Wednesday, April 27, 2022

जीवन की समस्यायें

राजस्थान के एक गाँव में रहने वाला एक व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी समस्या से परेशान रहता था और इस कारण अपने जीवन से बहुत दु:खी था.

एक दिन उसे कहीं से जानकारी प्राप्त हुई कि एक पीर बाबा अपने काफ़िले के साथ उसके गाँव में पधारे है. उसने तय किया कि वह पीर बाबा से मिलेगा और अपने जीवन की समस्याओं के समाधान का उपाय पूछेगा.

शाम को वह उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ पीर बाबा रुके हुए थे. कुछ समय प्रतीक्षा करने के उपरांत उसे पीर बाबा से मिलने का अवसर प्राप्त हो गया. वह उन्हें प्रणाम कर बोला, “बाबा! मैं अपने जीवन में एक के बाद एक आ रही समस्याओं से बहुत परेशान हूँ. एक से छुटकारा मिलता नहीं कि दूसरी सामने खड़ी हो जाती है. घर की समस्या, काम की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या और जाने कितनी ही समस्यायें. ऐसा लगता है कि मेरा पूरा जीवन समस्याओं से घिरा हुआ है. कृपा करके कुछ ऐसा उपाय बतायें कि मेरे जीवन की सारी समस्यायें खत्म हो जाये और मैं शांतिपूर्ण और ख़ुशहाल जीवन जी सकूं.”

उसकी पूरी बात सुनने के बाद पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “बेटा! मैं तुम्हारी समस्या समझ गया हूँ. उन्हें हल करने के उपाय मैं तुम्हें कल बताऊंगा. इस बीच तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो.”

व्यक्ति तैयार हो गया.

पीर बाबा बोले, “बेटा, मेरे काफ़िले में १०० ऊँट है. मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम उनकी रखवाली करो. जब सभी १०० ऊँट बैठ जायें, तब तुम सो जाना.”

यह कहकर पीर बाबा अपने तंबू में सोने चले गए. व्यक्ति ऊँटों की देखभाल करने चला गया.

अगली सुबह पीर बाबा ने उसे बुलाकर पूछा, “बेटा! तुम्हें रात को नींद तो अच्छी आई ना?”

“कहाँ बाबा? पूरी रात मैं एक पल के लिए भी सो न सका. मैंने बहुत प्रयास किया कि सभी ऊँट एक साथ बैठ जायें, ताकि मैं चैन से सो सकूं. किंतु मेरा प्रयास सफल न हो सका. कुछ ऊँट तो स्वतः बैठ गए. कुछ मेरे बहुत प्रयास करने पर भी नहीं बैठे. कुछ बैठ भी गए, तो दूसरे उठ खड़े हुए. इस तरह पूरी रात बीत गई.” व्यक्ति ने उत्तर दिया.

पीर बाबा मुस्कुराये और बोले, “यदि मैं गलत नहीं हूँ, तो तुम्हारे साथ कल रात यह हुआ?

  1. कई ऊँट ख़ुद-ब-ख़ुद बैठ गए.
  2. कईयों को तुमने अपने प्रयासों से बैठाया.
  3. कई तुम्हारे बहुत प्रयासों के बाद भी नहीं बैठे. बाद में तुमने देखा कि वे उनमें से कुछ अपने आप ही बैठ गए.”

“बिल्कुल ऐसा ही हुआ बाबा.” व्यक्ति तत्परता से बोला.

तब पीर बाबा ने उसे समझाते हुए कहा, “क्या तुम समझ पाए कि जीवन की समस्यायें इसी तरह है :

  1. कुछ समस्यायें अपने आप ही हल हो जाती हैं.
  2. कुछ प्रयास करने के बाद हल होती है.
  3. कुछ प्रयास करने के बाद भी हल नहीं होती. उन समस्याओं को समय पर छोड़ दो. सही समय आने पर वे अपने आप ही हल हो जायेंगी.

कल रात तुमें अनुभव किया होगा कि चाहे तुम कितना भी प्रयास क्यों न कर लो? तुम एक साथ सारे ऊँटों को नहीं बैठा सकते. तुम एक को बैठाते हो, तो दूसरा खड़ा हो जाता है. दूसरे को बैठाते हो, तो तीसरा खड़ा हो जाता है. जीवन की समस्यायें इन ऊँटों की तरह ही हैं. एक समस्या हल होती नहीं कि दूसरी खड़ी हो जाती है. समस्यायें जीवन का हिस्सा है और हमेशा रहेंगी. कभी ये कम हैं, तो कभी ज्यादा. बदलाव तुम्हें स्वयं में लाना है और हर समय इनमें उलझे रहने के स्थान पर इन्हें एक तरफ़ रखकर जीवन में आगे बढ़ना है.

व्यक्ति को पीर बाबा की बात समझ में आ गई और उसने निश्चय किया कि आगे से वह कभी अपनी समस्याओं को खुद पर हावी होने नहीं देगा. चाहे सुख हो या दुःख जीवन में आगे बढ़ता चला जायेगा. 

Wednesday, April 20, 2022

नकारात्मक सोच

एक दिन एक व्यक्ति सर्कस देखने गया. वहाँ जब वह हाथियों के बाड़े के पास से गुजरा, तो एक ऐसा दृश्य देखा कि वह हैरान रह गया. उसने देखा कि कुछ विशालकाय हाथियों को मात्र उनके सामने के पैर में रस्सी बांधकर रखा गया है. उसने सोच रखा था कि हाथियों को अवश्य बड़े पिंजरों में बंद कर रखा जाता होगा या फिर जंजीरों से बांधकर. लेकिन वहाँ का दृश्य तो बिल्कुल उलट था. 

उसने महावत से पूछा, “भाई! आप लोगों ने इन हाथियों को बस रस्सी के सहारे बांधकर रखा है, वो भी उनके सामने के पैर को. ये तो इस रस्सी को तो बड़े ही आराम से तोड़ सकते हैं. मैं हैरान हूँ कि ये इसे तोड़ क्यों नहीं रहे?”

महावत ने उसे बताया, “ये हाथी जब छोटे थे, तब से ही हम उसे इतनी ही मोटी रस्सी से बांधते आ रहे हैं. उस समय इन्होंने रस्सी तोड़ने की बहुत कोशिश की. लेकिन ये छोटे थे. इसलिए रस्सी को तोड़ पाना इनके सामर्थ्य के बाहर था. वे रस्सी तोड़ नहीं पाए और ये मान लिया कि रस्सी इतनी मजबूत है कि वे उसे नहीं तोड़ सकते. आज भी इनकी वही सोच बरक़रार है. इन्हें आज भी लगता है कि ये रस्सी नहीं तोड़ पाएंगे. इसलिए ये प्रयास भी नहीं करते.”

