Sunday, July 31, 2022

टूटे हुवे रिश्ते

एक बार एक व्यक्ति अपनी नयी कार को बड़े प्यार से पॉलिश करके उसे चमका रहा था। तभी उसकी 4 साल की बेटी पत्थर से कार पर कुछ लिखने लगी। कार पर खरोंच देखकर पिता को इतना गुस्सा आया कि उसने बेटी के हाथ में जोर से डंडा मार दिया जिसकी वजह से बच्ची की ऊँगली टूट गयी। हॉस्पिटल से आने के बाद बेटी पूछती है, “डैड मेरी उंगलियां कब ठीक होंगी?

गलती पर पछता रहा पिता कोई जवाब नहीं दे पाता। वह वापस जाता है और कार पर जोर जोर से मारकर अपना गुस्सा निकालता है। कुछ देर बाद उसकी नजर उस खरोंच पर पड़ती है जो उसकी बेटी ने लगाया था और जिस पर लिखा था- आई लव यू डैड. 

ये कहानी हमे सिखाती है की गुस्से और प्यार की कोई सीमा नहीं होती। याद रखें कि चीजें इस्तेमाल के लिए होती हैं और इंसान प्यार करने के लिए। लेकिन आज हम लोगों की सोच इतनी छोटी हो गयी है की हम चीजों से प्यार और लोगों को इस्तेमाल करने लगे हैं। याद रखें टूटी हुई चीज़ को फिर से जोड़ा जा सकता है लेकिन टूटे हुवे रिश्ते बहुत मुश्किल से जुड़ते हैं।

Saturday, July 23, 2022

माँ के शब्द

एक बार एक छोटा बच्चा स्कूल से दौड़ता हुवा आया और सीधा अपनी माँ के पास गया। माँ के पास पहुंचकर उसने अपने स्कूल बैग में से एक लेटर (letter) निकाला और अपनी माँ को वो लेटर (letter) देते हुवे बोला, “ये मेरी टीचर ने सिर्फ आपको देने  को कहा है, आप इसे पढ़कर मुझे भी बताओ की इसमें क्या लिखा हुवा है।” उसकी माँ ने वो लेटर (letter) खोला और पड़ा तो वो थोड़ा उदास सी हो गयी।

अपनी माँ को उदास देख उस बच्चे ने पूछा की, “माँ, उस पर क्या लिखा हुवा है..?”

उसकी माँ मुस्कुरायी और बोली बेटा, आपकी टीचर ने लिखा है की, “आपका बेटा बहुत ही intelligent है, और उसे पढ़ाने के लिए हमारे स्कूल में अच्छे टीचर नहीं हैं तो कल से आप अपने बच्चे को घर पर ही पढायें और इसे स्कूल ना भेजें।”

उस माँ ने अपने बच्चे को घर पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया और बड़ा होकर वो बच्चा एक बहुत ही genius और एक सफल inventor बना। 

एक दिन अपने घर की सफाई करते हुवे उस लड़के को अपने पुराने सामान में उस टीचर का दिया हुवा लेटर (letter) मिला। उसने वो लेटर पड़ा तो वो हैरान हो गया क्यूंकि उस पर लिखा था, “आपका बच्चा मानसिक रूप से बीमार है और ये पढ़ाई में बहुत कमजोर है, अब हम इसे अपने स्कूल में नहीं पड़ा सकते….बेहतर होगा की आप इसे घर पर ही पढायें।”

उस बच्चे की आँखों में आंसू आ गए और वो ये सोचने लगा की किस तरह उसकी माँ के शब्दों ने उसकी जिंदगी को बदल दिया।

Tuesday, July 19, 2022

समय की Value

महाभारत के युद्ध के बाद, युधिष्ठिर ने राजा के रूप में शासन करना शुरू किया। युधिष्ठिर अपनी दानवीरता और उदारता के लिए प्रसिद्ध था। जो कोई भी दान पाने की इच्छा से युधिष्ठिर के पास आता, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता.

एक बार, देर रात को, एक भिखारी महल के दरवाजे पर आया और दान मांगने लगा। उस समय राजा युधिष्ठिर सो रहे थे। रानी द्रौपदी ने उन्हें जगाया, लेकिन युधिष्ठिरने कहा, “मैं बहुत थक गया हूँ। भिखारी को सुबह तक इंतजार करने के लिए कहें। कल सुबह उठने के बाद मैं उसे उसके वजन के बराबर सोने के सिक्के दूंगा। ”

द्रौपदी ने यह बात भीम को बताई, भीम ने जब ये बात सुनी तो वह तेजी से उस बड़ी घंटी के पास गया जो महल की छत पर थी और वो घंटी सिर्फ तब बजायी जाती थी जब राजा युधिष्ठिर कोई बड़ा युद्ध जीतकर वापस आते थे।

भीम बिना रुके उस घंटी को जोर-जोर से बजाने लगा! घंटी की आवाज़ सुनकर, हर किसी को लगा की राजा युधिष्ठिर किसी महान युद्ध को जीतकर वापिस आये हैं और यह देखने के लिए सभी पांडव और राज्य के लोग वहाँ एकत्रित हो गए। काफी देर तक घंटी बजती रही। अंत में, राजा युधिष्ठिर को भी उठना पड़ा। गुस्से में उन्होंने भीम से पूछा, “तुम इतनी रात को घंटी क्यों बजा रहे हो?”

भीम ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया, “ऐसा इसलिए है क्योंकि आज आपने बहुत बड़ी जीत हासिल कर ली है।” यह सुनकर राजा युधिष्ठिर चौंक गए और पूछा, “ये तुम क्या कह रहे हो, भला इतनी रात को मैंने कौन-सा युद्ध जीत लिया है?”

भीम ने उत्तर दिया, “बड़े भाई, आज आपने समय को ही जीत लिया है। आपने महारानी से कहा कि भिखारी को दान कल सुबह मिलेगा। अब यह घोषणा तो कोई तभी कर सकता है जब वह समय के साथ जीत हासिल कर ले। क्या आप को यकीन हैं कि कल सुबह तक आप दान देने के लिए जीवित रहेंगे और या फिर ये भिखारी इसे प्राप्त करने के लिए जीवित रहेगा ?”

यह सुनकर, युद्धिष्ठर को भीम की बात का एहसास हुवा और उन्होंने तुरंत उस भिखारी को अंदर बुलाया और उसे दान दे दिया।

हम सभी के पास limited समय होता है और कोई नहीं जानता की आने वाले कल में क्या होगा। इसलिए जो काम आप आज और अभी कर सकते हैं, उसे कभी आने वाली कल के लिए बचा के ना रखें क्यूंकि कल कभी नहीं आता। हमारी जिंदगी हमारे आज से ही चलती है। अगर जिंदगी को बेहतर तरीके से जीना है तो हमेसा आज में जियें.

कल क्या होगा इस बारे में ज्यादा ना सोचें। क्यूंकि जो खुशियां आपका आज आपको देगा हो सकता वो खुशियां कल आ ही ना पाएं। इसलिए कल की tension न लेकर अपनी life को enjoy करें क्यूंकि ये समय अगर चला गया तो फिर कभी लौट कर वापिस नहीं आएगा।

जो लोग समय की Value नहीं समझते वो अक्सर आज का काम कल पर टाल देते हैं, फिर चाहे वो काम कितना भी जरूरी क्यों ना हो। ऐसे लोग खुद का समय तो बर्बाद करते ही हैं और साथ ही वो दूसरों का समय भी बर्बाद कर देते हैं। कोई भी काम चाहे वो बहुत जरूरी हो या ना हो, लेकिन अगर वो काम अगर आप आज कर सकते हैं तो उसे कभी भी कल पर टालें।

Saturday, July 16, 2022

मूर्ख धनवान

एक बार एक चूहे ने हीरा निगल लिया और उस हीरे के मालिक ने उस चूहे को देख लिया और उसे मारने के लिये एक शिकारी को ठेका दे दिया। जब शिकारी चूहे को मारने पहुँचा तो वहाँ बहुत सारे चूहे झुण्ड बनाकर एक दूसरे पर चढ़े हुए थे,

मगर उन सब में एक चूहा सबसे अलग बैठा था। शिकारी ने सीधा उस चूहे को पकड़ा और उस हीरे के मालिक के पास पंहुचा। उस हीरे के मालिक ने शिकारी से पूछा, उतने सारे चूहों में से इसी चूहे ने मेरा हीरा निगला है यह तुम्हें केसे पता लगा ?

