एक बार बादशाह के पास शिकायत पहुंची कि उनका एक मालगुजारी अफसर बहुत गड़बड़ कर रहा है। वह रियाया (प्रजा) से कई गुना ज्यादा माल उगाहता है और ज्यादातर खुद हड़प् कर जाता है। जब अफसर को बुलाकर जांच की गई तो पाया गया कि बहीखातों में बहुत बड़ा घोटाला है। बादशाह ने न केवल उसकी सम्पत्ति जब्त कर ली बल्कि उसे विवश कर दिया कि वह बहीखाते के सारे कागज भी खाए।
प्रजा बादशाह के इस न्याय से बड़ी प्रसन्न हुई। पर बीरबल खुश नहीं हुए। हालांकि उस भ्रष्ट अफसर की जगह उन्हें मालगुजारी अफसर बना दिया गया था। उन्होंने सारा हिसाब-किताब खाखरों पर लिखना शुरू कर दिया।
फिर एक रोज बादशाह ने सब खाते जांच के लिए मंगवाए तो बीरबल सारे खाखरे लेकर उपस्थित हुए।
बादशाह उन अजीब खाखरों को देखकर चकित हुए तो बीरबल ने स्पष्टीकरण पेश किया - 'हुजूर! मेरा हाजमा खराब है। मैंने सोचा कि क्या पता हिसाब-किताब में गड़बड़ी हो और हुजूर मुझे कागज खाने के लिए विवश करें तो जान से हाथ न धो बैठूं। इसलिए मैंने सारा हिसाब-किताब खाखरों पर लिखा है। यह कागज से जल्दी हज़म हो जाएगा।'
प्रजा बादशाह के इस न्याय से बड़ी प्रसन्न हुई। पर बीरबल खुश नहीं हुए। हालांकि उस भ्रष्ट अफसर की जगह उन्हें मालगुजारी अफसर बना दिया गया था। उन्होंने सारा हिसाब-किताब खाखरों पर लिखना शुरू कर दिया।
फिर एक रोज बादशाह ने सब खाते जांच के लिए मंगवाए तो बीरबल सारे खाखरे लेकर उपस्थित हुए।
बादशाह उन अजीब खाखरों को देखकर चकित हुए तो बीरबल ने स्पष्टीकरण पेश किया - 'हुजूर! मेरा हाजमा खराब है। मैंने सोचा कि क्या पता हिसाब-किताब में गड़बड़ी हो और हुजूर मुझे कागज खाने के लिए विवश करें तो जान से हाथ न धो बैठूं। इसलिए मैंने सारा हिसाब-किताब खाखरों पर लिखा है। यह कागज से जल्दी हज़म हो जाएगा।'
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