यह सुनकर वह व्यक्ति अवाक् रह गया.

 “दोस्तों, उन हाथियों की तरह हम भी अपने जीवन में नकारात्मक सोच रुपी रस्सी से बंध जाते हैं. जीवन में किसी काम में प्राप्त हुई असफ़लता को हम मष्तिष्क में बिठा लेते हैं और यकीन करने लगते हैं कि एक बार किसी काम में असफ़ल होने के बाद उसमें कभी सफ़लता प्राप्त नहीं होगी. इस नकारात्मक सोच के कारण हम कभी प्रयास ही नहीं करते. 

आवश्यकता है इस नकारात्मक सोच से बाहर निकलने की; उन कमियों को पहचानकर दूर करने की, जो हमारी असफ़लता का कारण बनी. नकारात्मक सोच हमारी सफ़लता में सबसे बड़ी बाधक है. इसलिए नकारात्मक सोच रुपी जंजीर को तोड़ कर सकारात्मक सोच को अपनायें और जीवन में प्रयास करना कभी न छोड़ें, क्योंकि प्रयास करना सफ़लता की दिशा में कदम बढ़ाना है.”



Saturday, April 16, 2022

हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार

एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था. वह कुछ काम-धाम नहीं करता था. बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये.

एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया. वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे. रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया. लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा.

बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ. भागते-भागते वह गाँव में बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा. वह बुरी तरह से थक गया था. इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा.

तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी पर पड़ी. उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी. लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ?

जिज्ञासा में वह  एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?

कुछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा. जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे. लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी. वह वहीं खड़ी रही.

शेर लोमड़ी के पास आने लगा. आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा. लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था. शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया. उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया. लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी. थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया.

यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा है. उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का  प्रबंध कर रखा है. वह अपने घर लौट आया.

घर आकर वह २-३ दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था. वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा.

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी. आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा. घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े. वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं.”

बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है. भगवान के पास सारे प्रबंध है. दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी. लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं.”

हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है. बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं. स्वयं की क्षमता पहचानिए. दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए. इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें.


Tuesday, April 12, 2022

दुनिया की भेड़ चाल

खेत के पास स्थित अनाज की कोठी में काम कर रहा था. काम के दौरान उसकी घड़ी कहीं खो गई. वह घड़ी उसके पिता द्वारा उसे उपहार में दी गई थी. इस कारण उससे उसका भावनात्मक लगाव था.  

उसने वह घड़ी ढूंढने की बहुत कोशिश की. कोठी का हर कोना छान मारा. लेकिन घड़ी नहीं मिली. हताश होकर वह कोठी से बाहर आ गया. वहाँ उसने देखा कि कुछ बच्चे खेल रहे हैं. 

उसने बच्चों को पास बुलाकर उन्हें अपने पिता की घड़ी खोजने का काम सौंपा. घड़ी ढूंढ निकालने वाले को ईनाम देने की घोषणा भी की. ईनाम के लालच में बच्चे तुरंत मान गए.

कोठी के अंदर जाकर बच्चे घड़ी की खोज में लग गए. इधर-उधर, यहाँ-वहाँ, हर जगह खोजने पर भी घड़ी नहीं मिल पाई. बच्चे थक गए और उन्होंने हार मान ली. 

किसान ने अब घड़ी मिलने की आस खो दी. बच्चों के जाने के बाद वह कोठी में उदास बैठा था. तभी एक बच्चा वापस आया और किसान से बोला कि वह एक बार फिर से घड़ी ढूंढने की कोशिश करना चाहता था. किसान ने हामी भर दी.

बच्चा कोठी के भीतर गया और कुछ ही देर में बाहर आ गया. उसके हाथ में किसान की घड़ी थी. जब किसान ने वह घड़ी देखी, तो बहुत ख़ुश हुआ. उसे आश्चर्य हुआ कि जिस घड़ी को ढूंढने में सब नाकामयाब रहे, उसे उस बच्चे ने कैसे ढूंढ निकाला?

पूछने पर बच्चे ने बताया कि कोठी के भीतर जाकर वह चुपचाप एक जगह खड़ा हो गया और सुनने लगा. शांति में उसे घड़ी की टिक-टिक की आवाज़ सुनाई पड़ी और उस आवाज़ की दिशा में खोजने पर उसे वह घड़ी मिल गई.

किसान ने बच्चे को शाबासी दी और ईनाम देकर विदा किया.

 शांति हमारे मन और मस्तिष्क को एकाग्र करती है और यह एकाग्र मन:स्थिति जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक है. इसलिए दिनभर में कुछ समय हमें अवश्य निकलना चाहिए, जब हम शांति से बैठकर मनन कर सकें. अन्यथा शोर-गुल भरी इस दुनिया में हम उलझ कर रह जायेंगे. हम कभी न खुद को जान पायेंगे न अपने मन को. बस दुनिया की भेड़ चाल में चलते चले जायेंगे. जब आँख खुलगी, तो बस पछतावा होगा कि जीवन की ये दिशा हमने कैसे निर्धारित कर ली? हम चाहते तो कुछ और थे. जबकि वास्तव में हमने तो वही किया, जो दुनिया ने कहा. अपने मन की बात सुनने का तो हमने समय ही नहीं निकाला.

Friday, April 8, 2022

मुश्किलों से हारे नहीं

एक बार की बात है. यूनान (Greece) के सम्राट किसी बात पर अपने वज़ीर से नाराज़ हो गये. नाराज़गी में उन्होंने वजीर के लिए फांसी की सजा का एलान कर दिया. फांसी का समय शाम के ६ बजे मुकर्रर किया गया.

फांसी की सजा दिए जाते समय वज़ीर दरबार में उपस्थित नहीं था. सम्राट ने सैनिकों को आदेश दिया, “जाओ, जाकर वज़ीर को बता दो कि शाम को ठीक ६ बजे उसे फांसी पर लटका दिया जायेगा.”

सम्राट का आदेश मान सैनिक की एक टुकड़ी वज़ीर के घर पहुँची. उसके घर को चारों ओर से घेर लिया गया. कुछ सैनिक घर के अंदर गए. अंदर जाने पर उन्होंने देखा कि वहाँ तो जश्न का माहौल है. उस दिन वज़ीर का जन्मदिन था. उसके घर पर रिश्तेदारों और दोस्तों की चहल-पहल थी. संगीत बज रहा है. नाच-गाना चल रहा था. पूरे घर में पकवान की ख़ुशबू फ़ैल रही थी. कुल मिलाकर वहाँ का माहौल बड़ा ख़ुशनुमा था.