शिकारी ने जवाब दिया- सेठ जी ये तो बहुत ही आसान था, जब कोई मूर्ख धनवान बन जाता है तो वो अपनों से भी मेल-मिलाप छोड़ देता है

दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो थोड़ा सा पैसा कमा लेने के बाद खुद को दूसरों से बहुत बढ़ा समझने लगते हैं और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी दूरी बना लेते हैं और ये समझने लगते हैं की जिंदगी में ये पैसा ही उनके काम आएगा और कोई नहीं। इस दुनिया में अमीर तो हर कोई बनना चाहता है पर सही मायनो में अमीर वही होता है जो हर किसी को साथ लेकर चलता है। जिसे अपनी अमीरी पर घमंड नहीं बल्कि अपने रिश्तों पर भरोसा होता है।

Sunday, July 10, 2022

आप अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं

एक बार घर में आग लग गयी और सभी लोग उस आग को बुझाने में लगे। उस घर में एक चिड़िया का घोंसला भी था तो वो चिड़ियाँ भी अपनी चोंच में पानी भरती रही और आग में डालती रही। वो बार बार जाकर पानी लाती और आग में डालती। एक कौआ ये देख रहा था और वो चिड़िया से बोला, “अरे पगली तू कितनी भी मेहनत कर ले तेरे बुझाने से ये आग नही बुझेगी।” तो उस पर चिड़ियाँ बोली, “मुझे पता है, मेरे बुझाने से आग नही बुझेगी लेकिन जब भी इस आग का जिक्र होगा, तो मेरी गिनती बुझाने वालों में होगी और तेरी गिनती तमाशा देखने वालों में।”

हमारी जिंदगी में भी ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो हमारी मेहनत नहीं बल्कि हमारे हारने का तमाशा देखना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे लोगों को पहचानना ज्यादा मुश्किल नहीं है ये वही लोग होते हैं जो आपको बात बात पर ताना मारते हैं। ये लोग आपको हमेसा discourage करते रहते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से खुद को हमेशा दूर रखना और याद रखें की आप अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं, बस खुद पर विश्वास जरूरी है।

Monday, July 4, 2022

अपने आप को कम मत आकियें.

एक शहर में बहुत ही ज्ञानी प्रतापी साधु महाराज आये हुए थे, बहुत से दीन दुखी, परेशान लोग उनके पास उनकी कृपा दृष्टि पाने हेतु आने लगे. ऐसा ही एक दीन दुखी, गरीब आदमी उनके पास आया और साधु महाराज से बोला ‘ महाराज में बहुत ही गरीब हूँ, मेरे ऊपर कर्जा भी है, मैं बहुत ही परेशान हूँ। मुझ पर कुछ उपकार करें’. 

साधु महाराज ने उसको एक चमकीला नीले रंग का पत्थर दिया, और कहा ‘कि यह कीमती पत्थर है, जाओ जितनी कीमत लगवा सको लगवा लो। वो आदमी वहां से चला गया और उसे बचने के इरादे से अपने जान पहचान वाले एक फल विक्रेता के पास गया और उस पत्थर को दिखाकर उसकी कीमत जाननी चाही।

फल विक्रेता बोला ‘मुझे लगता है ये नीला शीशा है, महात्मा ने तुम्हें ऐसे ही दे दिया है, हाँ यह सुन्दर और चमकदार दिखता है, तुम मुझे दे दो, इसके मैं तुम्हें 1000 रुपए दे दूंगा।  

वो आदमी निराश होकर अपने एक अन्य जान पहचान वाले के पास गया जो की एक बर्तनों का व्यापारी था. उनसे उस व्यापारी को भी वो पत्थर दिखाया और उसे बचने के लिए उसकी कीमत जाननी चाही। बर्तनो का व्यापारी बोला ‘यह पत्थर कोई विशेष रत्न है में इसके तुम्हें 10,000 रुपए दे दूंगा. वह आदमी सोचने लगा की इसके कीमत और भी अधिक होगी और यह सोच वो वहां से चला आया.

उस आदमी ने इस पत्थर को अब एक सुनार को दिखाया, सुनार ने उस पत्थर को ध्यान से देखा और बोला ये काफी कीमती है इसके मैं तुम्हें 1,00,000 रूपये दे दूंगा।

वो आदमी अब समझ गया था कि यह बहुत अमुल्य है, उसने सोचा क्यों न मैं इसे हीरे के व्यापारी को दिखाऊं, यह सोच वो शहर के सबसे बड़े हीरे के व्यापारी के पास गया।उस हीरे के व्यापारी ने जब वो पत्थर देखा तो देखता रह गया, चौकने वाले भाव उसके चेहरे पर दिखने लगे.  उसने उस पत्थर को माथे से लगाया और और पुछा तुम यह कहा से लाये हो. यह तो अमुल्य है. यदि मैं अपनी पूरी सम्पति बेच दूँ तो भी इसकी कीमत नहीं चुका सकता.

हम अपने आप को कैसे आँकते हैं.  क्या हम वो हैं जो राय दूसरे हमारे बारे में बनाते हैं. आपकी लाइफ अमूल्य है आपके जीवन का कोई मोल नहीं लगा सकता.  आप वो कर सकते हैं जो आप अपने बारे में सोचते हैं.  कभी भी दूसरों के नेगेटिव कमैंट्स से अपने आप को कम मत आकियें.

Thursday, June 30, 2022

कर भला, हो भला

किसी गाँव में एक मंदिर था। मंदिर के पुजारी और उनकी पत्नी, भगवान के भक्त थे। प्रतिदिन पति-पत्नी मंदिर की सफाई करते, पूजा-अर्चना की सामग्री जुटाते और मंदिर में आने वालों को भोजन कराते। वे दोनों निःसंतान थे। जब भी ओणम का त्यौहार आता, वे उदास हो जाते। पुजारी की पत्नी तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाती। उसके हाथ की बनी सांबर, रसम, ओलन व अवियल बहुत मजेदार होती थी। गाँव-भर के बच्चे उसके घर जा पहुँचते और भरपेट भोजन पाते। जाते समय वह सभी को मुट्ठी भरकर शर्करपुराट्ट (यह व्यंजन केले के चिप्स में गुड़ लगाकर बनता है।) देती।

