Tuesday, June 28, 2016

अतिश्रेष्ठ व्यक्ति

एक अतिश्रेष्ठ व्यक्ति थे, एक दिन उनके पास एक निर्धन आदमी आया और बोला की मुझे अपना खेत उधार दे दीजिये, मैं उसमें खेती करूँगा और खेती करके कमाई करूँगा ....

वह अतिश्रेष्ठ व्यक्ति बहुत दयालु थे ...
उन्होंने उस निर्धन व्यक्ति को अपना खेत दे दिया और साथ में पांच किसान भी सहायता के रूप में खेती करने को दिये और कहा की इन पांच किसानों को साथ में लेकर खेती करो, खेती करने में आसानी होगी ...
इस से तुम और अच्छी फसल की खेती करके कमाई कर पाओगे।

वो निर्धन आदमी ये देख के बहुत खुश हुआ की उसको उधार में खेत भी मिल गया और साथ में काम करने के लिय पांच सहायक किसान भी मिल गये।

लेकिन वो आदमी अपनी इस ख़ुशी में बहुत खो गया और वह पांच किसान अपनी मर्ज़ी से खेती करने लगे और वह निर्धन आदमी अपनी ख़ुशी में डूबा रहा .....
और जब फसल काटने का समय आया तो देखा की फसल बहुत ही ख़राब हुई थी, उन पांच किसानो ने खेत का उपयोग अच्छे से नहीं किया था और ना ही उसमें अच्छे बीज ही डाले थे, जिससे फसल अच्छी हो सके |

जब उस अतिश्रेष्ठ दयालु व्यक्ति ने अपना खेत वापस माँगा तो वह निर्धन व्यक्ति रोता हुआ बोला की मैं बर्बाद हो गया, मैं अपनी ख़ुशी में डूबा रहा और इन पांचों किसानो को नियंत्रण में ना रख सका और ना ही इनसे अच्छी खेती करवा सका।

अब यहाँ ध्यान दीजियेगा-

वह अतिश्रेष्ठ दयालु व्यक्ति हैं - "भगवान" ....

और वह निर्धन व्यक्ति हैं -"हम"

खेत है -"हमारा शरीर"

और वह पांच किसान हैं हमारी इन्द्रियां-:
आँख, कान, नाक,जीभ और मन।

प्रभु ने हमें यह शरीर रुपी खेत अच्छी फसल (कर्म) करने को दिया है और हमें इन पांच किसानो को अर्थात इन्द्रियों को अपने नियंत्रण में रख कर अपनें कर्म करने चाहियें, जिससे जब वो दयालु प्रभु जब ये शरीर वापस मांग कर हमारा हिसाब करें तो हमें रोना ना पड़े।

Sunday, June 26, 2016

बीते हुए दिन

कभी हमारे जहाज भी चला करते थे। हवा में भी। पानी में भी। दो दुर्घटनाएं हुई। सब कुछ डूब गया।
जहाज हवा मे उड़ाना छूट गया। पानी में तैराना छूट गया। एक बार क्लास में हवाई जहाज उड़ाया।
मैडम के पिछबाड़े से टकराया। स्कूल से निकलने की नौबत आ गई। बहुत फजीहत हुई। कसम दिलाई गई।
औऱ जहाज उडा़ना छूट गया। वारिश के मौसम में,मां ने अठन्नी दी। चाय के लिए दूध लाना था।कोई मेहमान आया था। हमने गली की नाली में तैरते अपने जहाज में बिठा दी। तैरते जहाज के साथ हम चल रहे थे।
ठसक के साथ।खुशी खुशी। अचानक तेज बहाब आया। जहाज डूब गया। साथ में अठन्नी भी डूब गई।
ढूंढे से ना मिली। मेहमान बिना चाय पीये चला गया। फिर जमकर ठुकाई हुई। घंटे भर मुर्गा बनाया गया।
औऱ हमारा पानी में जहाज तैराना भी बंद हो गया।  आज प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें उन दिनों की याद दिलाती हैं।  बच्चे ने आठ हजार का मोबाइल गुमाया तो मां बोली, कोई  बात नहीं, पापा दूसरा दिला देंगे।
हमें अठन्नी पर मिली सजा याद आ गई।  फिर भी आलम यह है कि आज भी हमारे सर मां-बाप के
चरणों में श्रद्धा से छुकते हैं। औऱ हमारे बच्चे 'यार पापा,यार मम्मी' कहकर बात करते हैं। हम प्रगतिशील से प्रगतिवान हो गये हैं।
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन।।

