Thursday, June 23, 2016

एक पैग़ाम

मैं एक दुकान में  खरीददारी कर रहा था,  तभी मैंने उस दुकान के कैशियर को एक 5-6  साल की लड़की  से
बात करते हुए देखा | कैशियर बोला  "माफ़ करना बेटी, लेकिन इस गुड़िया को खरीदने के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं|" फिर उस छोटी सी लड़की ने मेरी ओर मुड़ कर मुझसे पूछा:~ "अंकल,  क्या आपको भी यही लगता है  कि मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं?'' मैंने उसके पैसे गिने  और उससे कहा:~ "हाँ बेटे, यह सच है कि तुम्हारे पास इस गुड़िया को खरीदने के लिए पूरे पैसे  नहीं हैं"|  वह नन्ही सी लड़की  अभी भी अपने हाथों में गुड़िया थामे हुए खड़ी थी | मुझसे रहा नहीं गया |  इसके बाद मैंने उसके पास जाकर उससे  पूछा कि यह गुड़िया वह किसे  देना चाहती है?  इस पर उसने उत्तर दिया कि यह वो गुड़िया है, जो उसकी बहन को बहुत प्यारी है | और वह इसे, उसके जन्मदिन के लिए उपहार में देना चाहती है |  बच्ची ने कहा यह गुड़िया पहले मुझे  मेरी मम्मी को देना है, जो कि बाद में मम्मी  जाकर मेरी बहन को दे देंगी"| यह कहते-कहते उसकी आँखें नम हो आईं थी मेरी बहन भगवान के घर गयी है... और मेरे पापा कहते हैं  कि मेरी मम्मी भी जल्दी-ही भगवान से मिलने जाने वाली हैं| तो, मैंने सोचा कि क्यों ना वो इस  गुड़िया को अपने साथ ले जाकर, मेरी बहन  को दे दें...|" मेरा दिल धक्क-सा रह गया था | उसने ये सारी बातें  एक साँस में ही कह डालीं
और फिर मेरी ओर देखकर बोली -  "मैंने पापा से कह दिया है कि मम्मी से  कहना कि वो अभी ना जाएँ|
वो मेरा, दुकान से लौटने तक का इंतजार  करें| फिर उसने मुझे एक बहुत प्यारा- सा फोटो दिखाया जिसमें वह  खिलखिला कर हँस रही थी | इसके बाद उसने मुझसे कहा: "मैं चाहती हूँ कि मेरी मम्मी,  मेरी यह
फोटो भी अपने साथ ले जायें,  ताकि मेरी बहन मुझे भूल नहीं पाए|  मैं अपनी मम्मी से बहुत प्यार करती हूँ और  मुझे नहीं लगता कि वो मुझे ऐसे छोड़ने के लिए राजी होंगी,  पर पापा कहते हैं कि   मम्मी को मेरी छोटी  बहन के साथ रहने के लिए जाना ही पड़ेगा क्योंकि वो बहुत छोटी है, मुझसे भी छोटी है | उसने धीमी आवाज मैं बोला। इसके बाद फिर से उसने उस  गुड़िया को ग़मगीन आँखों-से खामोशी-से  देखा|  मेरे हाथ जल्दी से  अपने बटुए ( पर्स ) तक  पहुँचे और मैंने उससे कहा:~ "चलो एक बार  और गिनती करके देखते हैं
कि तुम्हारे पास गुड़िया के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं?'' उसने कहा-:"ठीक है|  पर मुझे लगता है  शायद मेरे पास पूरे पैसे हैं"|  इसके बाद मैंने  उससे नजरें बचाकर कुछ पैसे  उसमें जोड़ दिए और फिर हमने उन्हें
गिनना शुरू किया | ये पैसे उसकी  गुड़िया के लिए काफी थे यही नहीं, कुछ पैसे अतिरिक्त बच भी गए थेl |
नन्ही-सी लड़की ने कहा:~
"
भगवान्
का लाख-लाख शुक्र है
मुझे इतने सारे पैसे
देने के लिए!

