Friday, March 18, 2016

पथिकों का मसीहा

न्यूयॉर्क में कॉलेज का एक छात्र प्लेटफॉर्म पर उतरा। वह स्टेशन से बाहर निकल कुछ दूर ही चला था कि अचानक मूसलाधार बारिश होने लगी। बचाव का कोई साधन नजर नहीं आ रहा था। तभी एक वृद्ध छात्र के पास आया और छतरी उसके ऊपर करते हुए बोला,'चलो बेटे, मैं तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक पहुंचा आऊं।' छात्र ऐसी तेज बारिश में एक वृद्ध को अचानक देखकर थोड़ा चौंका, फिर उसके साथ चल दिया।
वृद्ध उसे हॉस्टल के कमरे तक सकुशल पहुंचा कर जाने लगा । जब वह वृद्ध कमरे से बाहर निकलने लगा तो छात्र बोला, 'बाबा, मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं । मेरा और आपका पूर्व परिचय नहीं है। ऐसे में इतनी तेज बारिश में आपने अपनी उम्र का ध्यान भी नहीं रखा और मुझे छतरी के साथ मेरे हॉस्टल तक छोड़ने आए। इसके पीछे कुछ वजह तो अवश्य है ।' छात्र की बात सुनकर वृद्ध की आंखों में आंसू आ गए।
वह बोला, 'बेटा, आज से तीस साल पहले मैं बहुत गरीब था। मेरे तीन बेटे थे। एक दिन वे तीनों बाहर गए हुए थे। अचानक तेज बारिश हो गई। उन दिनों मेरे पास एक भी छाता नहीं था । मेरे तीनों बेटे भीगते हुए घर आए और उन्हें निमोनिया हो गया। निमोनिया के कारण एक के बाद एक मेरे तीनों बेटे मौत की गोद में सो गए। मेरे बेटे तो मुझे वापिस नहीं मिल सकते। लेकिन मैं ऐसे अनगिनत बेटों को छतरी का सहारा देकर बचा अवश्य सकता हूं जिनके पास बारिश से बचने का कोई सहारा नहीं होता।'
यह सुनकर छात्र की आंखों में आंसू आ गए। वह वृद्ध का हाथ पकड़कर उन्हें गले लगाता हुआ बोला, 'सर, आज से मैं आपका बेटा हूं ।' बारिश में लोगों की मदद करने वाला यह वृद्ध व्यक्ति अमेरिका के न्यूयॉर्क का एक समाजसेवी सर जॉन फेब्रिक्र था। आज भी उस वृद्ध व्यक्ति को अमेरिका में 'पथिकों का मसीहा' के रूप में जाना जाता है

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