एक राजा का तीन पुत्र थे और वह अपने राज पाठ को अपने सबसे योग्य पुत्र दे कर अजनी सभी जिम्मेदरी मुक्त होना चहाता था इसी कारण अपने तीनों पुत्रों की एक परिक्षा के आधार योग्ता जानना चहाता था जिसके चलते उन्होने सर्व प्रथम अपने सबसे ब़डे पुत्र को अपने राज्य की सम्पूर्ण सीमाऔ का निरिक्षण करने भेजा जब वह सम्पूर्ण निरिक्षण के उपरान्त वापस आया तो उन्होने अपने दूसरे पुत्र को भेजा और जब वो सम्पूर्ण निरिक्षण के बाद वापस आया तो आखिर में अपने तीसरे पुत्र को भेजा और जब वो भी अपने राज्य वापस आया तब राजा ने अपने तीनों पुत्रों को अपने पास बुलाया और बारी बारी तीनो से उनके अनुभवो के बारे बताने को कहा सबसे पहले सबसे बडे पुत्र ने अपने अनुभव बताते हुऐ कहा सम्पर्ण राज्य में सुख शान्ति थी और खेतो में फसलें उगना शुरू हुई थी और बागो में पेडो पर पतझण आया हुआ था
राजा ने दूसरे पुत्र से कहा तुम बताऔ उसने बताया कि राज्य में सुख शान्ति थी खतों में फसले बडी बडी लहरा रही थी और बागों में पेडो पर फूल और फल आना शुरू हो गए थे
और राजा ने अपने तीसरे पुत्र से कहा अब तुम बताऔ वह बोला राज्य में तो सुख शान्ति थी लेकिन खेतो में फसलें कट गयी थी और बागो में पेडो के फल भी पक कर टूट चुके थे
राजा ने तीनो की बातो को सुना और पूछा कि हम ने आप तीनो को एक ही स्थान पर भेजा था फिर आप तीनो के अनुभव अलग अलग कैसे हो गये कोन सच बोल रहा कोन सच इसका कोन करगा ये सुनते ही उनके दोनो बडे पुत्र जोर जोर से कहने लगे कि में सच बोल रहा हूँ बाकी सब झूट बोल रहे है जैसे ही राजा की नजर अपने तीसरे पुत्र पर गई तो उन्होने उससे पूछा तुम क्यों शान्त खडे हो तब वह बोला कि हम तीनो ही सही बोल रहे है ये सुन्नते ही दोनो बडे भाई शान्त हो गए तब राजा ने उससे कारण पूछा उसने जबाब देते बोला हम तीनो के निरिक्षण के जाते समय ऋतुऐ अलग अलग थी और हमारी खेती पड पौधे ऋतुऔ के अनुसार लगाए जाते है
राजा अपने पुत्र के जबाब से अत्याधिक प्रसन्न हुआ और बोला तुम जैसा बुद्धिमान व्यक्ति ही मेरे राज्य का राजा बन सकता
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