फिर उसने  मेरी ओर देख कर  कहा कि मैंने कल  रात सोने से पहले भगवान् से  प्रार्थना की थी कि मुझे इस  गुड़िया को खरीदने के  लिए पैसे दे देना,  ताकि मम्मी इसे मेरी बहन को दे सकें | और भगवान् ने मेरी बात सुन ली|  इसके अलावा मुझे मम्मी के लिए एक सफ़ेद गुलाब खरीदने के लिए भी पैसे चाहिए थे, पर मैं भगवान से  इतने ज्यादा पैसे मांगने  की हिम्मत नहीं कर पायी थी  पर भगवान् ने तो  मुझे इतने पैसे दे दिए हैं  कि अब मैं गुड़िया के साथ-साथ एक सफ़ेद  गुलाब भी खरीद सकती हूँ ! मेरी मम्मी को सफेद गुलाब बहुत पसंद हैं| "फिर हम वहा से निकल गए | मैं अपने दिमाग से उस छोटी- सी लड़की को
निकाल नहीं पा रहा था | फिर,मुझे दो दिन पहले  स्थानीय समाचार पत्र में छपी एक घटना याद गयी
जिसमें एक शराबी ट्रक ड्राईवर के बारे में लिखा था| जिसने नशे की हालत में मोबाईल फोन पर बात करते हुए एक कार-चालक  महिला की कार को टक्कर मार दी थी,  जिसमें उसकी 3 साल  की बेटी की  घटनास्थल पर ही  मृत्यु हो गयी थी  और वह महिला कोमा में चली गयी थी| अब एक महत्वपूर्ण निर्णय उस परिवार को ये लेना था कि,  उस महिला को जीवन रक्षक मशीन पर बनाए रखना है अथवा नहीं?
क्योंकि वह कोमा से बाहर आकर, स्वस्थ हो सकने की अवस्था में नहीं थी | दोनों पैर , एक हाथ,आधा चेहरा कट चुका था आॅखें जा चुकी थी   "क्या वह परिवार इसी छोटी- लड़की का ही था?" मेरा मन रोम-रोम काँप उठा |  मेरी उस नन्ही लड़की के साथ हुई मुलाक़ात के 2 दिनों बाद मैंने अखबार में पढ़ा कि उस महिला को बचाया नहीं जा सका, मैं अपने आप को रोक नहीं सका और अखबार में दिए पते पर जा पहुँचा,
जहाँ उस महिला को  अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था  वह महिला श्वेत धव कपड़ों में थी- अपने हाथ में
एक सफ़ेद गुलाब और उस छोटी-सी लड़की का वही हॅसता हुआ फोटो लिए हुए और उसके सीने पर रखी हुई
थी - वही गुड़िया | मेरी आँखे नम हो गयी दुकान में मिली बच्ची और सामने मृत ये महिला से मेरा तो कोई वास्ता नही था लेकिन हूं तो इंसान ही ।ये सब देखने के बाद अपने आप को सभांलना एक बडी चुनौती थी मैं नम आँखें लेकर वहाँ से लौटा|  उस नन्ही-सी लड़की का  अपनी माँ और  उसकी बहन के लिए जो बेपनाह अगाध प्यार था,  वह शब्दों में  बयान करना मुश्किल है | और ऐसे में, एक शराबी चालक ने अपनी घोर लापरवाही से क्षण-भर में उस लड़की से उसका सब कुछ छीन लिया था....!!! ये दुख रोज कितने परिवारों की सच्चाइ बनता है मुझे पता नहीं!!!!  शायद ये मार्मिक घटना सिर्फ एक पैग़ाम देना चाहती है कि:::::::::::::
कृपया~
कभी भी शराब
पीकर और
मोबाइल पर बात
करते समय
वाहन ना चलायें
क्यूँकि आपका आनन्द
किसी के लिए
श्राप साबित हो सकता हैँ।