इसी तरह दिन बीत रहे थे। एक बार एक नंबूदिरी ब्राह्मण उस मंदिर में आया। वह गरीब अपनी बेटी की शादी के लिए धन एकत्र कर रहा था। मंदिर में भोजन मुफ्त मिलता था। उसने खाने से पूर्व नहाना उचित समझा। अपने धन की थैली को स्नान कुंड के किनारे रखकर वह स्नान करने लगा। स्नान करके लौटा तो थैली वहाँ नहीं थी। उसने सभी से पूछा परंतु कोई भी थैली का पता न बता सका। भगवान जाने थैली को जमीन निगल गई या आसमान खा गया था? बेचारा रोता-कलपता अपने गाँव लौट गयाकुछ समय बाद पुजारी की पत्नी झाड़ू लेकर सफाई करने आई। ज्यों ही उसने गाय का गोबर उठाया तो थैली मिल गई। हुआ यूँ कि जब ब्राह्मण स्नान करने गया तो एक गाय ने थैली पर ही गोबर कर दिया। गोबर से ढकने के कारण उसे थैली दिखाई नहीं दी। पुजारी की पत्नी ने बड़े यत्न से ब्राह्मण की अमानत को सँभाल लिया। उसने एक बार भी थैली का मुँह तक नहीं खोला।

संयोग से कुछ माह पश्चात्‌ वह ब्राह्मण पुन: वहाँ आया। धन की थैली खोने के बाद, उसकी परेशानी और बढ़ गई थी। पुजारी ने ब्राह्मण को भोजन करवाया। फिर उसके धन की थैली सामने ला रखी। ब्राह्मण मारे खुशी के रो पड़ा। उसने सारी कहानी सुनी और पुजारी की पत्नी से बोला-“इस धन पर आपका भी अधिकार है। आप इसमें से आधा ले लें।’ पुजारी की पत्नी एक धार्मिक महिला थी। उसने पराए धन का एक पैसा लेने से भी इंकार कर दिया। ब्राह्मण ने प्रसन्‍न होकर उसे वरदान दिया, ‘अगले ही वर्ष तुम एक प्रतिभाशाली, यशस्वी पुत्र की माता बनोगी।

ऐसा कहकर ब्राह्मण लौट गया। अगले वर्ष पुजारी की पत्नी ने अपने मन की मुराद पाई। जानते हो क्यों, उसका पुत्र कौन था? उसके यहाँ मलयालम के प्रसिद्ध कवि कुंजन नंबियार ने जन्म लिया। कहते हैं कि इस कवि की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। मलयालम भाषा के जानकार इनकी कविताएँ अवश्य पढ़ते हैं।

Monday, June 20, 2022

जीवन में आगे बढ़ना

राजस्थान के एक गाँव में रहने वाला एक व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी समस्या से परेशान रहता था और इस कारण अपने जीवन से बहुत दु:खी था.

एक दिन उसे कहीं से जानकारी प्राप्त हुई कि एक पीर बाबा अपने काफ़िले के साथ उसके गाँव में पधारे है. उसने तय किया कि वह पीर बाबा से मिलेगा और अपने जीवन की समस्याओं के समाधान का उपाय पूछेगा.

शाम को वह उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ पीर बाबा रुके हुए थे. कुछ समय प्रतीक्षा करने के उपरांत उसे पीर बाबा से मिलने का अवसर प्राप्त हो गया. वह उन्हें प्रणाम कर बोला, “बाबा! मैं अपने जीवन में एक के बाद एक आ रही समस्याओं से बहुत परेशान हूँ. एक से छुटकारा मिलता नहीं कि दूसरी सामने खड़ी हो जाती है. घर की समस्या, काम की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या और जाने कितनी ही समस्यायें. ऐसा लगता है कि मेरा पूरा जीवन समस्याओं से घिरा हुआ है. कृपा करके कुछ ऐसा उपाय बतायें कि मेरे जीवन की सारी समस्यायें खत्म हो जाये और मैं शांतिपूर्ण और ख़ुशहाल जीवन जी सकूं.”

उसकी पूरी बात सुनने के बाद पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “बेटा! मैं तुम्हारी समस्या समझ गया हूँ. उन्हें हल करने के उपाय मैं तुम्हें कल बताऊंगा. इस बीच तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो.”

व्यक्ति तैयार हो गया.

पीर बाबा बोले, “बेटा, मेरे काफ़िले में १०० ऊँट है. मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम उनकी रखवाली करो. जब सभी १०० ऊँट बैठ जायें, तब तुम सो जाना.”

यह कहकर पीर बाबा अपने तंबू में सोने चले गए. व्यक्ति ऊँटों की देखभाल करने चला गया.

अगली सुबह पीर बाबा ने उसे बुलाकर पूछा, “बेटा! तुम्हें रात को नींद तो अच्छी आई ना?”

“कहाँ बाबा? पूरी रात मैं एक पल के लिए भी सो न सका. मैंने बहुत प्रयास किया कि सभी ऊँट एक साथ बैठ जायें, ताकि मैं चैन से सो सकूं. किंतु मेरा प्रयास सफल न हो सका. कुछ ऊँट तो स्वतः बैठ गए. कुछ मेरे बहुत प्रयास करने पर भी नहीं बैठे. कुछ बैठ भी गए, तो दूसरे उठ खड़े हुए. इस तरह पूरी रात बीत गई.” व्यक्ति ने उत्तर दिया.

पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “यदि मैं गलत नहीं हूँ, तो तुम्हारे साथ कल रात यह हुआ?

  1. कई ऊँट ख़ुद-ब-ख़ुद बैठ गए.
  2. कईयों को तुमने अपने प्रयासों से बैठाया.
  3. कई तुम्हारे बहुत प्रयासों के बाद भी नहीं बैठे. बाद में तुमने देखा कि वे उनमें से कुछ अपने आप ही बैठ गए.”

“बिल्कुल ऐसा ही हुआ बाबा.” व्यक्ति तत्परता से बोला.

तब पीर बाबा ने उसे समझाते हुए कहा, “क्या तुम समझ पाए कि जीवन की समस्यायें इसी तरह है :

  1. कुछ समस्यायें अपने आप ही हल हो जाती हैं.
  2. कुछ प्रयास करने के बाद हल होती है.
  3. कुछ प्रयास करने के बाद भी हल नहीं होती. उन समस्याओं को समय पर छोड़ दो. सही समय आने पर वे अपने आप ही हल हो जायेंगी.

कल रात तुमें अनुभव किया होगा कि चाहे तुम कितना भी प्रयास क्यों न कर लो? तुम एक साथ सारे ऊँटों को नहीं बैठा सकते. तुम एक को बैठाते हो, तो दूसरा खड़ा हो जाता है. दूसरे को बैठाते हो, तो तीसरा खड़ा हो जाता है. जीवन की समस्यायें इन ऊँटों की तरह ही हैं. एक समस्या हल होती नहीं कि दूसरी खड़ी हो जाती है. समस्यायें जीवन का हिस्सा है और हमेशा रहेंगी. कभी ये कम हैं, तो कभी ज्यादा. बदलाव तुम्हें स्वयं में लाना है और हर समय इनमें उलझे रहने के स्थान पर इन्हें एक तरफ़ रखकर जीवन में आगे बढ़ना है.

व्यक्ति को पीर बाबा की बात समझ में आ गई और उसने निश्चय किया कि आगे से वह कभी अपनी समस्याओं को खुद पर हावी होने नहीं देगा. चाहे सुख हो या दुःख जीवन में आगे बढ़ता चला जायेगा. 