सैनिकों ने भरी महफ़िल में एलान कर वज़ीर को फांसी की सजा के बारे में बताया. यह भी बताया कि फांसी शाम ६ बजे दी जाएगी. यह एलान सुनकर वहाँ मौजूद हर शख्स हैरान रह गया. फ़ौरन संगीत और नाच-गाना बंद कर दिया गया. रिश्तेदार, दोस्त और परिवारजन उदास हो गए.

तभी कमरे में छाई ख़ामोशी में वज़ीर की आवाज़ गूंजी, “ऊपर वाले का लाख-लाख  शुक्रिया कि उसने फांसी के लिए शाम ६ बजे तक का वक़्त दे दिया. तब तक हम सब जश्न मना सकते हैं.”

वज़ीर की बात सुनकर दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवारज़नों ने कहा, “कैसी बात कर रहे हो? फांसी की सजा सुनाई गई है तुम्हें और तुम जश्न मनाना चाहते हो.”  

वजीर ने किसी तरह सबको समझाया और जश्न फिर से शुरू करवाया. दोस्त उदास थे. लेकिन वज़ीर की ख़ुशी के लिए जश्न में शामिल हो गए.

यह ख़बर सैनिकों द्वारा सम्राट तक पहुँचाई गई. सम्राट पूरा माज़रा जानने वज़ीर के घर पहुँच गया. वहाँ पहुँचकर जब उसने सबको जश्न मानते हुए देखा, तो वह भी दंग रह गया. उसने वज़ीर से कहा, “तुम पागल हो गये हो क्या? शाम ६ बजे तुम्हें फांसी पर लटका दिया जायेगा और तुम जश्न मना रहे हो.“

वज़ीर बड़े ही अदब से बोला, “हुज़ूर! आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आपने फांसी का वक़्त शाम ६ बजे मुकर्रर किया. इस तरह मुझे शाम ६ बजे तक का वक़्त मिल सका. यदि आप मुझे ये वक़्त न देते, तो मैं अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जश्न कैसे मना पाता? फांसी पर लटकने के पहले मेरे पास शाम तक का वक़्त है. ये मैं क्यों ज़ाया करूं? मेरे पास जितना भी वक़्त है, उसे मैं ख़ुशी-ख़ुशी गुज़ारना चाहता हूँ.”

ये बात सुनकर राजा ने वज़ीर को गले लगा लिया और कहा, “जिस इंसान को वक़्त की कदर है. जो ज़िंदगी का हर लम्हा ख़ुशी-ख़ुशी गुजारना चाहता है. उसे मौत कैसे दी जा सकती हैं? उसे जीने का पूरा हक है. तुम्हारी बातों ने हमारा दिल ख़ुश कर दिया. तुम्हारी फांसी की सजा माफ़ की जाती है.”

सीख

ज़िंदगी ख़ूबसूरत है. इसका हर लम्हा ख़ुशी के साथ गुजारें. ये ज़रूर है कि ज़िंदगी में कई बार मुश्किलों भरा वक़्त सामने आ खड़ा होता है और हम परेशान हो जाते हैं. ऐसे में हम ज़िंदगी जीना ही छोड़ देते हैं. मुश्किलों से हारे नहीं, उसका सामना करें और ख़ुशी के साथ करें. जो भी समय आपके पास है, उसका पूरा सदुपयोग करें. ये ज़िंदगी बार-बार नहीं मिलने वाली. इसे खुलकर जियें.

Wednesday, April 6, 2022

काम की ज़िम्मेदारी

एक गाँव में एक किसान रहता था. उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था. एक बार फसल बोने के कुछ दिनों बाद उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया.

कुछ समय बीता, तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे भी दे दिए. उन अंडों में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आये. वे बड़े मज़े से उस खेत में अपना जीवन गुजारने लगे.

कुछ महीनों बाद फसल कटाई का समय आ गया. गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फ़सल की कटाई में लग गए. अब चिड़िया और उसके बच्चों का वह खेत छोड़कर नए स्थान पर जाने का समय आ गया था.

एक दिन खेत में चिड़िया के बच्चों ने किसान को यह कहते सुना कि कल मैं फ़सल कटाई के लिए अपने पड़ोसी से पूछूंगा और उसे खेत में भेजूंगा. यह सुनकर चिड़िया के बच्चे परेशान हो गए. उस समय चिड़िया कहीं गई हुई थी. जब वह वापस लौटी, तो बच्चों ने उसे किसान की बात बताते हुए कहा, “माँ, आज हमारा यहाँ अंतिम दिन है. रात में हमें दूसरे स्थान के लिए यहाँ से निकला होगा.”

चिड़िया ने उत्तर दिया, “इतनी जल्दी नहीं बच्चों. मुझे नहीं लगता कि कल खेत में फसल की कटाई होगी.”

चिड़िया की कही बात सही साबित हुई. दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नहीं आया और फ़सल की कटाई न हो सकी.

शाम को किसान खेत में आया और खेत को जैसे का तैसा देख बुदबुदाने लगा कि ये पड़ोसी तो नहीं आया. ऐसा करता हूँ कल अपने किसी रिश्तेदार को भेज देता हूँ.”

चिड़िया के बच्चों ने फिर से किसान की बात सुन ली और परेशान हो गए. जब चिड़िया को उन्होंने ये बात बताई, तो वह बोली, “तुम लोग चिंता मत करो. आज रात हमें जाने की ज़रुरत नहीं है. मुझे नहीं लगता कि किसान का रिश्तेदार आएगा.”

ठीक ऐसा ही हुआ और किसान का रिश्तेदार अगले दिन खेत नहीं पहुँचा. चिड़िया के बच्चे हैरान थे कि उनकी माँ की हर बात सही हो रही है.

अगली शाम किसान जब खेत आया, तो खेत की वही स्थिति देख बुदबुदाने लगा कि ये लोग तो कहने के बाद भी कटाई के लिए आते नहीं है. कल मैं ख़ुद आकर फ़सल की कटाई शुरू करूंगा.

चिड़िया के बच्चों ने किसान की ये बात भी सुन ली. अपनी माँ को जब उन्होंने ये बताया तो वह बोली, “बच्चों, अब समय आ गया है ये खेत छोड़ने का. हम आज रात ही ये खेत छोड़कर दूसरी जगह चले जायेंगे.”