Saturday, June 25, 2016

हूं तो इंसान ही

मैं एक दुकान में खरीददारी कर रहा था, तभी मैंने उस दुकान के कैशियर को एक 5-6 साल की लड़की से
बात करते हुए देखा | कैशियर बोला :~ "माफ़ करना बेटी, लेकिन इस गुड़िया को  खरीदने के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं|" फिर उस छोटी सी लड़की ने मेरी ओर  मुड़ कर मुझसे पूछा:~
"अंकल,
क्या आपको भी यही लगता है  कि मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं?''  मैंने उसके पैसे गिने  और उससे कहा:~ "हाँ बेटे,
यह सच है कि तुम्हारे पास इस गुड़िया को खरीदने के लिए पूरे पैसे नहीं हैं"| वह नन्ही सी लड़की
अभी भी अपने हाथों में गुड़िया थामे हुए खड़ी थी | मुझसे रहा नहीं गया | इसके बाद मैंने उसके पास जाकर उससे
पूछा कि यह गुड़िया वह किसे देना चाहती है? इस पर उसने उत्तर दिया कि यह वो गुड़िया है, जो उसकी बहन को बहुत प्यारी है | और वह इसे, उसके जन्मदिन के लिए उपहार में देना चाहती है | बच्ची ने कहा यह गुड़िया पहले मुझे  मेरी मम्मी को देना है,  जो कि बाद में मम्मी  जाकर मेरी बहन को दे देंगी"| यह कहते-कहते
  उसकी आँखें नम हो आईं थी मेरी बहन भगवान के घर गयी है... और मेरे पापा कहते हैं कि मेरी मम्मी भी जल्दी-ही भगवान से  मिलने जाने वाली हैं| तो, मैंने सोचा कि क्यों ना वो इस  गुड़िया को अपने साथ ले जाकर, मेरी बहन को दे दें...|" मेरा दिल धक्क-सा रह गया था | उसने ये सारी बाते  एक साँस में ही कह डालीं और फिर मेरी ओर देखकर बोली - "मैंने पापा से कह दिया है कि मम्मी से  कहना कि वो अभी ना जाएँ|  वो मेरा,
दुकान से लौटने तक का इंतजार करें|  फिर उसने मुझे एक बहुत प्यारा-  सा फोटो दिखाया जिसमें वह खिलखिला कर हँस  रही थी |  इसके बाद उसने मुझसे कहा:~ "मैं चाहती हूँ कि मेरी मम्मी, मेरी यह फोटो भी अपने साथ ले जायें, ताकि मेरी बहन मुझे भूल नहीं पाए| मैं अपनी मम्मी से बहुत प्यार करती हूँ और मुझे नहीं लगता कि वो मुझे ऐसे छोड़ने के लिए राजी होंगी, पर पापा कहते हैं कि  मम्मी को मेरी छोटी बहन के साथ रहने के लिए जाना ही पड़ेगा क्योंकि वो बहुत छोटी है, मुझसे भी छोटी है | उसने धीमी आवाज मैं बोला। इसके बाद फिर से उसने उस  गुड़िया को ग़मगीन आँखों-से खामोशी-से देखा|  मेरे हाथ जल्दी से अपने बटुए ( पर्स ) तक
पहुँचे और मैंने उससे कहा:~ "चलो एक बार  और गिनती करके देखते हैं  कि तुम्हारे पास गुड़िया के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं?'' उसने कहा-:"ठीक है| पर मुझे लगता है शायद मेरे पास पूरे पैसे हैं"| इसके बाद मैंने