Saturday, June 11, 2022

भाग दौड़ भरी जिंदगी

एक बार एक व्यक्ति ऑफिस में देर रात तक काम करने के बाद थका हारा घर पहुंचा। दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोने की बजाई उसका इंतजार कर रहा है। अंदर घुसते ही बेटे ने पूछा, “पापा क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूँ।” हाँ हाँ पूछो क्या पूछना है, पिता ने कहा। पापा आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं, बेटे ने पूछा। इससे तुम्हारा क्या लेना देना, तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो, पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया। पापा मैं बस यूँ ही जानना चाहता हूँ प्लीज आप बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं।

पिता ने गुस्से में उसकी तरफ देखते हुए कहा, “100 रुपये।” बेटे ने मासूमियत  सर झुकाते हुए कहा, “पापा क्या आप मुझे 50 रुपये उधार दे सकते हैं।” इतना सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो उठा। तो तुम इसलिए ये फालतू का सवाल कर रहे थे ताकि मुझसे [पैसे लेकर तुम कोई बेकार से खिलौना या उटपटांग चीज खरीद सको, चुपचाप अपने कमरे में जाओ और सो जाओ। सोचो तुम कितने स्वार्थी हो, मैं दिन रात मेहनत करके पैसे कमाता हूँ और तुम उसे बेकार की चीजों में बर्बाद करना चाहते हो।यह सुनकर बेटे के आँखों में आंसू आ गए और वह अपने कमरे में चला गया।

वह व्यक्ति अभी भी बहुत गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे की ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई। पर एक आध घंटा बीतने के बाद वह थोड़ा शांत हुआ और सोचने लगा कि हो सकता है उसके बेटे ने सच में किसी जरुरी काम के पैसे मांगे हो, क्योंकि आज से पहले उसने कभी भी इस तरह से पैसे नहीं मांगे थे।

फिर वह उठकर अपने बेटे के कमरे में गया और बोला, “क्या तुम सो रहे हो?” नहीं, जवाब आया। मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हें डांट दिया। दरहसल दिनभर के काम से मैं बहुत था गया था, व्यक्ति ने कहा।” मुझे माफ़ कर दो, ये लो अपने पचास रुपये, ऐसा कहते हुए उसने अपने बेटे के हाथ में पचास की नोट रख दी।

थैंक यू पापा, बेटे ने ख़ुशी से पैसे लेते हुए कहा। और फिर वह तेजी से उठकर अपनी अलमारी की तरफ गया। वहां से उसने ढेर सारे सिक्के निकाले और धीरे-धीरे उन्हें गिनने लगा। यह देखकर व्यक्ति फिरसे क्रोधित होने लगा।

पिता ने पूछा, “जब तुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे तब तुमने मुझसे और पैसे क्यों मांगे?”  बेटे ने कहा, “क्यों कि मेरे पास पैसे कम थे पर अब पुरे हैं। पापा अब मेरे पास सौ रुपये है। क्या मैं आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ। कृपा कर आप ये पैसे ले लीजिये और कल घर जल्दी आ जाइएगा, मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ।”

अपने बेटे की बात सुनकर उस व्यक्ति के आँखों में आंसू आ गए। और उसने अपने बेटे को गले से लगा लिया।

दोस्तों, इस तेज रफ़्तार भरे जीवन में हम कई बार खुदको इतना बिजी कर लेते हैं कि उन लोगों के लिए ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा महत्व रखते हैं। इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम अपने माँ-बाप, जीवनसाथी, बच्चे और मित्रों के लिए समय निकाले वरना एक दिन हमें भी एहसास होगा कि हमने छोटी-छोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया।


Sunday, June 5, 2022

दृढ़ निश्चय

एक शहर में एक परिश्रमी, ईमानदार और सदाचारी लड़का रहता था. माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, रिश्तेदार सब उसे बहुत प्यार करते थे. सबकी सहायता को तत्पर रहने के कारण पड़ोसी से लेकर सहकर्मी तक उसका सम्मान करते थे. सब कुछ अच्छा था, किंतु जीवन में वह जिस सफ़लता प्राप्ति का सपना देखा करता था, वह उसे उससे कोसों दूर था.

वह दिन-रात जी-जान लगाकर मेहनत करता, किंतु असफ़लता ही उसके हाथ लगती. उसका पूरा जीवन ऐसे ही निकल गया और अंत में जीवनचक्र से निकलकर वह कालचक्र में समा गया.

चूंकि उसने जीवन में सुकर्म किये थे, इसलिए उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई. देवदूत उसे लेकर स्वर्ग पहुँचे. स्वर्गलोक का अलौकिक सौंदर्य देख वह मंत्रमुग्ध हो गया और देवदूत से बोला, “ये कौन सा स्थान है?”

“ये स्वर्गलोक है. तुम्हारे अच्छे कर्म के कारण तुम्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ है. अब से तुम यहीं रहोगे.” देवदूत ने उत्तर दिया.

यह सुनकर लड़का खुश हो गया. देवदूत ने उसे वह घर दिखाया, जहाँ उसके रहने की व्यवस्था की गई थी. वह एक आलीशान घर था. इतना आलीशान घर उसने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था.

देवदूत उसे घर के भीतर लेकर गया और एक-एक कर सारे कक्ष दिखाने लगा. सभी कक्ष बहुत सुंदर थे. अंत में वह उसे एक ऐसे कक्ष के पास लेकर गया, जिसके सामने “स्वप्न कक्ष” लिखा हुआ था.

जब वे उस कक्ष के अंदर पहुँचे, तो लड़का यह देखकर दंग रह गया कि वहाँ बहुत सारी वस्तुओं के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे हुए थे. ये वही वस्तुयें थीं, जिन्हें पाने के लिए उसने आजीवन मेहनत की थी, किंतु हासिल नहीं कर पाया था. आलीशान घर, कार, उच्चाधिकारी का पद और ऐसी ही बहुत सी चीज़ें, जो उसके सपनों में ही रह गए थे.

वह सोचने लगा कि इन चीज़ों को पाने के सपने मैंने धरती लोक में देखे थे, किंतु वहाँ तो ये मुझे मिले नहीं. अब यहाँ इनके छोटे प्रतिरूप इस तरह क्यों रखे हुए हैं? वह अपनी जिज्ञासा पर नियंत्रण नहीं रख पाया और पूछ बैठा, “ये सब…यहाँ…इस तरह…इसके पीछे क्या कारण है?”

देवदूत ने उसे बताया, “मनुष्य अपने जीवन बहुत से सपने देखता है और उनके पूरा हो जाने की कामना करता है. किंतु कुछ ही सपनों के प्रति वह गंभीर होता है और उन्हें पूरा करने का प्रयास करता है. ईश्वर और ब्रह्माण्ड मनुष्य के हर सपने पूरा करने की तैयारी करते है. लेकिन कई बार असफ़लता प्राप्ति से हताश होकर और कई बार दृढ़ निश्चय की कमी के कारण मनुष्य उस क्षण प्रयास करना छोड़ देता है, जब उसके सपने पूरे होने वाले ही होते हैं. उसके वही अधूरे सपने यहाँ प्रतिरूप के रूप में रखे हुए है. तुम्हारे सपने भी यहाँ प्रतिरूप के रूप में रखे है. तुमने अंत समय तक हार न मानी होती, तो उसे अपने जीवन में प्राप्त कर चुके होते.”

लड़के को अपने जीवन काल में की गई गलती समझ आ गई. किंतु मृत्यु पश्चात् अब वह कुछ नहीं कर सकता था.

मित्रों, किसी भी सपने को पूर्ण करने की दिशा में काम करने के पूर्व यह दृढ़ निश्चय कर लें  कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आये? चाहे कितनी बार भी असफ़लता का सामना क्यों न करना पड़े? अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में तब तक प्रयास करते रहेंगे, जब तब वे पूरे नहीं हो जाते. अन्यथा समय निकल जाने के बाद यह मलाल रह जाएगा कि काश मैंने थोड़ा प्रयास और किया होता. अपने सपनों को अधूरा मत रहने दीजिये, दृढ़ निश्चय और अथक प्रयास से उन्हें हकीक़त में तब्दील करके ही दम लीजिये.  

