुये! चरणों में बैठने का सौभाग्य भी मिला! संध्या में पुजारी ने सारे फूल इक्कठा किये और गंगा जी में छोड़ दिए! कीड़ा अपने भाग्य पर हैरान था! इतने में भंवरा उड़ता हुआ कीड़े के पास आया, पूछा-मित्र! क्या हाल है? कीड़े ने कहा-भाई! जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति हो गयी! ये सब अच्छी संगत का फल है!

कोई भी नही जानता कि हम इस जीवन के सफ़र में एक दूसरे से क्यों मिलते है,


सब के साथ रक्त संबंध नहीं हो सकते परन्तु ईश्वर हमें कुछ लोगों के साथ मिलाकर अद्भुत रिश्तों में बांध देता हैं,हमें उन रिश्तों को हमेशा संजोकर रखना चाहिए।


Saturday, May 25, 2019

 व्रत कथा


एक सुंदर शहर था। वहाँ एक सुंदर स्त्री रहती थी


वह घरेलू परेशानियों से तंग और बच्चों की शिक्षा को लेकर बहुत परेशान रहती थी परंतु कड़ी मेहनत करती थी


जिम्मेदारी का बोझ, अकेलेपन से बीमार पड़ गई थी।

बीपी, शुगर ने शरीर में घर कर लिया था और हंसी, खुशी, आनंद सब गायब हो गया था।

फिर एक दिन एक सहेली ने उसे स्मार्टफोन उपहार में दिया।

उसने व्हाट्सएप से दोस्तों के साथ संवाद करना शुरू कर दिया।

कुछ ही दिनों में उसकी सारी रिपोर्ट सामान्य आ गई।

बैठे बैठे बी.पी. शक्कर सब नार्मल होने लगी

वह आनंद से व्हाट्सएप व्रत की सफलता की कहानी सबको बताने लगी।

उसकी एक सहेली थी, उसने कहा मुझे भी बताओ, यह व्रत कैसे किया जाता है और इसके करने से क्या फल मिलता है। मैं भी यह व्रत करूंगी।

महिला ने कहा, हर सुबह उठने के साथ इस भगवान के दर्शन कर जीएम, जीएन का समय-समय पर जाप करना चाहिए।

समय समय पर भगवान के दर्शन कर मन को शुद्ध करें।

एक ग्रुप के व्हाट्सएप मैसेज को पूरी भक्ति भावना से दूसरे ग्रुप में अर्पण करें।

गुस्सा नहीं करें, रुठें नहीं और अपना ग्रुप छोड़ें नहीं।

उस स्त्री ने पूरे भक्ति भाव से यह व्रत किया और उसे 4 महीने में ही आश्चर्यजनक रुप से फल मिला।

Sunday, May 19, 2019

माखन चोर नटखट

माखन चोर नटखट श्री कृष्ण को रंगे हाथों पकड़ने के लिये एक ग्वालिन ने एक अनोखी जुगत भिड़ाई।

उसने माखन की मटकी के साथ एक घंटी बाँध दी, कि जैसे ही बाल कृष्ण माखन-मटकी को हाथ लगायेगा, घंटी बज उठेगी और मैं उसे रंगे हाथों पकड़ लूँगी।

बाल कृष्ण अपने सखाओं के साथ दबे पाँव घर में घुसे।

श्री दामा की दृष्टि तुरन्त घंटी पर पड़ गई और उन्होंने बाल कृष्ण को संकेत किया।

बाल कृष्ण ने सभी को निश्चिंत रहने का संकेत करते हुये, घंटी से फुसफसाते हुये कहा:-

"देखो घंटी, हम माखन चुरायेंगे, तुम बिल्कुल मत बजना"

घंटी बोली "जैसी आज्ञा प्रभु, नहीं बजूँगी"

बाल कृष्ण ने ख़ूब माखन चुराया अपने सखाओं को खिलाया - घंटी नहीं बजी।

ख़ूब बंदरों को खिलाया - घंटी नहीं बजी।

अंत में ज्यों हीं बाल कृष्ण ने माखन से भरा हाथ अपने मुँह से लगाया , त्यों ही घंटी बज उठी।

घंटी की आवाज़ सुन कर ग्वालिन दौड़ी आई। 

ग्वाल बालों में भगदड़ मच गई।

सारे भाग गये बस श्री कृष्ण पकड़ाई में आ गये।

बाल कृष्ण बोले - "तनिक ठहर गोपी , तुझे जो सज़ा देनी है वो दे दीजो , पर उससे पहले मैं ज़रा इस घंटी से निबट लूँ...क्यों री घंटी...तू बजी क्यो...मैंने मना किया था न...?"