दोनों बच्चे हैरान थे कि इस बार ऐसा क्या है, जो माँ खेत छोड़ने को तैयार है. उन्होंने पूछा, तो चिड़िया बोली, “बच्चों, पिछली दो बार किसान कटाई के लिए दूसरों पर निर्भर था. दूसरों को कहकर उसने अपने काम से पल्ला झाड़ लिया था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. इस बार उसने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है. इसलिए वह अवश्य आएगा.”

उसी रात चिड़िया और उसके बच्चे उस खेत से उड़ गए और कहीं और चले गए.

दूसरों की सहायता लेने में कोई बुराई नहीं है. किंतु यदि आप समय पर काम शुरू करना चाहते हैं और चाहते हैं कि वह समय पर पूरा हो जाये, तो उस काम की ज़िम्मेदारी स्वयं लेनी होगी. दूसरे भी मदद उसी की करते हैं, जो अपनी मदद करता है.

Thursday, March 31, 2022

महत्वपूर्ण रिश्ता

एक दिन जब ऑफिस के सभी कर्मचारी ऑफिस पहुँचे, तो उन्हें दरवाजे पर एक पर्ची चिपकी हुई मिली. उस पर लिखा था – “कल उस इंसान की मौत हो गई, जो कंपनी में आपकी प्रगति में बाधक था. उसे श्रद्धांजली देने के लिए सेमिनार हाल में एक सभा आयोजित की गई है. ठीक ११ बजे श्रद्धांजली सभा में सबका उपस्थित होना अपेक्षित है.”

अपने एक सहकर्मी की मौत की खबर पढ़कर पहले तो सभी दु:खी हुए. लेकिन कुछ देर बाद उन सबमें ये जिज्ञासा उत्पन्न होने लगी कि आखिर वह कौन था, जो उनकी और कंपनी की प्रगति में बाधक था?

११ बजे सेमिनार हाल में कर्मचारियों का आना प्रारंभ हो गया. धीरे-धीरे वहाँ इतनी भीड़ जमा हो गई कि उसे नियंत्रित करने के लिए सिक्यूरिटी गार्ड की व्यवस्था करनी पड़ी. लोगों का आना लगातार जारी था. जैसे-जैसे लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी,  सेमिनार हॉल में हलचल भी बढ़ती जा रही थी. सबके दिमाग में बस यही चल रहा था : “आखिर वो कौन था, जो कंपनी में मेरी प्रगति पर लगाम लगाने पर तुला हुआ था? चलो, एक तरह से ये अच्छा ही हुआ कि वो मर गया.”

जैसे ही श्रद्धांजली सभा प्रारंभ हुई, एक-एक करके सभी उत्सुक और जिज्ञासु कर्मचारी कफ़न के पास जाने लगे. करीब पहुँचकर जैसे ही वे कफ़न के अंदर झांकते, उनका चेहरा फक्क पड़ जाता. मानो उन्हें सदमा सा लग गया हो.

उस कफ़न के अंदर एक दर्पण रखा हुआ था. जो भी उसमें झांककर देखता, उसे उसमें अपना ही अक्स नज़र आता. उस दर्पण पर एक पर्ची भी चिपकी हुई थी, जिस पर कुछ ऐसा लिखा था जो सबकी आत्मा को झकझोर रहा था:

”केवल एक ही इंसान आपकी प्रगति में बाधक है और वो आप खुद है. आप ही वो इंसान है, जो अपने जीवन में क्रांति उत्पन्न कर सकते है. आप ही वो इंसान है, जो अपनी ख़ुशी, अपनी समझ और अपनी सफलता को प्रभावित कर सकते है. आप ही वो इंसान हैं, जो अपनी खुद की मदद कर सकते है. आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपका बॉस बदल जाता है; आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपके दोस्त बदल जाते है; आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपके पार्टनर या साथी बदल जाते है; आपका जीवन तब बदलता है, जब “आप खुद” बदल जाते है. जब आप अपने खुद के विश्वास की सीमा को लांघकर उसके पार जाते है, जब आप ये समझ जाते है कि आप और सिर्फ आप अपने जीवन के लिए जिम्मेदार है, तब आपका जीवन बदल जाता है. सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता जो आपका किसी के साथ है, वो आपका खुद से है.”


Sunday, March 27, 2022

हमेशा सीखते रहिए

एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसा कमाने का निर्णय लिया। शहर जाकर कुछ दिनों तक इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किए और फिर उन पैसो से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया। दोनों का व्यवसाय चल पड़ा। दो साल में ही दोनों ने अच्छी खासी तरक्की कर ली।व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरा काम चल पड़ा है। अब तो मैं तरक्की की सीढियाँ चलता चला जाऊँगा। लेकिन उसके सोच के विपरीत व्यापारी उतार चढाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ।अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्त के धरातल पर आ गिरा। वह उन कारणों को तलाशने लगा जिसकी बजह से उसका व्यापार घट गया। सबसे पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति की व्यापार की स्तिथि के बारे में पता लगाया जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था। वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार चढाव के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफे में हैं। उसने तुरंत उसके पास जाकर उसका कारण जानने का निर्णय लिया।

अगले ही दिन, वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा। दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर- सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा। पहला व्यक्ति बोला, “दोस्त, इस वक्त बाजार में मेरे व्यवसाय को बहुत नुकसान हुआ। बहुत घाटा झेलना पड़ा। तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो, तुमने ऐसा क्या किया कि इस उतर चढाव के दौर में भी तुमने मुनाफा कमाया?”