Thursday, June 2, 2022

पूरा प्रयास

सुकरात एक बहुत बड़े दार्शनिक थे। उनके पास एक बच्चा गया और उनसे पूछा कि आप मुझे सफलता का रहस्य बताएं। सुकरात ने उस बच्चे को सुबह 4 बजे नदी किनारे मिलने के बुलाया। बच्चा 4 बजे सुबह नदी किनारे पहुंचा। सुकरात उस बच्चे को लेकर नदी के बीच में गए और उसका सर पानी के अंदर डाल दिया और उसके सर को हाथ से दबाए रखा।

बच्चा छटपट छटपट करने लगा। एक मिनट के बाद सुकरात ने अपना हाथ उस बच्चे के सर से हटाया तो बच्चे ने तेजी से हाँपते हाँपते अपना सर बाहर निकाला। सुकरात ने उस बच्चे से पूछा, “बेटा! जब मैं तुम्हारा सर पानी के अंदर दबाकर रखा था तो तुम्हारे मन में किस चीज की इच्छा थी।”

बच्चा चिल्ला पड़ा और बोला, “आप मुझे पहले यह बताओ कि आप मुझे यहाँ सफलता का रहस्य समझाने बुलाए थे या मारने बुलाए थे। अरे किस चीज की इच्छा रहेगी, हवा की। किसी तरीके से मुझे पानी से बाहर निकलना था।”

सुकरात जी ने दूसरा प्रश्न किया, “तुम कितना प्रयास कर रहे थे?”

बच्चे ने कहा ,”प्रयास! अरे जितनी ताकत थी वह सारी की सारी ताकत मैंने पानी से बाहर निकलने में लगा दी।”

सुकरात जी ने कहा, “बेटा यही सफलता का रहस्य है। तुम जिस काम में भी सफल होना चाहते हो अगर उस काम को करने में भी तुम उतना ही प्रयास करोगे जितना प्रयास तुम पानी से निकलने के लिए  कर रहे थे तो उस काम में भी तुम्हें सफलता मिलेगी।

हर सफलता की एक कीमत होती है उसमें प्रयास करना पड़ता है, उसमें समय लगाना पड़ता है। बिना प्रयास के और बिना समय लगाए किसी भी व्यक्ति को आज तक सफलता नहीं मिली है। इसलिए अगर आपको सफलता पाना है तो आपको सुकरात जी की बात माननी होगी।

किसी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए जितना प्रयास एवं जितना समय देने की आवश्यकता है, उतना ही देना होगा। क्या आप सफल होने के लिए पूरा प्रयास करने के लिए तैयार है, निर्णय आपका है।

Sunday, May 29, 2022

भविष्यवाणी

बहुत पहले की बात है, रामपुर नाम के गाँव में एक मुर्ख ब्राह्मण रहा करता था। ब्राह्मण का परिवार काफी गरीब था। इसलिए ब्राह्मण की पत्नी उसे बार-बार कुछ पढाई करने और कुछ सिखने के लिए कहा करती थी। लेकिन ब्राह्मण बड़ा ही कामचोर था। इसलिए वह कहीं जाना नहीं चाहता था।

एक दिन जब उसकी पत्नी ने बहुत अधिक जोर दिया और कहा की आज तुम्हे स्कूल जाकर कुछ पढाई करना ही होगा। वह अपनी पत्नी के गुस्से को देखकर तैयार हो गया। वह अपने घर से निकला और पीछे के रास्ते से जाकर घर के पीछे छुपकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसके घर में कुछ लोग आए और उन लोगों के क्या बातें कहीं यह सब बस पीछे बैठे चुपचाप सुन रहा था।

जब शाम हो गई तब ब्राह्मण वापस अपने घर के पीछे से निकलकर आया और आकर अपनी पत्नी से कहा कि आज मैंने इतनी पढाई कर ली कि अब मैं भविष्य और अतीत देखने लगा हूँ। यह सुनकर उसके पत्नी को बड़ा आश्चर्य हुआ और यकीन भी नहीं हुआ तो उसने कहा कि अच्छा ऐसा है तो बताओ आज जब तुम स्कूल गए थे तो घर में क्या हुआ?

अपनी पत्नी का सवाल सुनकर ब्राह्मण ने उत्तर दिया कि आज हमारे घर म इ कौन आया था और उसने क्या बातें कहीं। यह सब तो वह पीछे बैठकर सुन ही रहा था। जवाब सुनकर ब्राह्मण की पत्नी को यकीन हो गया कि सच में उसका पति अतीत और भविष्य देखने लगा है। इसके बाद वह पुरे गाँव में घूम-घूम कर सबको यह बात बताने लगी की उसका पति भविष्य और अतीत देख सकता है वह भविष्य देख सकता है।

अगले दिन एक धोबी का गधा खो गया था और वह उसे मिल नहीं रहा था। इसलिए वह उस पंडित के पास आया और आकर उससे कहा कि मेरा गधा खो गया है, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं? पंडित को कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करे इसलिए उसने कहा कि अभी मैं स्नान करने जा रहा हूँ जब मैं स्नान करके लौटूंगा तब मैं भविष्यवाणी करूँगा। इतना कहकर पंडित वहाँ से निकल भागा।

Friday, May 27, 2022

कम्फर्ट जोन या चुनौती

 एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँच. वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था. वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव थे. इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं थी. सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था. गिद्ध वहाँ बहुत ख़ुश थे. इतना आराम का जीवन उन्होंने पहले देखा नहीं था.

उस झुण्ड में अधिकांश गिद्ध युवा थे. वे सोचने लगे कि अब जीवन भर इसी टापू पर रहना है. यहाँ से कहीं नहीं जाना, क्योंकि इतना आरामदायक जीवन कहीं नहीं मिलेगा.

लेकिन उन सबके बीच में एक बूढ़ा गिद्ध   भी था. वह जब युवा गिद्धों को देखता, तो चिंता में पड़ जाता. वह सोचता कि यहाँ के आरामदायक जीवन का इन युवा गिद्धों पर क्या असर पड़ेगा? क्या ये वास्तविक जीवन का अर्थ समझ पाएंगे? यहाँ इनके सामने किसी प्रकार की चुनौती नहीं है. ऐसे में जब कभी मुसीबत इनके सामने आ गई, तो ये कैसे उसका मुकाबला करेंगे?

बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की सभा बुलाई. अपनी चिंता जताते हुए वह सबसे बोला, “इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं. मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं. यहाँ हम बिना चुनौती का जीवन जी रहे हैं. ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे.”

युवा गिद्धों ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी. उन्हें लगा कि बढ़ती उम्र के असर से बूढ़ा गिद्ध सठिया गया है. इसलिए ऐसी बेकार की बातें कर रहा है. उन्होंने टापू की आराम की ज़िन्दगी छोड़कर जाने से मना कर दिया.    

बूढ़े गिद्ध ने उन्हें समझाने की कोशिश की, “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो. ऐसे में मुसीबात आई, तो क्या करोगे? मेरे बात मानो, मेरे साथ चलो.”

लेकिन किसी ने बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी. बूढ़ा गिद्ध अकेला ही वहाँ से चला गया. कुछ महीने बीते. एक दिन बूढ़े गिद्ध ने टापू पर गये गिद्धों की ख़ोज-खबर लेने की सोची और उड़ता-उड़ता उस टापू पर पहुँचा.

टापू पर जाकर उसने देखा कि वहाँ का नज़ारा बदला हुआ था. जहाँ देखो, वहाँ  गिद्धों की लाशें पड़ी थी. कई गिद्ध लहू-लुहान और घायल पड़े हुए थे. हैरान बूढ़े गिद्ध ने एक घायल गिद्ध से पूछा, “ये क्या हो गया? तुम लोगों की ये हालात कैसे हुई?”