घंटी क्षमा माँगती हुई बोली - "प्रभु आपके सखाओं ने माखन खाया , मैं नहीं बजी...आपने बंदरों को ख़ूब माखन खिलाया , मैं नहीं बजी , किन्तु जैसे ही आपने माखन खाया तब तो मुझे बजना ही था...मुझे आदत पड़ी हुई है प्रभु...मंदिर में जब पुजारी  भगवान को भोग लगाते हैं तब घंटियाँ बजाते हैं...इसलिये प्रभु मैं आदतन बज उठी और बजी..."


Thursday, May 16, 2019

स्त्री की चाहत

एक विद्वान को फांसी लगने वाली थी।

राजा ने कहा, आपकी जान बख्श दुंगा यदि सही उत्तर बता देगा तो

*प्रशन : आखिर स्त्री चाहती क्या है ??*

विद्वान ने कहा, मोहलत मिले तो पता कर के बता सकता हूँ।

राजा ने एक साल की मोहलत दे दी और साथ में बताया कि अगर उतर नही मिला तो फांसी पर चढा दिये जाओगे,

विद्वान बहुत घूमा बहुत लोगों से मिला पर कहीं से भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।

आखिर में किसी ने कहा दूर एक जंगल में एक चुड़ैल रहती है वही बता सकती है।

चुड़ैल ने कहा कि मै इस शर्त पर बताउंगी  यदि तुम मुझसे शादी करो।

उसने सोचा, जान बचाने के लिए शादी की सहमति देदी।

शादी होने के बाद चुड़ैल ने कहा, चूंकि तुमने मेरी बात मान ली है, तो मैंने तुम्हें खुश करने के लिए फैसला किया है कि 12 घन्टे मै चुड़ैल और 12 घन्टे खूबसूरत परी बनके रहूंगी,
अब तुम ये बताओ कि दिन में चुड़ैल रहूँ या रात को।
उसने सोचा यदि वह दिन में चुड़ैल हुई तो दिन नहीं कटेगा, रात में हुई तो रात नहीं कटेगी।

अंत में उस विद्वान कैदी ने कहा, जब तुम्हारा दिल  करे परी बन जाना, जब दिल करे चुड़ैल बनना।

ये बात सुनकर चुड़ैल ने प्रसन्न हो के कहा, चूंकि तुमने मुझे अपनी मर्ज़ी की  करने की छूट देदी है, तो मै हमेशा ही परी बन के रहा करूँगी।

यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है।

*स्त्री अपनी मर्जी का करना चाहती है।*

*यदि स्त्री को अपनी मर्ज़ी का करने देंगे तो*,

*वो परी बनी रहेगी वरना चुड़ैल*

Saturday, April 20, 2019

बादशाह का रफूगर

कहते हैं एक बादशाह ने रफूगर रखा हुआ था, 

जिसका काम कपड़ा रफू करना नहीं, बातें रफू करना था.!!

दरसल वो बादशाह की हर बात की कुछ ऐसी वज़ाहत करता के सुनने वाले सर धुनने लगते के वाकई बादशाह सलामत ने सही फरमाया,

एक दिन बादशाह दरबार लगाकर अपनी जवानी के शिकार की कहानी सुनकर रियाया को मरऊब कर रहे थे,

जोश में आकर कहने लगे के एकबार तो ऐसा हुआ मैंने आधे किलोमीटर से निशाना लगाकर जो एक हिरन को तीर मारा तो तीर सनसनाता हुआ गया और हिरन की बाईं आंख में लगकर दाएं कान से होता हुआ पिछले पैर की दाईं टांग के खुर में जा लगा,

बादशाह को तवक़क़ो थी के अवाम दाद देंगे लेकिन अवाम ने कोई दाद नहीं दी,

वो बादशाह की इस बात पर यकीन करने को तैयार ही नहीं थे,

इधर बादशाह भी समझ गया ज़रूरत से ज़्यादा लम्बी छोड़ दी.. और अपने रफूगर की तरफ देखने लगा,

रफूगर उठा और कहने लगा.. हज़रात मैं इस वाक़ये का चश्मदीद गवाह हूँ,

दरसल बादशाह सलामत एक पहाड़ी के ऊपर खड़े थे हिरन काफी नीचे था,

हवा भी मुआफ़िक चल रही थी वरना तीर आधा किलोमीटर कहाँ जाता है..