Monday, June 20, 2016

पति पत्नी का रिश्ता

पत्नी को शादी के कुछ साल बाद ख्याल आया, कि अगर वो अपने पति को छोड़ के चली जाए तो पति कैसा महसूस करेगा। ये विचार उसने कागज पर लिखा , " अब मै तुम्हारे साथ और नहीं रह सकती, मै उब गयी हूँ तुम्हारे साथ से, मैं घर छोड़ के जा रही हूँ हमेशा के लिए। उस कागज को उसने टेबल पर रखा और जब पति के आने का टाइम हुआ तो उसकी प्रतिक्रिया देखने के लिए बेड के नीचे छुप गयी। पति आया और उसने टेबल पर रखा कागज पढ़ा। कुछ देर की चुप्पी के बाद उसने उस कागज पर कुछ लिखा। फिर वो खुशी की सिटी बजाने लगा, गीत गाने लगा, डांस करने लगा और कपड़े बदलने लगा। फिर उसने अपने फोन से किसी को फोन लगाया और कहा " आज मै मुक्त हो गया " शायद मेरी मूर्ख पत्नी को समझ आ गया की वो मेरे लायक ही नहीं थी, इसलिए आज वो घर से हमेशा के लिए चली गयी, इसलिए अब मै आजाद हूँ, तुमसे मिलने के लिए, मैं आ रहा हूँ कपडे बदल कर तुम्हारे पास, तुम तैयार हो के मेरे घर के सामने वाले पार्क में अभी आ जाओ ” पति बाहर निकल गया,
 आंसू भरी आँखों से पत्नी बेड के नीचे से निकली और कांपते हाथों से कागज पर लिखी लाइन पढ़ी
जिसमे लिखा था,
 " बेड के नीचे से पैर दिख रहे है बावली पार्क के पास वाली दुकान से ब्रेड ले के आ रहा हूँ तब तक चाय बना लेना। मेरी जिंदगी में खुशियां तेरे बहाने से है.... आधी तुझे सताने से है, आधी तुझे मनाने से है । पति पत्नी का रिश्ता अनमोल होता है ।। बहुत नाजुक रिश्ता है । गलतफहमियो को रिश्ते के बीच न आने दे ।।

Saturday, June 18, 2016

गरमा-गरम कॉफ़ी


एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला।
वे सभी अच्छे केरियर के साथ खूब पैसे कमा रहे थे।

वे अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर के घर जाकर मिले।

प्रोफेसर साहब उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात लाइफ में बढ़ती स्ट्रेस और काम के प्रेशर पर आ गयी।

इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि, भले वे अब आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हों पर उनकी लाइफ में अब वो मजा नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था।

प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे,  वे अचानक ही उठे और थोड़ी देर बाद किचन से लौटे और बोले,

"डीयर स्टूडेंट्स, मैं आपके लिए गरमा-गरम
कॉफ़ी बना कर लाया हूँ ,
लेकिन प्लीज आप सब किचन में जाकर अपने-अपने लिए कप्स लेते आइये।"

लड़के तेजी से अंदर गए, वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे, सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा कप उठाने में लग गये,

किसी ने क्रिस्टल का शानदार कप उठाया तो किसी ने पोर्सिलेन का कप सेलेक्ट किया, तो किसी ने शीशे का कप उठाया।

सभी के हाथों में कॉफी आ गयी । तो प्रोफ़ेसर साहब बोले,

"अगर आपने ध्यान दिया हो तो, जो कप दिखने में अच्छे और महंगे थे। आपने उन्हें ही चुना और साधारण दिखने वाले कप्स की तरफ ध्यान नहीं दिया।

जहाँ एक तरफ अपने लिए सबसे अच्छे की चाह रखना एक नॉर्मल बात है। वहीँ दूसरी तरफ ये हमारी लाइफ में प्रोब्लम्स और स्ट्रेस लेकर आता है।

फ्रेंड्स, ये तो पक्का है कि कप, कॉफी की क्वालिटी
में कोई बदलाव नहीं लाता। ये तो बस एक जरिया है जिसके माध्यम से आप कॉफी पीते है। असल में जो आपको चाहिए था। वो बस कॉफ़ी थी, कप नहीं, पर फिर भी आप सब सबसे अच्छे कप के पीछे ही गए और अपना लेने के बाद दूसरों के कप निहारने लगे।"
अब इस बात को ध्यान से सुनिये ...
"ये लाइफ कॉफ़ी की तरह है ;
हमारी नौकरी, पैसा, पोजीशन, कप की तरह हैं।

