एक बार रामानुजम ने अपने पुत्र को कुछ रुपए देकर बाजार से फल खरीदने भेजा। उन्होंने उसे समझाया कि फल बढ़िया और किसी अच्छी दुकान से ही खरीद कर लाए। बाजार में फलों की एक से एक अच्छी दुकान थी। वह निर्णय नहीं कर पा रहा था कि कहां से फल खरीदें? कुछ देर बाद जब वह घर लौटा तो उसके पिता यह देखकर हैरान रह गए कि वह खाली हाथ ही घर वापस आ गया है।
रामानुजम ने पुत्र से कहा, 'बेटे, मैंने तुम्हें फल खरीदने भेजा था लेकिन तुम तो फल लिए बिना ही वापस आ गए। ऐसा क्यों?' पुत्र बोला, 'पिताजी मैं खाली नहीं आया। मैं तो अपने साथ एक अमर फल लेकर आया हूं।' पुत्र की बात सुनकर रामानुजम बोले, 'तुम्हें क्या हो गया है? ऐसी बातें क्यों कर रहे हो? भला अमर फल भी कहीं होता है?' पुत्र बोला, 'पिताजी मैं फल खरीदने के लिए बाजार में गया। वहां अच्छी से अच्छी दुकानें सजी हुई थीं। तभी मैंने एक बुजुर्ग को भूख से छटपटाते देखा। मुझसे नहीं देखा गया। मैंने उसे उन पैसों से भोजन करा दिया। भोजन करने के बाद उस बुजुर्ग ने मुझे आशीर्वाद दिया। इससे मुझे बड़ी संतुष्टि हुई। आप ही बताइए कि उस बुजुर्ग का दिल से दिया गया आशीर्वाद क्या किसी अमर फल से कम है?'
रामानुजम ने पुत्र से कहा, 'बेटे, मैंने तुम्हें फल खरीदने भेजा था लेकिन तुम तो फल लिए बिना ही वापस आ गए। ऐसा क्यों?' पुत्र बोला, 'पिताजी मैं खाली नहीं आया। मैं तो अपने साथ एक अमर फल लेकर आया हूं।' पुत्र की बात सुनकर रामानुजम बोले, 'तुम्हें क्या हो गया है? ऐसी बातें क्यों कर रहे हो? भला अमर फल भी कहीं होता है?' पुत्र बोला, 'पिताजी मैं फल खरीदने के लिए बाजार में गया। वहां अच्छी से अच्छी दुकानें सजी हुई थीं। तभी मैंने एक बुजुर्ग को भूख से छटपटाते देखा। मुझसे नहीं देखा गया। मैंने उसे उन पैसों से भोजन करा दिया। भोजन करने के बाद उस बुजुर्ग ने मुझे आशीर्वाद दिया। इससे मुझे बड़ी संतुष्टि हुई। आप ही बताइए कि उस बुजुर्ग का दिल से दिया गया आशीर्वाद क्या किसी अमर फल से कम है?'
जवाब सुनकर पिता हैरान रह गए और उन्होंने उसे गले लगाते हुए कहा, 'बेटा तेरी इस बात ने मुझे बड़ा प्रभावित किया है। एक दिन तू जरूर महान बनेगा।' पिता की बात सच साबित हुई। यही लड़का आगे चलकर दक्षिण भारत का महान संत रंगदास बना।
नोबेल पुरस्कार विजेता कथाकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे बचपन में बड़े हंसोड़ और नटखट थे। पढ़ने-लिखने में भी तेज थे और ईश्वर ने उन्हें गजब की कल्पना शक्ति भी दी थी। एक बार उनके शिक्षक ने बच्चों से कहानी लिखने को कहा। कहानी लिखने के लिए एक महीने का समय दिया। हेमिंग्वे ने सोचा, कहानी लिखने के लिए एक महीने की क्या जरूरत है। यह तो एकाध घंटे में ही लिखी जा सकती है।
दिन गुजरते जा रहे थे, पर वह खेलकूद में ही मस्त रहे। उनकी बहन ने कई बार कहानी लिखने की याद दिलाई, लेकिन हर बार वह यही कहकर टालते रहे कि कहानी तो एक घंटे में लिख देंगे। कहानी जमा करने के दिन से ठीक पहले की रात को भी हेमिंग्वे की बहन ने उन्हें कहानी की याद दिलाई, पर उन्हें नींद आ रही थी। कहानी सुबह लिख लूंगा, सोचकर वह सो गए। सुबह उठकर उन्होंने हड़बड़ाहट में लिखना शुरू किया। कहानी तो पूरी कर ली, मगर वह उससे संतुष्ट नहीं हुए।
उन्हें लग रहा था कि कहानी में भाषा और कथा सूत्रों में सुधार की जरूरत है। समय की कमी के कारण वह चाहकर भी सुधार नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने बिना सुधारे ही अधूरे मन से कहानी शिक्षक को सौंप दी। बहरहाल, पुरस्कार किसी और छात्र को मिला। हेमिंग्वे बहुत निराश होकर घर लौटे तो उनकी बहन ने कहा,'हर काम अंतिम क्षणों में निपटाने की आदत के कारण ही तुम्हें पुरस्कार नहीं मिला। इस असफलता से सबक लो और हर काम नियम से समय पर करने की आदत डालो।'
हेमिंग्वे ने बहन की सलाह को अपना आदर्श बना लिया। आज पूरी दुनिया उन्हें एक श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में याद करती है।
असफलता से सबक
दिन गुजरते जा रहे थे, पर वह खेलकूद में ही मस्त रहे। उनकी बहन ने कई बार कहानी लिखने की याद दिलाई, लेकिन हर बार वह यही कहकर टालते रहे कि कहानी तो एक घंटे में लिख देंगे। कहानी जमा करने के दिन से ठीक पहले की रात को भी हेमिंग्वे की बहन ने उन्हें कहानी की याद दिलाई, पर उन्हें नींद आ रही थी। कहानी सुबह लिख लूंगा, सोचकर वह सो गए। सुबह उठकर उन्होंने हड़बड़ाहट में लिखना शुरू किया। कहानी तो पूरी कर ली, मगर वह उससे संतुष्ट नहीं हुए।
उन्हें लग रहा था कि कहानी में भाषा और कथा सूत्रों में सुधार की जरूरत है। समय की कमी के कारण वह चाहकर भी सुधार नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने बिना सुधारे ही अधूरे मन से कहानी शिक्षक को सौंप दी। बहरहाल, पुरस्कार किसी और छात्र को मिला। हेमिंग्वे बहुत निराश होकर घर लौटे तो उनकी बहन ने कहा,'हर काम अंतिम क्षणों में निपटाने की आदत के कारण ही तुम्हें पुरस्कार नहीं मिला। इस असफलता से सबक लो और हर काम नियम से समय पर करने की आदत डालो।'
हेमिंग्वे ने बहन की सलाह को अपना आदर्श बना लिया। आज पूरी दुनिया उन्हें एक श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में याद करती है।
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