यह बात सुनकर दूसरा व्यक्ति बोला, “भाई मैं तो सिर्फ सीखता जा रहा हूँ, अपनी गलती से भी और साथ ही दुसरो के गलती से भी। जो समस्या सामने आती है उसमें से भी सिख लेता हूँ। इसलिए जब दोबारा वैसी समस्या सामने आती है तो उसका सामना अच्छे से कर पाता हूँ और उसके कारन मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता। बस यह सिखने की प्रगति ही है जो मुझे जीवन में आगे बढाती ही जा रही हैं।”

दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ। सफलता की मद में वह अति आत्मविश्वास से भर उठा था और सीखना छोड़ दिया था। वह वहाँ से प्रण करके वापस आया कि वह कभी सीखना बंद नहीं करेगा। उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता चला गया।

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जीवन में कमियाभ होना है तो इसे पाठशाला मान हर पल सीखते रहिए क्यूंकि यहाँ नित्य नया परिवर्तन और नए विकाश होते रहते हैं। यदि हम खुद को सर्वज्ञाता समझने की भूल करेंगे तो जीवन की दौर में पिछड़ जाएंगे क्यूंकि इस दौर में जीतता वही है जो लगातार दौड़ता रहता है और जिसने दौड़ना छोड़ दिया उसकी हार निश्चित है। इसलिए हमेशा सीखते रहिए फिर देखिए कोई बदलाव या उतार चढाव आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता।

Tuesday, March 22, 2022

आपका कण्ट्रोल

एक बार की बात है एक राजा साहब के पास में बड़ा सुन्दर  विशाल महल था और उस विशाल सी  महल में एक सुंदर सी बगीची थी  उस सुन्दर सी बगीची में एक माली था और अंगूरों की बेल थी माली जो था वो  इस बात से परेशान था

की अंगूरों की बेल पे रोजाना एक चिड़ियाँ आकर के आक्रमण करती थी  और कुछ इस तरीके से वो आक्रमण करती थी जिसे की जो मीठे मीठे अंगूर थे उसे तो खा लेती थी जो अधपके थे  और जो खटे अंगूर थे उसे ज़मीन पर  गिरा देती थी।

  माली इस बात से बड़ा परेशान चल रहा था की इस अंगूरों के बेल को ये चिड़ियाँ एक दिन तबाह कर देगी नस्ट कर देगी उसने बहुत कोसिस की लेकिन उसको कोई उपाय  मिला  नहीं तो वो राजा के पास पंहुचा और कहा

मालिक हुकुम आपही कुछ कीजिये मुझसे कुछ हो नहीं पारहा  है अंगूरों की बेल कभी भी ख़त्म हो सकती है राजाने  कहा माली साहब आप चिंता मत कीजिये आपका काम मैं करूँगा।

  अगले दिन राजा साहब पहुंचे खुद और अंगूरों की बेल के पीछे जाके छुप गए और जैसे ही चिड़ियाँ आई राजा ने फुर्ती दिखाते हु चिड़ियाँ को पाकर लिया। 

जैसे ही चिड़ियाँ को पकड़ा चिड़ियाँ ने राजा के कहा हे राजन मुझे माफ़ करना  मुझे मत मारो मैं  आपको चार ज्ञान की बातें बताउंगी राजा बहुत घुसे में थे राजा ने बोला पहेली बात बताओ चिड़ियाँ ने कहा अपनी हाथ में आए शत्रु को कभी भी जाने न दे

राजा ने कहा दूसरी बात बता चिड़ियाँ ने कहा कभी भी असम्भव बात पर यकीन न करें राजा ने कहा बहुत हो गया डरामा तीसरी बात बताओ  चिड़ियाँ ने कहा बीती बात कर पछतावा न करें

  राजा ने कहा अब चौथी बात बता अब खेल खत्म करता हु बहुत देर से परेशान कर रखा है

चिड़ियाँ ने कहा राजा साहब अपने जिस तरीके से मुझे पाकर रखा है मुझे साँस नहीं आरही आप  मुझे थोड़ी सी ढील देंगें तो शायद मैं  आपको चौथी बात बता पाऊं  राजा ने हलकी सी ढील दी

और  चिड़ियाँ उर कर के डाल पे बैठ गई चिड़ियाँ ने कहा मेरे पेट में दो हिरे हैं ये सुन कर के राजा पश्चाताप करने लगा उदाश हो गया

और राजा की ये शक्ल देख कर के चिड़ियाँ ने ने बोला राजा साहब मैंने जो आपको अभी  चार  ज्ञान की  बात  बताई थी पहली बात बताई थी अपने शत्रु को कभी हाथ में आने के बाद  छोड़ें न

आपने हाथ में आए शत्रु यानि मुझे छोर  दिया दूसरी  बात बताई थी  असबभाव बात पर यकीन  न करें , आपने यकीं कर लिया की मेरे छोटे से पेट में दो हिरे हैं ,

तीसरी बात बताई थी की बीती हुई बात पर पश्चताप न करें आप उदास है आप पश्चाताप कर रहें है जबकि मेरे पेट में हिरे है ही नहीं उसको सोच कर के आप पश्चाताप कर रहें है।

  उस चिड़ियाँ ने राजा को नहीं हम सबको भी बताई हम सब  भी जो बीती चूका होता है उस  पर कई बार पश्चाताप कर रहें होतें हैं हमेशा भूतकाल में  रहतें है और भविस का सोचतें नहीं हैं प्रेजेंट में रहना सुरु की जिए

फ्यूचर की प्लानिंग करना सुरु कीजिये अपने सपनो को फॉलो करना सुरु कीजिये।  जिंदगी में जो हो गया  आपका उसपर कण्ट्रोल नहीं है लेकिन जो होगा उसको आप बदल सकते है। 

Saturday, March 19, 2022

मम्मी पापा की हमेशा कदर करना

एक कहानी है आशीष नाम के आदमी की जिसके शादी हो गयी  थी दो बच्चे भी थे जिसके फैमली में सब कुछ अच्छा चल रहा था उसके घर में कही कोई कमी नहीं थी एक बड़ा सा घर था गाड़ी थी एक लौता संतान था। 

उसके मम्मी पापा बरे शांत  शोभाव के थे नेक दिल इंसान लेकिन  एक दिन  सब कुछ बदल गया आशीष की माँ का देहांत हो गया और एक महीने के बाद ही आशीष ने अपने पिता से लड़ाई करली उसने अपने पापा से बोला  की पापा जी

आपकी वजह से बहुत दिकत हो रही है बहु को जो मेरी बीवी है उसे बड़ी परेशानी होती है दिन भर इसे कल्चरल वैल्यूज फॉलो करनी परती है शारी पेहेन कर के काम करना परता है ये मॉडर्न बना चाहती है

लेकिन बन नहीं पा रही है तो पापा आप से एक रिक्वेस्ट है  आप अपने घर  में जो  निचे गराज है उसमे शिफ्ट हो जाओ।  इस लड़के ने अपने पिता को अपने ही घर में निचे गराज में शिफ्ट कर दिया। 

इसके पापा कुछ नहीं बोले , बिना कुछ बोले चुप चाप अपने सामान  ले कर के गराज में शिफ्ट हो गए 15  दिन के बाद में ये ऑनक्ल जी ऊपर आते है सीडी चढ़ कर के डोर बेल्ल बजाते हैं आशीष बहार निकलता  है