ये बस लाइफ जीने के साधन हैं, खुद लाइफ नहीं !
और हमारे पास कौन सा कप है।
ये न हमारी लाइफ को डिफाइन करता है और ना ही उसे चेंज करता है।

इसीलिए कॉफी की चिंता करिये कप की नहीं।"

"दुनिया के सबसे खुशहाल लोग वो नहीं होते ,
जिनके पास सबकुछ सबसे बढ़िया होता है,
खुशहाल वे होते हैं, जिनके पास जो होता है ।
बस उसका सबसे अच्छे से यूज़ करते हैं,
एन्जॉय करते हैं और भरपूर जीवन जीते हैं!

सदा हंसते रहो। सादगी से जियो।
सबसे प्रेम करो। सबकी केअर करो।
जीवन का आनन्द लो

Thursday, June 16, 2016

" पुरुष से पिता

पत्नी जब स्वयं माँ बनने का समाचार सुनाये और वो खबर सुन, आँखों में से खुशी के आँशु टप टप गिरने लगे

 तब ... आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"

नर्स द्वारा कपडे में लिपटा कुछ पाउण्ड का दिया जीव, जवाबदारी का प्रचण्ड बोझ का अहसास कराये

 तब .....आदमी.....

" पुरुष से पिता बनता है"

रात - आधी रात, जागकर पत्नी के साथ, बेबी का डायपर बदलता है, और बच्चे को कमर में उठा कर घूमता है, उसे चुप कराता है, पत्नी को कहता है तू सो जा में इसे सुला दूँगा
 तब..........आदमी......
" पुरुष से, पिता बनता हैं "
मित्रों के साथ घूमना, पार्टी करना जब नीरस लगने लगे और पैर घर की तरफ बरबस दौड़ लगाये
 तब ........आदमी......

"पुरुष से पिता बनता हैं"
"हमने कभी लाईन में खड़ा होना नहीं सिखा " कह, हमेशा ब्लैक में टिकट लेने वाला, बच्चे के स्कूल Admission का फॉर्म लेने हेतु पूरी ईमानदारी से सुबह 4 बज लाईन में खड़ा होने लगे

तब .....आदमी....

" पुरुष से पिता बनता हैं "


जिसे सुबह उठाते साक्षात कुम्भकरण की याद आती हो और वो जब रात को बार बार उठ कर ये देखने लगे की मेरा हाथ या पैर कही बच्चे के ऊपर तो नहीं आ गया एवम् सोने में  पूरी सावधानी रखने लगे

 तब .....आदमी...

" पुरुष से पिता बनता हैं"


असलियत में एक ही थप्पड़ से सामने वाले को चारो खाने चित करने वाला, जब बच्चे के साथ झूठ मूठ की fighting में बच्चे की नाजुक थप्पड़ से जमीन पर गिरने लगे

 तब...... आदमी......

" पुरुष से पिता बनता हैं"


खुद भले ही कम पढ़ा या अनपढ़ हो, काम से घर आकर बच्चों को " पढ़ाई बराबर करना, होमवर्क पूरा किया या नहीं" बड़ी ही गंभीरता से कहे

 तब ....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता हैं  "


खुद ही की कल की मेहनत पर ऐश करने वाला, अचानक बच्चों के आने वाले कल के लिए आज compromise करने लगे

तब ....आदमी.....

" पुरुष से पिता बनता हैं "


ओफ़ीस का बॉस, कईयों को आदेश देने वाला, स्कूल की पेरेंट्स मीटिंग में क्लास टीचर के सामने डरा सहमा सा, कान में तेल डाला हो ऐसे उनकी हर INSTRUCTION ध्यान से सुनने लगे

तब ....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"


खुद की पदोन्नति से भी ज्यादा बच्चे की स्कूल की सादी यूनिट टेस्ट की ज्यादा चिंता करने लगे

 तब ....आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है "


खुद के जन्मदिन का उत्साह से ज्यादा बच्चों के Birthday पार्टी की तैयारी में मग्न रहे

तब .... आदमी.......