घायल गिद्ध ने बताया, “आपके जाने के बाद हम इस टापू पर बड़े मज़े की ज़िन्दगी जी रहे थे. लेकिन एक दिन एक जहाज़ यहाँ आया. उस जहाज से यहाँ चीते छोड़ दिए गए. शुरू में तो उन चीतों ने हमें कुछ नहीं किया. लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें आभास हुआ कि हम उड़ना भूल चुके हैं. हमारे पंजे और नाखून इतने कमज़ोर पड़ गए हैं कि हम तो किसी पर हमला भी नहीं कर सकते और न ही अपना बचाव कर सकते हैं, तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया. उनके ही कारण हमारा ये हाल है. शायद आपकी बात न मानने का ये फल हमें मिला है.”

सीख

अक्सर कम्फर्ट जोन  में जाने के बाद उससे बाहर आ पाना मुश्किल होता है. ऐसे में चुनौतियाँ आने पर उसका सामना कर पाना आसान नहीं होता. इसलिए कभी भी कम्फर्ट ज़ोन  में जाकर ख़ुश न हो जाएँ. ख़ुद को हमेशा चुनौती  देते रहे और मुसीबत के लिए तैयार रहें. जब तब आप चुनौती का सामना करते रहेंगे, आगे बढ़ते रहेंगे.

Saturday, May 21, 2022

लाइफ में अपने गोल

ये कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जो ट्रैन से सफर किया करते थे  अपने दफ़्दर ये आते थे और जाते थे और ट्रैन की सफर से कुछ न कुछ  सीखते थे

और घर जा कर के dairy  में लिखते थे की आज मैंने ट्रैन की सफर में ये सीखा रोजाना का ये उनका रूटीन था

एक दिन वो अपने ऑफिस के लिए निखले ट्रैन में जा कर के बैठे ट्रैन रवाना हुए उनके  ठीक सामने वाली सीट पे एक फॅमिली बैठी हुई थी बच्चे खिल खिला रहे थे बाते वाते चल रही थी,

तभी वहा से एक पानी बेचने वाला लड़का निकला  पानी बेचते हुए लड़का निकल   रहा था ज़ोर ज़ोर से आवाजे दे रहा था इनके सामने वाली सीट पे जो फॅमिली बैठी हुई थी

उसमे एक भाई साहब थे उन्हों पूछा बेटा पानी की बॉटल कितने की दी तो उस लड़के ने बोला भैया 20 rs की बोतल है तो इन्होने बोला की ये 15  की बोतल दो ये 20 rs में क्या बेच रहे हो 15rs में दो

तो बताओ वो जो पानी बेच रहा था लड़का वो सिर्फ मुस्कुराया कुछ नहीं बोला चुप चाप आगे बढ़ गया ये जो भाई साहब सामने की सीट पे बैठे हुए थे

जो की रोजाना लिखते थे की आज क्या सीखा इनको लगा अंदर से  जिज्ञासा हुई  भाई क्या मतब आज सीखा है ? ये फटा फट उस लड़के के पीछे गए की

ये आज मुझे ये कुछ बढ़िया सा सिख दे देगा की क्या करना चाहिए लाइफ में मुस्कुरा के  कैसे चलागया ज़िद बहस नहीं की। 

वो उस लड़के के पीछे पीछे निकल लिए वो लड़का इस कोच से दूसरे कोच आगे बढ़ चूका था पानी बेचते बेचते उसे जा कर के रोका और पूछा भाई एक बात बताओ मैं  तुमसे कुछ पूछना चाह  रहा हु तुम अभी मेरे कोच में थे वहा पे एक फॅमिली थी

याद आया ये बाँदा तुमसे बोल रहा था की 15  की बोतल दो 20 की क्यों दे रहे हो तुमने कुछ नहीं  बोला उसे तुम चुप चाप आगे बढ़ गए मतलब ऐसा क्यों तुम्हे गुसा नहीं आया की कहा 2 – 5 रूपये के लिए ज़िद कर रहा है

एक गरीब आदमी  से तुम कुछ तो बोलते फिर उस लड़के ने कहा वो जो भाई साहब बैठे हुए थे

उनको पानी पीना ही नहीं था उनको प्यास ही नहीं लगी थी तो ये जो बांदा था जो रोज लिखता था उसने पूछा अरे तुम्हे कैसे पता चल गया की उनको प्यास नहीं लगी थी

तुम क्या अंतर यामी हो तुम्हे पता चल गया की उन्हें पानी नहीं पीनी है हो सकता है की उनको प्यास लगी हो,

तो फिर से लड़के ने बोला  उन्हें प्यास नहीं लगी है जिसको प्यास लगी रहती है वो पहले  पानी की बोतल लेता है उसको पिता  है  उसके बाद में दाम  पूछता है  और पैसे दे देता है वो फालतू की ज़िद बहस नहीं करता है। 

उस लड़के ने जब ये  जवाब दिया तो उन्होंने उसे सुना और घर जा कर के dairy में बहुत कुछ लिख डाला इन्होने लिखा ज़िन्दगी में अगर हमने गोल बना लिया है अगर हमारे  माइंड में बात  फिक्स है

तो हम फालतू के वाद  विवाद में नहीं पड़ेगे लेकिन हमारा गोल फिक्स नहीं है अगर हमें पता ही नहीं है की हमें क्या करना है

तो हम बहुत साडी कमिया उस गोल में ज़िन्दगी के गाल में भी निकालते रहेंगे और बस इसी चाकर में टाइम खत्म कर देंगे।  खास कर के जो  भी स्टूडेंट्स इस कहानी को बढ़ रहें है

मैं उनको बोलना चाहता हु कीअपने  गोल को फिक्स कीजिये क्यों की अगर आपके माइंड में फिक्स नहीं होगा की आपको क्या करना है

तो आप वो तीन चार ऑप्शंस में उलझ कर के रह जाएंगे  साल पर साल निकलते चले जाएंगे और उसके बाद में आपको महसूस होगा की क्या टाइम तो तब था

तब तो कुछ क्या ही नहीं लाइफ में अपने गोल को फिक्स कीजिये और फिर  वाद विवाद में परने वाली बात आएगी ही  नहीं। 

Sunday, May 15, 2022

सपनों को अधूरा मत रहने दीजिये

एक शहर में एक परिश्रमी, ईमानदार और सदाचारी लड़का रहता था. माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, रिश्तेदार सब उसे बहुत प्यार करते थे. सबकी सहायता को तत्पर रहने के कारण पड़ोसी से लेकर सहकर्मी तक उसका सम्मान करते थे. सब कुछ अच्छा था, किंतु जीवन में वह जिस सफ़लता प्राप्ति का सपना देखा करता था, वह उसे उससे कोसों दूर था.

वह दिन-रात जी-जान लगाकर मेहनत करता, किंतु असफ़लता ही उसके हाथ लगती. उसका पूरा जीवन ऐसे ही निकल गया और अंत में जीवनचक्र से निकलकर वह कालचक्र में समा गया.

चूंकि उसने जीवन में सुकर्म किये थे, इसलिए उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई. देवदूत उसे लेकर स्वर्ग पहुँचे. स्वर्गलोक का अलौकिक सौंदर्य देख वह मंत्रमुग्ध हो गया और देवदूत से बोला, “ये कौन सा स्थान है?”

“ये स्वर्गलोक है. तुम्हारे अच्छे कर्म के कारण तुम्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ है. अब से तुम यहीं रहोगे.” देवदूत ने उत्तर दिया.

यह सुनकर लड़का खुश हो गया. देवदूत ने उसे वह घर दिखाया, जहाँ उसके रहने की व्यवस्था की गई थी. वह एक आलीशान घर था. इतना आलीशान घर उसने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था.