अपने पापा को  देख कर के चउक जाता है इसे लगता है की अब  लड़ाई होने वाली है लेकिन  ऑनक्ल जी लड़ाई नहीं करते बल्कि उनके हाथ में कुछ वाउचर्स होते हैं आशीष को देते है और बोलते है की बीटा ये 10  दिन की फॉरेन ट्रिप के वाउचर्स हैं

मैंने आपके लिए आपकी पत्नी ले लिए आपके फॅमिली के लिए बच्चो के लिए आप के  लिए ले कर के आया हु आपके लिए सरप्राइज है जाओ घूम कर के आओ वैसे भी तुम्हारी मम्मी के जाने के बाद तुम उदाश रहते हो मुझे लगता है

की तुम बारे परेशान रहते हो तुम्हारा मन हल्का हो जाएगा बच्चो को अच्छा लगेगा जाओ घूम कर के आओ   तो 10  दिन के लिए ऑनक्ल जी अपने बच्चों को फॉरेन ट्रिप पे भेज देते हैं और उसके बाद ऑनक्ल जी असली खेल करते हैं 

जिस माकन में आशीष रेह रहा था उस 6  करोड़ क्र माकन को 3  करोड़ में बेच कर के अपने लिए एक छोटा सा घर ले लेते है और आशीष का सारा सामान एक किराए पे माकन लेते  है और शिफ्ट करवा देतें हैं।

आशीष जब 10 दिन के घूम कर के वापस अपने घर आता है तो उसके घर के दरवाजे पे एक बड़ा  सा  ताला लगा होता  है और बाहर एक गार्ड बैठा हुआ होता है तो आशीष बोलता है

ये ताला किसने लगाया मेरे पापा कहा गए तो गार्ड ने बोला क्यों परेशान हो रहे हो मुझे  बोल कर के गए है बात करवा देना तो आशीष बोलता है तुम क्या बात करवाओगे मैं बात करता हु तो कॉल लगता है कॉल नहीं लगता है

तो गार्ड बोलता है साहब ये नंबर नहीं लगेगा साहब मुझे दूसरा नंबर लिखवा कर के गए हैं गार्ड जाता है अंदर अपने केबिन में एक छोटी सी पर्ची पे नंबर होता है कॉल करता है और  आशीष को उसके पिता से बात करवाता है

तो जब आशीष बात करता है तो बोलता है पापा ये क्या तरीका है  यहाँ पे ताला लगा हुआ है ये च्चे कहा खरे होंगे हम बरे परेशान हो रहे हैं तो उसके बाद उसके पिता बोलते है

अच्छा बेटे तुम बस 15 मिनट रुकना मैं आरहा हु 15 मिनट के बाद एक गाड़ी आती है गाड़ी में  से  ऑनक्ल जी उतरते है ऑनक्ल जी जा कर के बोलते है बेटा  ये पकरो चाभी इस माकन में तुम्हारा सरा सामान शिफ्ट करवा दिया है

एक साल का किराया  दे दिया है  अब तुम्हारी पत्नी को जैसे तुम्हे रखना है रखो मुझे परेशान मत करो तो आशीष पूछता है की पापा आप कहा रहेंगे तो ऑनक्ल  जी बोलते है बेटा  मैंने तो अपने लिए एक छोटा घर खरीद लिया है

मैं  उसमे खुश हु आप तुम्हे जैसे रहना रहो।  छोटी सी कहानी बहुत बरी बात सिखाती है लाइफ में पेरेंट्स की हमेसा कदर करना इसे पहल की पेरेंट्स आपकी कदर करना बंद करदे और वैसे भी पेरेंट्स आपका कदर करना कभी भी बंद नहीं करेंगे इस लिए उन्हें कभी  भी  उन्हें दुखी मत करना। 

Friday, March 11, 2022

विजय

 आदमी ने एक गुलाब लगाया और उसे ईमानदारी से पानी पिलाया, और इसके खिलने से पहले, उसने इसकी जांच की। उसने कली को देखा जो जल्द ही खिल जाएगी और कांटे भी। 

और उसने सोचा, “इतने तेज कांटों से भरे पौधे से कोई सुंदर फूल कैसे आ सकता है?” इस विचार से दुखी होकर, उसने गुलाब को पानी देने की उपेक्षा की और खिलने के लिए तैयार होने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई।

तो यह कई लोगों के साथ है। हर आत्मा के भीतर, एक गुलाब है। जन्म के समय हमारे अंदर लगाए गए ईश्वर जैसे गुण हमारे दोषों के कांटों के बीच बढ़ते हैं। 

हम में से कई लोग खुद को देखते हैं और केवल कांटों, दोषों को देखते हैं। हमें निराशा होती है, यह सोचकर कि कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता है। हम अपने भीतर के अच्छे पानी की उपेक्षा करते हैं, और आखिरकार, यह मर जाता है। हमें कभी भी अपनी क्षमता का एहसास नहीं होता है।

कुछ लोग अपने भीतर गुलाब नहीं देखते; किसी और को उन्हें दिखाना होगा। सबसे महान उपहारों में से एक जो व्यक्ति के पास है वह कांटों तक पहुंचने और दूसरों के भीतर गुलाब खोजने में सक्षम होना है। 

यह प्यार की विशेषता है, किसी व्यक्ति को देखना, और उसके दोषों को जानना, उसकी आत्मा में बड़प्पन को पहचानना, और उसे यह एहसास दिलाने में मदद करना कि वह अपने दोषों को दूर कर सकता है। यदि हम उसे गुलाब दिखाते हैं, तो वह कांटों पर विजय प्राप्त करेगा।

इस दुनिया में हमारा कर्तव्य है कि हम दूसरों को उनके गुलाब दिखा कर मदद करें न कि उनके कांटे। तभी हम उस प्यार को प्राप्त कर सकते हैं जिसे हमें एक दूसरे के लिए महसूस करना चाहिए; तभी हम अपने बगीचे में खिल सकते हैं।

Monday, March 7, 2022

खुशियां ढूंढिए

ये कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जो ऑफिस में काम किया करता था।  ऑफिस के काम के प्रेस्सेर की वजह से बहुत परेशान रहा करता था की इतना सारा काम है बॉस  की डांट  सुने को मिलती है

वही जो गुस्सा था ऑफिस का घर आकर के  बच्चों पे निकालता  था  बीवी पे निकलता था घर में झगड़ा करता था। उसे लग रहा था की उसकी लाइफ का होना न होना बराबर है।

जब कोई दोस्तों के कॉल आते थे तो कॉल कट कर देता था रिश्तेदारों के आते थे गुस्सा करने लगता था।  एकदिन  ये अपने घर में ऐसे ही बैठा हुआ था