उससे नजरें बचाकर  कुछ पैसे उसमें जोड़ दिए और फिर हमने उन्हें गिनना शुरू किया | ये पैसे उसकी
गुड़िया के लिए काफी थे यही नहीं, कुछ पैसे अतिरिक्त बच भी गए थेl | नन्ही-सी लड़की ने कहा:~ "भगवान्
का लाख-लाख शुक्र है मुझे इतने सारे पैसे देने के लिए!  फिर उसने  मेरी ओर देख कर कहा कि मैंने कल
रात सोने से पहले भगवान् से  प्रार्थना की थी कि मुझे इस गुड़िया को खरीदने के लिए पैसे दे देना,  ताकि मम्मी इसे मेरी बहन को दे सकें |  और भगवान् ने मेरी बात सुन ली| इसके अलावा मुझे मम्मी के लिए एक सफ़ेद गुलाब खरीदने के लिए भी पैसे चाहिए थे, पर मैं भगवान से इतने ज्यादा पैसे मांगने की हिम्मत नहीं कर पायी थी पर भगवान् ने तो मुझे इतने पैसे दे दिए हैं कि अब मैं गुड़िया के साथ-साथ एक सफ़ेद गुलाब भी खरीद सकती हूँ ! मेरी मम्मी को सफेद गुलाब बहुत पसंद हैं| "फिर हम वहा से निकल गए | मैं अपने दिमाग से उस छोटी- सी लड़की को  निकाल नहीं पा रहा था | फिर,मुझे दो दिन पहले  स्थानीय समाचार पत्र में छपी एक
घटना याद आ गयी जिसमें  एक शराबी  ट्रक ड्राईवर के बारे में लिखा था| जिसने नशे की हालत में मोबाईल फोन पर  बात करते हुए एक कार-चालक  महिला की कार को  टक्कर मार दी थी, जिसमें उसकी 3 साल की बेटी की
घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी थी  और वह महिला कोमा में  चली गयी थी| अब एक महत्वपूर्ण निर्णय उस परिवार को ये लेना था कि, उस महिला को जीवन रक्षक मशीन पर बनाए रखना है अथवा नहीं? क्योंकि वह कोमा से बाहर आकर, स्वस्थ हो सकने की अवस्था में नहीं थी | दोनों पैर , एक हाथ,आधा चेहरा कट चुका था । आॅखें जा चुकी थी । "क्या वह परिवार इसी छोटी-  लड़की का ही था?" मेरा मन रोम-रोम काँप उठा |
मेरी उस नन्ही लड़की के साथ हुई मुलाक़ात के 2 दिनों बाद मैंने अखबार में  पढ़ा कि उस महिला को बचाया नहीं जा सका,  मैं अपने आप को रोक नहीं सका और अखबार  में दिए पते पर जा पहुँचा,  जहाँ उस महिला को  अंतिम दर्शन के लिए  रखा गया था वह महिला श्वेत धवल कपड़ों में थी- अपने हाथ में एक सफ़ेद गुलाब और उस छोटी-सी लड़की का वही हॅसता हुआ फोटो लिए हुए और उसके सीने पर रखी हुई  थी -  वही गुड़िया |
मेरी आँखे नम हो गयी । दुकान में मिली बच्ची और सामने मृत ये महिला से मेरा तो कोई वास्ता नही था लेकिन हूं तो इंसान ही ।ये सब देखने के बाद अपने आप को सभांलना एक बडी चुनौती थी
मैं नम आँखें लेकर वहाँ से लौटा