" पुरुष से पिता बनाता है "


हमेशा अच्छी अच्छी गाडियो में घुमाने वाला, जब बच्चे की सायकल की सीट पकड़ कर उसके पीछे भागने में खुश होने लगे

तब ......आदमी....

" पुरुष से पिता बनता है"

खुदने देखी दुनिया, और खुद ने की अगणित भूले बच्चे ना करे, इसलिये उन्हें टोकने की शुरुआत करे

 तब .....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"


बच्चों को कॉलेज में प्रवेश के लिए, किसी भी तरह पैसे ला कर अथवा वर्चस्व वाले व्यक्ति के सामने दोनों haath  जोड़े

 तब .......आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है "
"आपका समय अलग था,
अब ज़माना बदल गया है,
आपको कुछ मालूम नहीं"
 " This is generation gap "

 ये शब्द खुद ने कभी बोला ये याद आये और मन ही मन बाबूजी को याद कर माफी माँगने लगे

 तब ....आदमी........

" पुरुष से पिता बनता है "


लड़का बाहर चला जाएगा, लड़की ससुराल, ये खबर होने के बावजूद, उनके लिए सतत प्रयत्नशील रहे

 तब ...आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है "


बच्चों को बड़ा करते करते कब बुढापा आ गया, इस पर ध्यान ही नहीं जाता, और जब ध्यान आता है तब उसका कोइ अर्थ नहीं रहता

तब ......आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है"

Wednesday, June 15, 2016

मृत्युभोज अभिशाप

महाभारत युद्ध होने को था,
अतः श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जा कर युद्ध न करने के लिए संधि करने का आग्रह किया ।
दुर्योधन द्वारा आग्रह ठुकराए जाने पर श्री कृष्ण को कष्ट हुआ और वह चल पड़े,
तो दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कृष्ण ने कहा कि

’’सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’’

अर्थात्

"जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो,
तभी भोजन करना चाहिए।

लेकिन जब खिलाने वाले एवं खाने वालों के दिल में दर्द हो, वेदना हो,
तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं करना चाहिए।"

हिन्दू धर्म में मुख्य 16 संस्कार बनाए गए है,
जिसमें प्रथम संस्कार गर्भाधान एवं अन्तिम तथा 16वाँ संस्कार अन्त्येष्टि है।
इस प्रकार जब सत्रहवाँ संस्कार बनाया ही नहीं गया तो सत्रहवाँ संस्कार 'तेरहवीं संस्कार' कहाँ से आ टपका।

इससे साबित होता है कि तेरहवी संस्कार समाज के चन्द चालाक लोगों के दिमाग की उपज है।

किसी भी धर्म ग्रन्थ में मृत्युभोज का विधान नहीं है।
बल्कि महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
लेकिन जिसने जीवन पर्यन्त मृत्युभोज खाया हो, उसका तो ईश्वर ही मालिक है।

इसी लिए
महर्षि दयानन्द सरस्वती,,
पं0 श्रीराम शर्मा,
स्वामी विवेकानन्द
जैसे महान मनीषियों ने मृत्युभोज का जोरदार ढंग से विरोध किया है।

जिस भोजन बनाने का कृत्य...
जैसे लकड़ी फाड़ी जाती तो रोकर,
आटा गूँथा जाता तो रोकर एवं
पूड़ी बनाई जाती है तो रोकर
...यानि हर कृत्य आँसुओं से भीगा।
ऐसे आँसुओं से भीगे निकृष्ट भोजन एवं तेरहवीं भेाज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कर समाज को एक सही दिशा दें।
जानवरों से सीखें,
जिसका साथी बिछुड़ जाने पर वह उस दिन चारा नहीं खाता है।
 जबकि 84 लाख योनियों में श्रेष्ठ मानव,
जवान आदमी की मृत्यु पर हलुवा पूड़ी खाकर शोक मनाने का ढ़ोंग रचता है।

इससे बढ़कर निन्दनीय कोई दूसरा कृत्य हो नहीं सकता।

           यदि आप इस बात से
सहमत हों,
तो आप आज से संकल्प लें कि आप किसी के मृत्यु भोज को ग्रहण नहीं करेंगे।
  मृत्युभोज समाज में फैली कुरीति है व समाज के लिये अभिशाप है ।