उसका बच्चा इसके पास में आया और आकर के बोला  की पापा मेरी मदद कर दीजिये मुझे होम वर्क करवा दीजिये तो फिर इसने अपने बच्चे को डाट  दिया डाट  कर के भगा दिया की जाओ यहाँ  से मैं होम वर्क करने के लिए बैठा हु यहाँ पे। 

थोड़ी देर के बाद में जब इसका गुस्सा ठंडा हुआ तो इसको लगा की जाकर के एक बार बच्चे की मदद करनी चाहिए उसका होम वर्क करवाना चाहिए तो ये उस बच्चे के कमरे में गया तो देखा बैठा की वो सो चूका था

बच्चे ने होम वर्क की कॉपी उसने अपने  सर पे रखी हुई थी होम वर्क करते  करते ही सो गया था इसने कॉपी उठाया  और इसको लगा की इस कॉपी को निचे रखा देतें है ताकि बच्चा आराम से सो सके लेकिन जैसे ही ये कॉपी निचे रखने वाला था

इसने पढ़ा की इसमें लिखा क्या हुआ है इसको लगा की एक बार पढ़ लेते हैं बच्चा काम क्या कर रहा था ऐसा जिसमे इसको मदद चाहिए थी तो जो होम वर्क था उसका शिरस्क था “

वो काम जो  हमें शुरू में अच्छे नहीं लगते लेकिन   बाद में धीरे धीरे धीरे अच्छे लगने लगतें हैं” इस शिरस्क पे बच्चे को एक निबंध  लिखना  था बच्चे ने एक पेराग्राफ लिख दिता था तो  इसने पढ़ना शुरू किया बच्चे ने सबसे पहले लिखा था

थैंक यू  सो मच   फाइनल एग्जाम  का जो शुरू में हमें बुरे  लगते लेकिन उनकी वजह से बाद में गर्मियों की छुटियाँ  आ जाती हैं, थैंक यू  सो मच  उन बेस्वाद कर्वी लगने  वाली दवाइयों का जो शुरू में तो बिलकुल अच्छी नहीं लगती लेकिन बाद में उनकी वजह से हम सब कोई ठीक हो जातें हैं

फिर उस  बच्चे ने आगे लिखा  थैंक यू  सो मच  उस अलार्म क्लॉक का जो सुबह सुबह हमें जगा  देती है हमें अच्छा नहीं लगता लेकिन उसकी वजह से जब हम जाग जाते तो हमें मालूम चलता है की हम जिन्दा है,

थैंक यू  सो मच  ऊपर वाले का भगवन को उस बच्चे ने धन्यावद कहा की आपकी वजह से मेरे पापा मेरी जिंदगी में आएं , मेरे पापा शुरू में तो मुझे डाटते  है मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता लेकिन बाद में  मुझे घूमने के लिए ले जातें हैं

अच्छा अच्छा खाना खिलतें हैं खिलोने दिलाते हैं तो ऊपर वाले आपका धन्यवाद की आपने  मेरे पापा को मेरी लाइफ में भेजा क्यों की मेरे एक दोस्त  तो पापा ही नहीं हैं। 

ये जो आखरी की लाइन थी इस लाइन ने इस आदमी को झंझोर दिया  अंदर तक हिला कर के रख दिया ये  नींद से जग गया और इसको लगा की इसकी लाइफ में क्या कुछ है जो ये होते हुए भी  मिस कर रहा है

उस बच्चे के निबंद को कॉपी करते हुए ये बरबराने लगा बोलने लगा हे ऊपर वाले थैंक यू  सो मच आपकी वजह से मेरे पास में घर है कइयों  के पास तो घर भी नहीं क्या हुआ अगर मैं EMI  चूका रहा  हु

तो इसके बाद उसने बोला  थैंक यू  सो मच  ऊपर वाले आपकी वजह से मेरे पास में परिवार है  कइयों  के पास तो परिवार भी नहीं होता वो दुनिया में अकेले होतें हैं

इस आदमी ने बोलाथैंक यू  सो मच ऊपर वाले आपकी वजह से मेरे पास ऑफिस है वर्क है वर्क प्रेशर है  थोड़ा  प्रेशर है मेरे पास में  जॉब तो है कइयों के पास तो जॉब होती ही नहीं हैं, हे ऊपर थैंक यू  सो मच इस लाइफ के  लिए  जो आपने   मुझे दी।  छोटी सी कहानी बहुत बड़ा  पॉजिटिव  का मांत्र देती है जिंदगी में जो मिला है उसमे खुशियां ढूंढिए। 

Saturday, March 5, 2022

एक सबक

 एक युवा, एक छात्र, एक दिन एक प्रोफेसर के साथ सैर कर रहा था, जिसे आमतौर पर छात्रों के दोस्त कहा जाता था, जो उनकी हिदायत पर इंतजार करता था। 

जब वे साथ गए, तो उन्हें रास्ते में पुराने जूतों की एक जोड़ी पड़ी दिखाई दी, जो कि वे एक गरीब व्यक्ति की थीं, जो एक खेत में काम कर रहा था, और जो लगभग अपने दिन का काम पूरा कर चुका था।

छात्र ने प्रोफेसर की ओर मुड़ते हुए कहा: “आइए हम उस आदमी को एक चाल खेलते हैं: हम उसके जूते छिपाएंगे, और खुद को उन झाड़ियों के पीछे छिपाएंगे, और जब वह उन्हें नहीं पा सकता है, तो उसकी ख़ुशी को देखने का इंतज़ार करेगा।”

“मेरे युवा मित्र,” ने प्रोफेसर को जवाब दिया, “हमें अपने आप को गरीबों की कीमत पर कभी भी खुश नहीं करना चाहिए। लेकिन आप अमीर हैं और गरीब आदमी के माध्यम से अपने आप को बहुत अधिक आनंद दे सकते हैं। प्रत्येक जूते में एक सिक्का डालें, और तब हम छिपाएंगे और देखेंगे कि खोज किस तरह उसे प्रभावित करती है। ”

छात्र ने ऐसा किया, और वे दोनों खुद को झाड़ियों के पास रख दिया। गरीब आदमी ने जल्द ही अपना काम खत्म कर दिया और मैदान के उस रास्ते पर आ गया जहाँ उसने अपना कोट और जूते छोड़ दिए थे। 

अपने कोट पर डालते समय उन्होंने अपना एक पैर अपने जूते में खिसकाया; लेकिन कुछ कठिन महसूस करते हुए, वह महसूस करने के लिए रुक गया कि यह क्या है, और सिक्का पाया।