जहां तक ताअल्लुक़ है "आंख "कान और "खुर का, तो अर्ज़ करदूँ जिस वक्त तीर लगा था उस वक़्त हिरन दाएं खुर से दायाँ कान खुजला रहा था,

इतना सुनते ही अवाम ने दादो तहसीन के लिए तालियां बजाना शुरू कर दीं

अगले दिन रफूगर बोरिया बिस्तरा उठाकर जाने लगा..

बादशाह ने परेशान होकर पूछा कहाँ चले?


Sunday, April 14, 2019

कंजक पूजन

मुहल्ले की औरतें कंजक पूजन के लिए तैयार थी,

मिली नहीं कोई लड़की, उन्होंने हार अपनी मान ली।

फिर किसी ने बताया, अपने मोहल्ले के है बाहर जी,

बारह बेटियों का बाप,  है सरदार जी।

सुन कर उसकी बात , हसकर मैंने यह कह दिया,


बेटे के चक्कर में, सरदार, बेटियां बारह कर के बैठ गया।

पड़ोसियों को साथ लेकर, जा पुहाचां उसके घर पे,

सत श्री अकाल कहा, मैंने प्रणाम उसे कर के।

कंजक पूजन के लिए आपकी बेटियां घर लेकर जानी है,

आपकी पत्नी ने कंजके बिठा ली, या बिठानी है ?

सुन के मेरी बात बोला , कोई गलतफहमी हुई है।

किसकी पत्नी जी ,  मेरी तो अभी शादी नहीं हुई है।

सुन के उसकी बात, मै तो चक्करा गया,

बातों बातों में वो मुझे क्या क्या बता गया।

मत पूछो इनके बारे में, जो बातें मैंने छुपाई है,

क्या बताओ आपको, की मैंने कहां कहां से उठाई है।

मां बाप इनके हैवानियत की हदें सब तोड़ गए,

मन्दिर मस्ज़िद कई हस्पतालों में थे छोड़ गए।

बड़े बड़े दरिंदे है, अपने इस जहान में,

यह जो दो छोटियां है, मिली थी मुझे कूड़ेदान में।

इसका बाप कितना निर्दयी होगा, जिसे दया ना आई नन्ही सी जान पे,

हम मुर्दों को लेकर जाते हैं, वो जिन्दा ही छोड़ गया इसे श्मशान में।

यह जो बड़ी प्यारी सी है, थोड़ा लंगड़ा के चल रही थी,

मैंने देखा के तलाब के पास एक गाड़ी खड़ी थी।

बैग फेक भगा ली गाड़ी, जैसे उसे जल्दी बड़ी थी।

शायद उसके पीछे कोई आफ़त पड़ी थी।

बैग था आकर्षित, मैंने लालच में  उठाया था,

देखा जब खोल के, आंसू रोक नहीं पाया था।

जबरन बैग में डालने के लिए, उसने पैर इसके मोड़ दिये,

शायद उसे पता नहीं चला, की उसने कब पैर इसके तोड़ दिये।

सात साल हो गए इस बात को, ये दिल पे लगा कर बैठी है,

बस गुम सुम सी रहती हैं, दर्द सीने में छुपा कर बैठी है।

सुन के बात सरदार जी की, सामने आया सब पाप था,

लड़की के सामने जो खड़ा था कोई और नहीं उसका बाप था।

देखा जब पडोसियों के तरफ़, उनके चेहरे के रंग बताते थे,     

वो भी किसी ना किसी लड़की के, मुझे मां बाप नजर आते थे।

दिल पे पत्थर रख कर , लड़कियों को घर लेकर आ गया,

बारी बारी सब को हमने पूजा के लिए बिठा दिया।

जिन हाथों ने अपने हाथ से , तोड़े थे जो पैर जी,

टूटे हुए पैरों को छू कर, मांग रहे थे ख़ैर जी।

क्यों लोग खुद की बेटी मार कर,

दूसरों की पूजना चाहते हैं।


कुछ लोग कंजक पूजन ऐसे ही मनाते हैं