देवदूत उसे घर के भीतर लेकर गया और एक-एक कर सारे कक्ष दिखाने लगा. सभी कक्ष बहुत सुंदर थे. अंत में वह उसे एक ऐसे कक्ष के पास लेकर गया, जिसके सामने “स्वप्न कक्ष” लिखा हुआ था.

जब वे उस कक्ष के अंदर पहुँचे, तो लड़का यह देखकर दंग रह गया कि वहाँ बहुत सारी वस्तुओं के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे हुए थे. ये वही वस्तुयें थीं, जिन्हें पाने के लिए उसने आजीवन मेहनत की थी, किंतु हासिल नहीं कर पाया था. आलीशान घर, कार, उच्चाधिकारी का पद और ऐसी ही बहुत सी चीज़ें, जो उसके सपनों में ही रह गए थे.

वह सोचने लगा कि इन चीज़ों को पाने के सपने मैंने धरती लोक में देखे थे, किंतु वहाँ तो ये मुझे मिले नहीं. अब यहाँ इनके छोटे प्रतिरूप इस तरह क्यों रखे हुए हैं? वह अपनी जिज्ञासा पर नियंत्रण नहीं रख पाया और पूछ बैठा, “ये सब…यहाँ…इस तरह…इसके पीछे क्या कारण है?”

देवदूत ने उसे बताया, “मनुष्य अपने जीवन बहुत से सपने देखता है और उनके पूरा हो जाने की कामना करता है. किंतु कुछ ही सपनों के प्रति वह गंभीर होता है और उन्हें पूरा करने का प्रयास करता है. ईश्वर और ब्रह्माण्ड मनुष्य के हर सपने पूरा करने की तैयारी करते है. लेकिन कई बार असफ़लता प्राप्ति से हताश होकर और कई बार दृढ़ निश्चय की कमी के कारण मनुष्य उस क्षण प्रयास करना छोड़ देता है, जब उसके सपने पूरे होने वाले ही होते हैं. उसके वही अधूरे सपने यहाँ प्रतिरूप के रूप में रखे हुए है. तुम्हारे सपने भी यहाँ प्रतिरूप के रूप में रखे है. तुमने अंत समय तक हार न मानी होती, तो उसे अपने जीवन में प्राप्त कर चुके होते.”

लड़के को अपने जीवन काल में की गई गलती समझ आ गई. किंतु मृत्यु पश्चात् अब वह कुछ नहीं कर सकता था.

मित्रों, किसी भी सपने को पूर्ण करने की दिशा में काम करने के पूर्व यह दृढ़ निश्चय कर लें  कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आये? चाहे कितनी बार भी असफ़लता का सामना क्यों न करना पड़े? अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में तब तक प्रयास करते रहेंगे, जब तब वे पूरे नहीं हो जाते. अन्यथा समय निकल जाने के बाद यह मलाल रह जाएगा कि काश मैंने थोड़ा प्रयास और किया होता. अपने सपनों को अधूरा मत रहने दीजिये, दृढ़ निश्चय और अथक प्रयास से उन्हें हकीक़त में तब्दील करके ही दम लीजिये.  

Wednesday, May 11, 2022

इच्छाओं का दास

एक दिन की बात है. एक साधु गाँव के बाहर वन में स्थित अपनी कुटिया की ओर जा रहा था. रास्ते में बाज़ार पड़ा. बाज़ार से गुजरते हुए साधु की दृष्टि एक दुकान में रखी ढेर सारी टोकरियों पर पड़ी. उसमें ख़जूर रखे हुए थे.

ख़जूर देखकर साधु का मन ललचा गया. उसके मन में ख़जूर खाने की इच्छा जाग उठी. किंतु उस समय उसके पास पैसे नहीं थे. उसने अपनी इच्छा पर नियंत्रण रखा और कुटिया चला आया.

कुटिया पहुँचने के बाद भी ख़जूर का विचार साधु के मन से नहीं निकल पाया. वह उसी के बारे में ही सोचता रहा. रात में वह ठीक से सो भी नहीं पाया. अगली सुबह जब वह जागा, तो ख़जूर खाने की अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए पैसे की व्यवस्था करने के बारे में सोचने लगा.

सूखी लकड़ियाँ बेचकर ख़जूर खरीदने लायक पैसों की व्यवस्था अवश्य हो जायेगी, यह सोचकर वह जंगल में गया और सूखी लकड़ियाँ बीनने लगा. काफ़ी लकड़ियाँ एकत्रित कर लेने के बाद उसने उसका गठ्ठर बनाया और उसे अपने कंधे पर लादकर बाज़ार की ओर चल पड़ा.

लड़कियों का गठ्ठर भारी था. जिसे उठाकर बाज़ार तक की दूरी तय करना आसान नहीं था. किंतु साधु चलता गया. थोड़ी देर में उसके कंधे में दर्द होने लगा. इसलिए विश्राम करने वह एक स्थान पर रुक गया. थोड़ी देर विश्राम कर वह पुनः लकड़ियाँ उठाकर चलने लगा. इसी तरह रुक-रुक कर किसी तरह वह लकड़ियों के गठ्ठर के साथ बाज़ार पहुँचा.

बाज़ार में उसने सारी लकड़ियाँ बेच दी. अब उसके पास इतने पैसे इकठ्ठे हो गए, जिससे वह ख़जूर खरीद सके. वह बहुत प्रसन्न हुआ और खजूर की दुकान में पहुँचा. सारे पैसों से उसने खजूर खरीद लिए और वापस अपनी कुटिया की ओर चल पड़ा.

कुटिया की ओर जाते-जाते उसके मन में विचार आया कि आज मुझे ख़जूर खाने की इच्छा हुई. हो सकता है कल किसी और वस्तु की इच्छा हो जाये. कभी नए वस्त्रों की इच्छा जाग जायेगी, तो कभी अच्छे घर की. कभी स्त्री और बच्चों की, तो कभी धन की. मैं तो साधु व्यक्ति हूँ. इस तरह से तो मैं इच्छाओं का दास बन जाऊंगा.

यह विचार आते ही साधु ने ख़जूर खाने का विचार त्याग दिया. उस समय उसके पास से एक गरीब व्यक्ति गुजर रहा था. साधु ने उसे बुलाया और सारे खजूर उसे दे दिए. इस तरह उसने स्वयं को इच्छाओं का दास बनने से बचा लिया.

यदि हम अपनी हर इच्छाओं के आगे हार जायेंगे, तो सदा के लिए अपनी इच्छाओं के दास बन जायेंगे. मन चंचल होता है. उसमें रह-रहकर इच्छायें उत्पन्न होती रहती हैं. जो उचित भी हो सकती हैं और अनुचित भी. ऐसे में इच्छाओं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. सोच-विचार कर इच्छाओं के आंकलन के उपरांत ही उनकी पूर्ति के लिए कदम बढ़ाना चाहिए. तभी जीवन में सफ़लता प्राप्त होगी. हमें इच्छाओं का दास नहीं बनाना है, बल्कि इच्छाओं को अपना दास बनाना है.


Saturday, May 7, 2022

परिस्थितियों से लड़ना आवश्यक है

एक बार वैज्ञानिकों ने शारीरिक बदलाव की क्षमता की जांच के लिए एक शोध किया. शोध में एक मेंढक लिया गया और उसे एक कांच के जार में डाल दिया गया. फ़िर जार में पानी भरकर उसे गर्म किया जाने लगा. जार में ढक्कन नहीं लगाया गया था, ताकि जब पानी का गर्म ताप मेंढक की सहनशक्ति से बाहर हो जाए, तो वह कूदकर बाहर आ सके.