उनके पराक्रम पर विस्मय और आश्चर्य देखा गया। उसने सिक्के पर टकटकी लगाई, उसे घुमाया, और बार-बार देखा। फिर उसने चारों तरफ उसे देखा, लेकिन किसी व्यक्ति को नहीं देखा गया। 

उसने अब पैसे अपनी जेब में डाल लिए और दूसरे जूते पर रखने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन दूसरे सिक्के को खोजने पर उसका आश्चर्य दोगुना हो गया। 

उसकी भावनाओं ने उस पर काबू पा लिया; वह अपने घुटनों पर गिर गया, स्वर्ग में देखा और जोर से धन्यवाद दिया, जिसमें उसने अपनी पत्नी, बीमार और असहाय, और बिना रोटी के अपने बच्चों की बात की, जिन्हें समय पर इनाम, किसी अज्ञात हाथ से, नष्ट होने से बचाएगा।

छात्र वहाँ गहराई से प्रभावित हुआ, और उसकी आँखों में आँसू भर आए। “अब,” प्रोफेसर ने कहा, “यदि आप अपनी इच्छित चाल खेले तो क्या आप इससे ज्यादा खुश नहीं हैं?”

युवाओं ने जवाब दिया, “आपने मुझे एक सबक सिखाया है, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। मुझे अब उन शब्दों की सच्चाई महसूस हो रही है, जिन्हें मैंने पहले कभी नहीं समझा था: ‘यह प्राप्त करने की तुलना में अधिक धन्य है।”

Wednesday, March 2, 2022

गलत संगति

ये कहानी है मनीष नाम के लड़के की जो माध्यम वार्गिये परिवार में पैदा हुआ जो 12 क्लास  तक टॉप करता जा रहा था।  कमाल का बच्चा पढ़ने लिखें में सबसे आगे  फॅमिली को उस पर गरब था। 

फॅमिली को लगता था की ये बचा जब बड़ा हो जाएगा तो कुछ कमाल करेगा हम लोगों की जिंदगी बदल  देगा हमारी  फॅमिली में खुशियां आ जाएगी सब कुछ बदल देगा सिर्फ और सिर्फ ये लड़का। 

लेकिन वे लड़का जब 12  क्लास पास कर के कॉलेज में गया तो उसकी लाइफ बदल गयी उसके आस पास  ऐसे दोस्त आ गये जिन्होंने उसे बिगड़ के रखा दिया देर रात तक पार्टी चलने लगी  घर   वालों से झूट बोल कर के पैसा मंगाने लगा। 

घर वालों को समझ   में आ रहा था उन्होंने  एक दिन उसे समझाने  की कोसिस की लेकिन मनीष ने घर वालों को डाट दिया की आप  मुझे ज्ञान मत दीजिये मुझे सब कुछ मालूम है और आपकी ज्ञान से बात नहीं बनेगी आप सांत  रहिये मैं अपनी जिंदगी सही से जी लूंगा। 

घर वालो ने कुछ नहीं बोला।  एक साल के बाद में जब रिजल्ट आया तो मनीष एक सब्जेट में फ़ैल हो गया और जहा ये फ़ैल होने  वाली बात आई वही ये बात इसके ईगो को हर्ट कर गयी की जो लड़का 12  तक टॉप करता आ रहा था

वो कॉलेज में जाते ही फ़ैल कैसे हो सकता है और ये जो फ़ैल होने वाली बात थी इसके मन में इसके दिमाग में इतना घर कर गयी की ये घर में बंद हो गया एक कमरें में रहने लग गया घर वालो से बात करना बंद कर दिया दोस्तों के फ़ोन उठाना बंद कर दिया यहाँ तक की बहार आना जाना बंद कर दिया। 

मनीष धीरे धीरे डिप्रेशन  का सीकर हो रहा था।  उसे लग रहा था की उसकी लाइफ  में यही पे ब्रेक लग जाएगा सब कुछ  ख़त्म हो जाएगा।

मनीष जिस स्कूल में पढ़ता था जहा से 12 पास की थी वहा के  प्रिंसिपल को ये बात जब मालूम चली तो उन्होंने मनीष को अपने से मिलने के लिए बुलाया डिनर पे बुलाया  वो इनविटेशन ये मना  नहीं कर सकता था उसे मानना ही था की नेउता आया था। 

प्रिंसिपल  के पास जाना था तो मनीष पंहुचा साम में और इसने देखा की प्रिंसिपल साहब बगीचे में बैठे हुए थे अंगेठी पे हाथ ताप  रहे थे शर्दी का माहौल था ये भी जा कर के वह बैठ गया सर ने पूछा क्या हल चल है बेटा तो मनीष ने कुछ नहीं बोला 10-15 मिनट  तक उन्दोनो के बिच में बात चित नहीं हुई तो प्रिंसिपल साहब ने सोचा की क्या अलग किया जाए।

उन्होंने अंगेठी में एक एक कोइले का टुकड़ा जल रहा था और धधक के हुए टुकड़े को मिटी में फैक दिया जैसे ही उसे मिटी में फेका थोड़ी देर तो धधका और उसके बाद बुझ गया। 

तब मनीष ने बोला ये आपने  क्या किया जो कोइले का टुकड़ा अग्नि में धधक रहा था हमें गर्मी दे रहा था उसे बहार मिटी में फेक दिया बर्बाद कर दिया,

तो प्रिंसिपल ने कहा की बर्बाद कहा कर दिया कोनसी बरी बात हुई वापस इसको ठीक कर देते हैं। उन्होंने उस कोइले के टुकड़े को उठाया उस मिटी से और वापस से उसे अंगेठी में डाल  दिया वापस से वो  थोड़ी देर बाद  धधकने लगा गर्मी देने लगा तो प्रिंसिपल ने कहा बेटा  कुछ समझ में आया मनीष ने कहा नहीं तो फिर प्रिंसिपल ने कहा बेटे  मैंने   तुम्हे यही समझने के  लिए यहाँ बुला रहा था। 

ये जो कोइले का टुकड़ा  है ये  तुम हो , तुम जब अंगेठी से हबर आए गलत संगति में गए मिटी में गए तो बुझ गए लेकिन वापस से आ कर के जल सकते हो लेकिन शर्त ये है की अब अंगेठी में वापस आना होगा अपनी लाइफस्टाइल बदलनी होगी अपने दोस्त बदलने होंगे बस इतनी सी बात तुम्हे समझाने के लिए यह बुलाना चाहता था मनीष को सारी  बात समझ में आगयी उसकी लाइफ बदल गयी।