Thursday, June 23, 2016

एक पैग़ाम

मैं एक दुकान में  खरीददारी कर रहा था,  तभी मैंने उस दुकान के कैशियर को एक 5-6  साल की लड़की  से
बात करते हुए देखा | कैशियर बोला  "माफ़ करना बेटी, लेकिन इस गुड़िया को खरीदने के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं|" फिर उस छोटी सी लड़की ने मेरी ओर मुड़ कर मुझसे पूछा:~ "अंकल,  क्या आपको भी यही लगता है  कि मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं?'' मैंने उसके पैसे गिने  और उससे कहा:~ "हाँ बेटे, यह सच है कि तुम्हारे पास इस गुड़िया को खरीदने के लिए पूरे पैसे  नहीं हैं"|  वह नन्ही सी लड़की  अभी भी अपने हाथों में गुड़िया थामे हुए खड़ी थी | मुझसे रहा नहीं गया |  इसके बाद मैंने उसके पास जाकर उससे  पूछा कि यह गुड़िया वह किसे  देना चाहती है?  इस पर उसने उत्तर दिया कि यह वो गुड़िया है, जो उसकी बहन को बहुत प्यारी है | और वह इसे, उसके जन्मदिन के लिए उपहार में देना चाहती है |  बच्ची ने कहा यह गुड़िया पहले मुझे  मेरी मम्मी को देना है, जो कि बाद में मम्मी  जाकर मेरी बहन को दे देंगी"| यह कहते-कहते उसकी आँखें नम हो आईं थी मेरी बहन भगवान के घर गयी है... और मेरे पापा कहते हैं  कि मेरी मम्मी भी जल्दी-ही भगवान से मिलने जाने वाली हैं| तो, मैंने सोचा कि क्यों ना वो इस  गुड़िया को अपने साथ ले जाकर, मेरी बहन  को दे दें...|" मेरा दिल धक्क-सा रह गया था | उसने ये सारी बातें  एक साँस में ही कह डालीं
और फिर मेरी ओर देखकर बोली -  "मैंने पापा से कह दिया है कि मम्मी से  कहना कि वो अभी ना जाएँ|
वो मेरा, दुकान से लौटने तक का इंतजार  करें| फिर उसने मुझे एक बहुत प्यारा- सा फोटो दिखाया जिसमें वह  खिलखिला कर हँस रही थी | इसके बाद उसने मुझसे कहा: "मैं चाहती हूँ कि मेरी मम्मी,  मेरी यह
फोटो भी अपने साथ ले जायें,  ताकि मेरी बहन मुझे भूल नहीं पाए|  मैं अपनी मम्मी से बहुत प्यार करती हूँ और  मुझे नहीं लगता कि वो मुझे ऐसे छोड़ने के लिए राजी होंगी,  पर पापा कहते हैं कि   मम्मी को मेरी छोटी  बहन के साथ रहने के लिए जाना ही पड़ेगा क्योंकि वो बहुत छोटी है, मुझसे भी छोटी है | उसने धीमी आवाज मैं बोला। इसके बाद फिर से उसने उस  गुड़िया को ग़मगीन आँखों-से खामोशी-से  देखा|  मेरे हाथ जल्दी से  अपने बटुए ( पर्स ) तक  पहुँचे और मैंने उससे कहा:~ "चलो एक बार  और गिनती करके देखते हैं
कि तुम्हारे पास गुड़िया के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं?'' उसने कहा-:"ठीक है|  पर मुझे लगता है  शायद मेरे पास पूरे पैसे हैं"|  इसके बाद मैंने  उससे नजरें बचाकर कुछ पैसे  उसमें जोड़ दिए और फिर हमने उन्हें
गिनना शुरू किया | ये पैसे उसकी  गुड़िया के लिए काफी थे यही नहीं, कुछ पैसे अतिरिक्त बच भी गए थेl |
नन्ही-सी लड़की ने कहा:~
"
भगवान्
का लाख-लाख शुक्र है
मुझे इतने सारे पैसे
देने के लिए!