प्रारंभ में मेंढक शांति से पानी में बैठा रहा. जैसे पानी का तापमान बढ़ना प्रारंभ हुआ, मेंढक में कुछ हलचल सी हुई. उसे समझ में तो आ गया कि वो जिस पानी में बैठा है, वो हल्का गर्म सा लग रहा है. लेकिन कूदकर बाहर निकलने के स्थान पर वो अपनी शरीर की ऊर्जा बढ़े हुए तापमान से तालमेल बैठाने में लगाने लगा.

पानी थोड़ा और गर्म हुआ, मेंढक को पहले से अधिक बेचैनी महसूस हुई. लेकिन, वह बेचैनी उसकी सहनशक्ति की सीमा के भीतर ही थी. इसलिए वह पानी से बाहर नहीं कूदा, बल्कि अपने शरीर की ऊर्जा उस गर्म पानी में तालमेल बैठाने में लगाने लगा.

धीरे-धीरे पानी और ज्यादा गर्म होता गया और मेंढक अपने शरीर की अधिक ऊर्जा पानी के बढ़े हुए तापमान से तालमेल बैठाने में लगता रहा.

जब पानी उबलने लगा, तो मेंढक की जान पर बन आई. अब उसकी सहनशक्ति जवाब दे चुकी थे. उसने जार से बाहर कूदने के लिए अपने शरीर की शक्ति बटोरी, लेकिन वह पहले ही शरीर की समस्त ऊर्जा धीरे-धीरे उबलते पानी से तालमेल बैठाने में लगा चुका था. अब उसके शरीर में जार से बाहर कूदने की ऊर्जा शेष नहीं थी. वह जार से बाहर कूदने में नाकाम रहा और उसी जार में मर गया.

यदि समय रहते उसने अपनी शरीर की ऊर्जा का प्रयोग जार से बाहर कूदने में किया होता, तो वह जीवित होता.

सीख 

दोस्तों, हमारे जीवन में भी ऐसा होता है. अक्सर परिस्थितियाँ विपरीत होने पर हम उसे सुधारने या उससे बाहर निकलने का प्रयास ना कर उससे तालमेल बैठाने में लग जाते है. हमारी आँख तब खुलती है, जब परिस्थितियाँ बेकाबू हो जाती है और हम पछताते रह जाते हैं कि समय रहते हमने कोई प्रयास क्यों नहीं किया. इसलिए प्रारंभिक अनुभव होते ही परिस्थितियाँ सुधारने की कार्यवाही प्रारंभ कर दे और जब समझ आ जाये कि अब इन्हें संभालना मुश्किल है, तो उससे बाहर निकल जायें. परिस्थितियों से लड़ना आवश्यक है, लेकिन समय रहते उससे बाहर निकल जाना बुद्धिमानी है.

Wednesday, April 27, 2022

जीवन की समस्यायें

राजस्थान के एक गाँव में रहने वाला एक व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी समस्या से परेशान रहता था और इस कारण अपने जीवन से बहुत दु:खी था.

एक दिन उसे कहीं से जानकारी प्राप्त हुई कि एक पीर बाबा अपने काफ़िले के साथ उसके गाँव में पधारे है. उसने तय किया कि वह पीर बाबा से मिलेगा और अपने जीवन की समस्याओं के समाधान का उपाय पूछेगा.

शाम को वह उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ पीर बाबा रुके हुए थे. कुछ समय प्रतीक्षा करने के उपरांत उसे पीर बाबा से मिलने का अवसर प्राप्त हो गया. वह उन्हें प्रणाम कर बोला, “बाबा! मैं अपने जीवन में एक के बाद एक आ रही समस्याओं से बहुत परेशान हूँ. एक से छुटकारा मिलता नहीं कि दूसरी सामने खड़ी हो जाती है. घर की समस्या, काम की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या और जाने कितनी ही समस्यायें. ऐसा लगता है कि मेरा पूरा जीवन समस्याओं से घिरा हुआ है. कृपा करके कुछ ऐसा उपाय बतायें कि मेरे जीवन की सारी समस्यायें खत्म हो जाये और मैं शांतिपूर्ण और ख़ुशहाल जीवन जी सकूं.”

उसकी पूरी बात सुनने के बाद पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “बेटा! मैं तुम्हारी समस्या समझ गया हूँ. उन्हें हल करने के उपाय मैं तुम्हें कल बताऊंगा. इस बीच तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो.”

व्यक्ति तैयार हो गया.

पीर बाबा बोले, “बेटा, मेरे काफ़िले में १०० ऊँट है. मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम उनकी रखवाली करो. जब सभी १०० ऊँट बैठ जायें, तब तुम सो जाना.”

यह कहकर पीर बाबा अपने तंबू में सोने चले गए. व्यक्ति ऊँटों की देखभाल करने चला गया.

अगली सुबह पीर बाबा ने उसे बुलाकर पूछा, “बेटा! तुम्हें रात को नींद तो अच्छी आई ना?”

“कहाँ बाबा? पूरी रात मैं एक पल के लिए भी सो न सका. मैंने बहुत प्रयास किया कि सभी ऊँट एक साथ बैठ जायें, ताकि मैं चैन से सो सकूं. किंतु मेरा प्रयास सफल न हो सका. कुछ ऊँट तो स्वतः बैठ गए. कुछ मेरे बहुत प्रयास करने पर भी नहीं बैठे. कुछ बैठ भी गए, तो दूसरे उठ खड़े हुए. इस तरह पूरी रात बीत गई.” व्यक्ति ने उत्तर दिया.

पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “यदि मैं गलत नहीं हूँ, तो तुम्हारे साथ कल रात यह हुआ?

  1. कई ऊँट ख़ुद-ब-ख़ुद बैठ गए.
  2. कईयों को तुमने अपने प्रयासों से बैठाया.
  3. कई तुम्हारे बहुत प्रयासों के बाद भी नहीं बैठे. बाद में तुमने देखा कि वे उनमें से कुछ अपने आप ही बैठ गए.”

“बिल्कुल ऐसा ही हुआ बाबा.” व्यक्ति तत्परता से बोला.

तब पीर बाबा ने उसे समझाते हुए कहा, “क्या तुम समझ पाए कि जीवन की समस्यायें इसी तरह है :

  1. कुछ समस्यायें अपने आप ही हल हो जाती हैं.
  2. कुछ प्रयास करने के बाद हल होती है.
  3. कुछ प्रयास करने के बाद भी हल नहीं होती. उन समस्याओं को समय पर छोड़ दो. सही समय आने पर वे अपने आप ही हल हो जायेंगी.

कल रात तुमें अनुभव किया होगा कि चाहे तुम कितना भी प्रयास क्यों न कर लो? तुम एक साथ सारे ऊँटों को नहीं बैठा सकते. तुम एक को बैठाते हो, तो दूसरा खड़ा हो जाता है. दूसरे को बैठाते हो, तो तीसरा खड़ा हो जाता है. जीवन की समस्यायें इन ऊँटों की तरह ही हैं. एक समस्या हल होती नहीं कि दूसरी खड़ी हो जाती है. समस्यायें जीवन का हिस्सा है और हमेशा रहेंगी. कभी ये कम हैं, तो कभी ज्यादा. बदलाव तुम्हें स्वयं में लाना है और हर समय इनमें उलझे रहने के स्थान पर इन्हें एक तरफ़ रखकर जीवन में आगे बढ़ना है.

व्यक्ति को पीर बाबा की बात समझ में आ गई और उसने निश्चय किया कि आगे से वह कभी अपनी समस्याओं को खुद पर हावी होने नहीं देगा. चाहे सुख हो या दुःख जीवन में आगे बढ़ता चला जायेगा.