Friday, February 5, 2016

सही मार्ग

पांच-छह साल का एक लड़का एक दिन अपने साथियों के साथ आम के बगीचे में चला गया। वहां सभी बच्चे आम तोड़ने लगे। लेकिन वह लड़का चुपचाप एक कोने में खड़ा रहा। साथियों के बहुत उकसाने पर भी उसने आम तो नहीं तोड़े, लेकिन इसी बीच गुलाब के पौधे पर खिले एक सुंदर फूल पर उसकी दृष्टि पड़ी। गुलाब का वह बड़ा फूल देखकर उसका मन ललचा उठा। उसने चुपचाप वह फूल तोड़ लिया। ठीक उसी समय बगीचे का माली वहीं आ धमका।
माली को देख सभी लड़के उड़न छू हो गए। लेकिन वह लड़ा घबराहट में वहीं खड़ा रह गया। माली ने उसे देखते ही पकड़ लिया और पूछा,'बता, कहां है तेरा घर। चल जरा मैं तेरे बाबू जी से तेरी यह करतूत बताकर आता हूं।' माली की यह बात सुनकर लड़का मायूस हो गया। उसने सहमते हुए धीमे स्वर में कहा, 'मेरे पिता जी नहीं हैं।' लड़के का भोला-भाला चेहरा और सरल आंखें देखकर माली बड़ा प्रभावित हुआ। उसने उसे प्यार से समझाया, 'फिर तो तुम्हें ऐसे काम बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि तुम्हें तो पिटाई से बचाने वाला भी कोई नहीं है। कभी कोई चीज अच्छी लगे तो उसके मालिक से मांग लेनी चाहिए। इस तरह लेना तो चोरी कहलाता है।'
लड़के को लगा जैसे माली के रूप में उसके जीवन को सही दिशा बताने वाला कोई गुरु मिल गया हो। उसने तभी अच्छा इंसान बनने का संकल्प कर लिया। माली की बात को उसने ऐसे गांठ बांध लिया कि उसका जीवन एक मिसाल बन गया। यह लड़का लाल बहादुर शास्त्री था, जो आगे चलकर अपनी सचाई, ईमानदारी, सेवा भावना और कर्तव्यनिष्ठता के बल पर हमारे देश के प्रधानमंत्री बने।

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