फिर उसने  मेरी ओर देख कर  कहा कि मैंने कल  रात सोने से पहले भगवान् से  प्रार्थना की थी कि मुझे इस  गुड़िया को खरीदने के  लिए पैसे दे देना,  ताकि मम्मी इसे मेरी बहन को दे सकें | और भगवान् ने मेरी बात सुन ली|  इसके अलावा मुझे मम्मी के लिए एक सफ़ेद गुलाब खरीदने के लिए भी पैसे चाहिए थे, पर मैं भगवान से  इतने ज्यादा पैसे मांगने  की हिम्मत नहीं कर पायी थी  पर भगवान् ने तो  मुझे इतने पैसे दे दिए हैं  कि अब मैं गुड़िया के साथ-साथ एक सफ़ेद  गुलाब भी खरीद सकती हूँ ! मेरी मम्मी को सफेद गुलाब बहुत पसंद हैं| "फिर हम वहा से निकल गए | मैं अपने दिमाग से उस छोटी- सी लड़की को
निकाल नहीं पा रहा था | फिर,मुझे दो दिन पहले  स्थानीय समाचार पत्र में छपी एक घटना याद गयी
जिसमें एक शराबी ट्रक ड्राईवर के बारे में लिखा था| जिसने नशे की हालत में मोबाईल फोन पर बात करते हुए एक कार-चालक  महिला की कार को टक्कर मार दी थी,  जिसमें उसकी 3 साल  की बेटी की  घटनास्थल पर ही  मृत्यु हो गयी थी  और वह महिला कोमा में चली गयी थी| अब एक महत्वपूर्ण निर्णय उस परिवार को ये लेना था कि,  उस महिला को जीवन रक्षक मशीन पर बनाए रखना है अथवा नहीं?
क्योंकि वह कोमा से बाहर आकर, स्वस्थ हो सकने की अवस्था में नहीं थी | दोनों पैर , एक हाथ,आधा चेहरा कट चुका था आॅखें जा चुकी थी   "क्या वह परिवार इसी छोटी- लड़की का ही था?" मेरा मन रोम-रोम काँप उठा |  मेरी उस नन्ही लड़की के साथ हुई मुलाक़ात के 2 दिनों बाद मैंने अखबार में पढ़ा कि उस महिला को बचाया नहीं जा सका, मैं अपने आप को रोक नहीं सका और अखबार में दिए पते पर जा पहुँचा,
जहाँ उस महिला को  अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था  वह महिला श्वेत धव कपड़ों में थी- अपने हाथ में
एक सफ़ेद गुलाब और उस छोटी-सी लड़की का वही हॅसता हुआ फोटो लिए हुए और उसके सीने पर रखी हुई
थी - वही गुड़िया | मेरी आँखे नम हो गयी दुकान में मिली बच्ची और सामने मृत ये महिला से मेरा तो कोई वास्ता नही था लेकिन हूं तो इंसान ही ।ये सब देखने के बाद अपने आप को सभांलना एक बडी चुनौती थी मैं नम आँखें लेकर वहाँ से लौटा|  उस नन्ही-सी लड़की का  अपनी माँ और  उसकी बहन के लिए जो बेपनाह अगाध प्यार था,  वह शब्दों में  बयान करना मुश्किल है | और ऐसे में, एक शराबी चालक ने अपनी घोर लापरवाही से क्षण-भर में उस लड़की से उसका सब कुछ छीन लिया था....!!! ये दुख रोज कितने परिवारों की सच्चाइ बनता है मुझे पता नहीं!!!!  शायद ये मार्मिक घटना सिर्फ एक पैग़ाम देना चाहती है कि:::::::::::::
कृपया~
कभी भी शराब
पीकर और
मोबाइल पर बात
करते समय
वाहन ना चलायें
क्यूँकि आपका आनन्द
किसी के लिए
श्राप साबित हो सकता हैँ।


एक बीज की कहानी